अंचल में दिखेगा भाजपा-कांग्रेस का मुकाबला

शिवपुरी-विगत विधानसभा चुनाव में भले ही जिले की पांच विधानसभा सीटों में से चार पर भाजपा ने विजय प्राप्त की, लेकिन इसके बाद भी इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला एकतरफा नहीं कहा जा सकता। एकाध सीट को छोड़कर अन्य सभी सीटों पर दोनों दलों के बीच जोरदार टक्कर होने के आसार हैं।

कहीं-कहीं बहुजन समाज पार्टी मुकाबले को प्रभावित करने की स्थिति में अवश्य है। उसके उम्मीदवार विजयी हों अथवा न हों, लेकिन वह मुकाबले को इधर से उधर करने में सक्षम अवश्य दिख रहे हैं। चुनाव में उम्मीदवारों की छवि निर्णायक बनने की संभावना है। जिस दल के उम्मीदवार अधिक अच्छे होंगे जीत का सेहरा भी उसके सिर बंधने की उम्मीद की जा सकती है।

शिवपुरी जिले की राजनीति में कांग्रेस और भाजपा से अधिक सिंधिया राज परिवार का प्रभाव है। यहां से सिंधिया राज परिवार के सदस्य सांसद से लेकर विधायक तक बने हैं चाहे वह किसी भी दल में रहे हों। माधव राव सिंधिया से लेकर राजमाता विजयाराजे सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया दो बार से अधिक सांसद निर्वाचित हो चुके हैं।

राजमाता विजयाराजे सिंधिया की सुपुत्री यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुकी हैं। सिंधिया राज परिवार के प्रभाव के कारण ही पिछले विधानसभा चुनाव में भले ही पांच विधानसभा सीटों में चार पर भाजपा तथा गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से 7 पर भाजपा ने विजय प्राप्त की, लेकिन इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा के उम्मीदवार डॉ. नरोत्तम मिश्रा को ढाई लाख से अधिक मतों से पराजित किया था।

इस चुनाव में कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को मप्र चुनाव प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष मनोनीत किया है और अप्रत्यक्ष रूप से यह माना जा रहा है कि कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है। इस संदर्भ में जिले की सीटों पर कांग्रेस के मुकाबले में लौटने के आसार बन रहे हैं। वहीं विधायकों के खिलाफ एंटीइनकंबंसी फेक्टर का फायदा भी विरोधी दलों के उम्मीदवारों को मिलने की उम्मीद है। चूंकि कांग्रेस की ओर से जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया कमान संभालेंगे वहीं भाजपा में यशोधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व करने की उम्मीद है।

ऐसी स्थिति में दोनों दलों के बीच जीत हार की बराबर संभावना है। भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यों के कारण आश्वस्त है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को उम्मीद है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की साफ स्वच्छ छवि का फायदा उसे मिलेगा। भाजपा केन्द्र शासन के कथित कुशासन को मुद्दा बना रही है। वहीं कांग्रेस भाजपा शासनकाल में कथित भ्रष्टाचार को उछालकर भाजपा को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रही है। स्पष्ट है कि दोनों दलों के बीच बराबरी का मुकाबला है। ऐसे में उम्मीदवारों की छवि के निर्णायक बनने की उम्मीद है।