सिंधिया की पसंद करारे को चुनौती अभी भी बने हैं शकुंतला-जशवंत

शिवपुरी। करैरा विधानसभा को लेकर कांग्रेस के उम्मीदवारों में जो प्रमुखता से नाम दावेदारी के अंतिम चरण में हैं उनमें योगेश करारे, शकुंतला खटीक व जशवंत जाटव का नाम निर्णायक सूची में बताया जाता है। केन्द्रीय मंत्री श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया जहां योगेश करारे को लेकर अपनी पसंद पहले ही सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाहिर कर चुके हैं लेकिन निर्णायक दौर में शकुंतला खटीक और जशवंत जाटव की पैरवी भी उन्हें पीड़ा दे रही है।
जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर करैरा विधनसभा की बात करें तो जशवंत जाटव का पलडा भारी दिखाई देता है और महिला प्रत्याशी होने की वजह से शकुंतला खटीक पैनल में जरूर शामिल हुई हैं लेकिन दल बदल फार्मूले के कारण उन्हें पीछे रहना पड़ सकता है और उनकी पैरवी के लिए भी पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी, जिला कांग्रेस अध्यक्ष रामसिंह यादव की जुगल बंदी भी पार लगाने में मुश्किल हो रही है। जबकि जशवंत जाटव जातिगत समीकरण के आधार पर अपने को सबसे प्रबल दावेदार मान रहे हैं। महेन्द्र ङ्क्षसह कालूखेड़ा भी श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद योगेश करारे को अपनी सहमति बनाने का मन बना चुके हैं।

करैरा विधानसभा में कांग्रेस की लगातार होती हार को देखते हुए जहां दिग्विजय सिंह के माध्यम से केपी सिंह ने कांग्रेस आला कमान को जीत के आश्वासन के साथ अपना ऑफर दिया है उसमें कितनी सत्यता है यह तो प्रत्याशी चयन के बाद ही प्रमाणित हो पाएगी लेकिन स्थानीय व्यक्ति को लेकर जो सख्ती से श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है उसमें जशवंत जाटव योगेश करारे की तुलना में दूसरे स्थान पर दिखाई देते हैं। योगेश करारे की पृष्ठभूमि युवा होने के साथ-साथ एक मझे हुए राजनैतिक खिलाड़ी की बनी हुई है और वह शांत तरीके से अपना रास्ता तय कर रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक 28 सितम्बर के बाद प्रत्याशियों को लेकर जो हरी झण्डी श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दी है उनमें योगेश करारे का नाम भी बताया जाता है और शायद इसलिए योगेश करारे ने अपने चुनाव प्रचार को करैरा विधानसभा में गति देना शुरू कर दिया है। योगेश करारे जहां नरवर मगरौनी क्षेत्र में अभी कमजोर हैं लेकिन करैरा क्षेत्र के अधिकांश पोलिंगों पर उन्होंने अपनी दस्तक दे दी है। दिग्विजय सिंह ग्रुप करैरा विधानसभा को लेकर जीत के साथ दिनेश परिहार का नाम आगे बढ़ा रहा है। करन सिंह रावत की करैरा विधानसभा मं 1998 के विधानसभा चुनाव में करारी मात के बाद यह चौथा विधानसभा चुनाव है जिसमें कांग्रेस अपने को आजमाने का प्रयास कर रही है। पिछले चुनावों को देखें तो कांग्रेस की स्थिति बहुजन समाज पार्टी से भी पीछे दिखाई देती है।

वर्तमान विधायक रमेश खटीक को लेकर जो जनता का विरोध है उसे भुनाने के लिए कांग्रेस पूरे मुस्तैद तरीके से अपने प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति बना रही है। हांलाकि सूत्रों के मुताबिक म.प्र. में कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी को लेकर जो टाईअप हुआ है उसमें करैरा विधानसभा का नाम लिया जाता है। अगर यह सही माना जाये तो फिर कांग्रेस प्रत्याशी के चयन को लेकर ज्यादा जद््दो जहद दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया अंतिम चरण में नहीं करेंगे। 17 अक्टूबर के बाद जो कांग्रेस की पहली सूची जारी होना है उसमें भी इस बात की संभावना जताई जा रही है कि करैरा विधानसभा का कांग्रेस प्रत्याशी शायद घोषित न हो।

 लेकिन इतना तय है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यदि अपनी मंशा के अनुरूप करैरा विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी की विजय को लेकर निर्णय किया तो उसमें जशवंत जाटव की तुलना में योगेश करारे ज्यादा भारी पड सकते हैं। महेन्द्र ङ्क्षसह कालूखेडा से जुडे जितने भी लोग हैं वह अंदरूनी तौर पर महेन्द्र ङ्क्षसह कालूखेडा के यहां योगेश करारे की जमकर लॉबिंग कर रहे हैं। जबकि जशवंत जाटव ने अपनी पैरवी स्वयं की थी और गोविंद सिंह राजपूत पर्यवेक्षक के सामने उन्होंने अपना जातिगत समीकरण भी रखा था।

 जिसे गोविंद सिंह ने आंकडों की दृष्टि से सही नहीं माना है जबकि ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सगीर अहमद नरवर, संदीप महेश्वरी नरवर और रवि गोयल करैरा जशवंत जाटव के पक्ष में श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया को अंतिम तौर पर कन्वेंस करने के लिए प्रयासरत हैं। जशवंत जाटव  जिला पंचायत के सदस्य रहते हुए भी श्री सिंधिया की पसंद माने जाते थे और बहुजन समाज पार्टी में पर्दे के पीछे रहकर काम करते हुए कथित तौर पर उन्होंने जाटव समुदाय के लोगों को अपनी उम्मीदवारी को लेकर इस बात के लिए कन्वेंस कर दिया है कि यदि वह कांग्रेस के प्रत्याशी होते हैं तो वर्तमान बजुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी प्रागीलाल के पक्ष में जाटव समुदाय का धु्रवीकरण को वह रोक पाएंगे।