खदान माफियाओं पर कार्यवाही पर नायब तहसीलदार ने उठाए सवाल

शिवपुरी। गत दिवस जिले के सुरवाया थाना अंतर्गत क्षेत्रों में खनिज विभाग द्वारा की गई कार्रवाई में रेत और गिट्टी से भरे आधा दर्जन डंपरों सहित अवैध रूप से रेत की ढुलाई करने वाले पांच पंपों की धर-पकड़ की गई, लेकिन यह पूरी कार्रवाई अब सवालों के घेरे में उलझ गई है। इस मामले में नायब तहसीलदार मनीष जैन ने माईनिंग अधिकारी केएन तिवारी और पुलिस को कठघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया है कि दोनों की मिलीभगत के कारण यह कार्रवाई बड़े स्तर पर नहीं हो पाई। नायब तहसीलदार जैन के इस आरोप से सनसनी फैल गई है।

नायब तहसीलदार मनीष जैन का कहना है कि कल उन्हें सूचना मिली कि अमोलपठा के पास स्थित ग्राम खेरा में एक विशेष प्रकार की पीली मुरम का उत्खनन किया जाता है और उस मुरम को रेत माफिया सुरवाया क्षेत्र में लाकर वहां लगे पंपों पर धोकर उसे रेत में मिलाया जाता है। कोपरा नाम की इस मिट्टी का उपयोग शासकीय भवन निर्माण और सड़कों के निर्माण में रेत के साथ मिलाकर किया जाता है।

सूचना मिलते ही मैं सुबह 9 बजे करैरा पहुंच गया। इसके बाद मैंने माईनिंग अधिकारी केएन तिवारी से कार्रवाई की तैयारी के लिए कहा तो उन्होंने मुझे आश्वासन दे दिया। इसके बाद लोकल पुलिस से भी मैंने तैयार रहने के लिए कहा, लेकिन दोनों ने मिलकर मुझे धोखा दिया और सुबह 9 बजे से कार्रवाई के लिए पहुंचा। दोपहर तीन बजे इस कार्रवाई को प्रारंभ किया गया। इस बीच बड़े-बड़े जो रेत माफिया थे वह वहां से निकल गए और छोटे-मोटे माफिया ही हमारे हाथ आ सके।

श्री जैन कहते हैं कि इस कार्रवाई से मैं संतुष्ट नहीं हूं और आगामी भविष्य में जब भी मेरे द्वारा कोई कार्रवाई की जाएगी तो उस कार्रवाई से न तो माईनिंग विभाग को अवगत कराया जाएगा और न ही पुलिस विभाग को। इस पूरे घटनाक्रम से मनीष जैन आहत है। श्री जैन ने कहा कि करैरा क्षेत्र में बड़े स्तर पर कोपरा (मिट्टी युक्त बजरी) खपाई जा रही है और इसका उपयोग शासकीय निर्माण कार्यों में बड़े स्तर पर किया जा रहा है। इस मिट्टी का उपयोग शहर में डली सीसी रोडों में भी जमकर किया गया है। जिस कारण निर्माण की गुणवत्ता हल्की है और वह शीघ्र ही उखड़ गई हैं।

कैसे बनती है कोपरा

कोपरा एक विशेष प्रकार की पीली मिट्टी होती है और इसे जमीन के अंदर 20 से 25 फिट नीचे से निकाला जाता है। इसके बाद इस मिट्टी को अच्छी तरह धोया जाता है। जिससे इसके ऊपर लगी मिट्टी साफ हो जाती है और धुलने के बाद रेत जैसा दिखने वाला पदार्थ रह जाता है। जिसे रेत में 50 प्रतिशत तक मिलाया जाता है। वास्तविक रेत का मूल्य बाजार में 12 हजार रूपये प्रति डंपर है जबकि एक डंपर कोपरा का मूल्य बाजार में 5 से 7 हजार रूपये है। इस मुनाफे के लिए रेत माफिया रेत में कोपरा मिलाकर बाजार में बिक्री करते हैं और यह कोपरा मिली रेत का उपयोग शासकीय निर्माण कार्यों में जमकर किया जाता है। जिसकी शिकायतें आए दिन प्रशासन को मिल रही थीं और इस घटिया रेत के कारण कई बिल्डिंग ध्वस्त भी हो चुकी हैं। इसके साथ ही शहर में डाली गईं सीसी सड़कों में भी इस मिलावट वाली रेत का उपयोग किया गया है। जिस कारण ये सड़कें पांच से सात महीने में ही उखड़ चुकी हैं।

शिकायतें मिलने के बाद कलेक्टर ने कराई थी कार्रवाई

पिछले काफी समय से सरकारी भवनों के निर्माण एवं सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता की कमी और रेत के नाम पर कोपरा मिट्टी का उपयोग करने की शिकायतें कलेक्टर आरके जैन को प्राप्त हो रही थीं और जब कलेक्टर श्री जैन ने इन शिकायतों की जांच कराई तो यह शिकायतें सही निकलीं। इसके  बाद कलेक्टर ने तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए, लेकिन कल हुई इस पूरी कार्रवाई में खनिज और पुलिस विभाग की संलिप्तता उजागर हो गई और बड़े-बड़े रेत माफिया पकड़ से बाहर हो गए।

इनका कहना है-
रेत माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई में माईनिंग विभाग के अधिकारी केएन तिवारी और नायब तहसीलदार मनीष जैन दोनों ने संयुक्त रूप से इस कार्रवाई को अंजाम दिया और मेरी जानकारी में नहीं है कि नायब तहसीलदार इस कार्रवाई से आहत हैं। उन्होंने मुझे इस बारे में कुछ नहीं बताया है। अगर वह माईनिंग विभाग पर आरोप लगा रहे हैं तो मैं उनसे पूछकर ही बता पाऊंगा। जहां तक बात है इतनी बड़ी कार्रवाई बगैर किसी के सहयोग के नहीं हो सकती। इस कार्रवाई में दोनों ने अपनी अहम भागीदारी निभाई है।
आरके जैन
कलेक्टर शिवपुरी