कोलारस में रेंजर, बीट गार्ड व डिप्टी रेंजर करवा रहे हैं जंगल की जमीन पर अतिक्रमण

अशोक चौबे/शिवपुरी/कोलारस-एक तो शासकीय भूमि ऊपर से वन भूमि पर होने वाला अतिक्रमण यूं तो यह नियम विपरीत है लेकिन यहां इस वन भूमि पर बढ़ावा देने वाले भी कोई और नहीं बल्कि स्वयं शासकीय वन अमला ही है जिसके वरिष्ठ अधिकारी रेंजर, बीट गार्ड व पूर्व डिप्टी रेंजर जिन्होंने मिलकर कोलारस अंचल के लगभग दर्जनों ग्रामों में पड़ी शासकीय भूमि पर अतिक्रमणकारियों को बेजा कब्जा करने की खुली छूट दे रखी है।

जिसका परिणाम यह है कि आज इन ग्रामों में खाली पड़ी भूमि पर अवैध कब्जों की भरमार है। इस संबंध में संबंधित विभाग के रेंजर तो इस समय अपने कार्यकाल पूरा होने का रोना रहते है जब भी कार्यवाही के लिए ग्रामीणजन गुहार लगाते है तो वह रिटायरमेंट की बात कहकर अपने कर्तव्य से मुंह मोडऩे में जरा भी परहेज नहीं करते है। ऐसे में अब ग्रामीणों ने इस संबंध में जिला प्रशासन से गुहार लगाकर शीघ्र कार्यवाही की मांग की है ताकि वन भूमि पर होने वाले बेजा अतिक्रमण को रोका जाए और दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाए ताकि पुन: इस तरह की घटनाऐं घटित ना हो सके। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस ओर क्या सख्त कदम उठाता है।

जानकारी के अनुसार बता दें कि बीते लंबे समय से कोलारस क्षेत्र के आसपास ही नहीं बल्कि अन्य कुछ किलोमीटरों की दूरी पर स्थित ग्रामों के आसपास की खाली पड़ी वन भूमि पर इन दिनों बेजा कब्जे निरंतर जारी है। ऐसा नहीं है कि इन कब्जोधारियों को रोकने और इन पर कार्यवाही करने की शिकायतें वन विभाग व स्थानीय प्रशासन को ना मिली हो। लेकिन विभागीय सांठगांठ और अधिकारियों की मिलीभगत के कारण यहां खाड़ी वन भूमि पर बेजा कब्जे धड़ल्ले से किए जा रहे है और इसमें स्वयं मुख्य भूमिका कोई और नहीं बल्कि विभाग के मातहत है। 

बताया गया है कि कोलारस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लगभग दर्जन भर ग्रामों जिनमें सरजापुर, सिंघराई, कूढ़ा, सिरनौदा, मितौजी, सिंघारपुर, रामराई की सैकड़ों बीघा भूमि पर इन दिनों अतिक्रमणकारियों की टेढ़ी नजर है और वह खुलेआम वन भूमि पर अपना आधिपत्य जमाकर कब्जा कर रहे है। बताया गया है कि इन अतिक्रमणकारियों को वन विभाग के ही पूर्व डिप्टी रेंजर अरूण भार्गव के कार्यकाल में सबसे ज्यादा बढ़ावा मिला जिन्होंने खण्डहर व बोल्डर डालकर भूमि को घेरा और उस पर कब्जा किया। इसके साथ ही बीट गार्ड जवान सिंह जाटव और तत्कालीन रहे रेंजर की मिलीभगत के कारण भी यहां वन भूमि पर बेजा कब्जे हुए जिससे आज सैकड़ों बीघा वन भूमि कब्जे की ओट में दबी हुई है। 

ऐसे में अब देखना होगा कि इस ओर नए रेंजर श्रीवास्तव का इस ओर क्या रवैया होता है क्योंकि इस संबंध में ग्रामीणों ने भी लिखित व मौखिक रूप से शिकायत की और कार्यवाही की गुहार लगाई। इसके साथ ही जिला प्रशासन से भी कार्यवाही की दरकार की है क्योंकि यहां मौजूद रेंजर अपने रिटायरमेंट का रोना रोते रहते है ऐसे में कार्यवाही करने से वह कोसों दूर नजर आ रहे है। इस संबंध में सीसीएफ और डीएफओ से भी ध्यानाकर्षण की मांग की गई है।