अवैध प्लॉटों का अब हो सकेगा पंजीयन, कालोनाईजरों में हर्ष व्याप्त

शिवपुरी। राज्य शासन की याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने माननीय उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ के उस आदेश पर स्टे दे दिया। जिसके परिपे्रक्ष्य में अवैध कॉलोनियों में स्थित प्लॉटों के पंजीयन पर पूरे प्रदेश में रोक लगी हुई थी।

हालांकि मान. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की प्रति अभी प्रदेश के पंजीयन कार्यालयों को नहीं मिली है, लेकिन उम्मीद है कि आज सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की प्रति उन तक पहुंच जाएगी। जिला पंजीयक पीपी शुक्ला ने बताया कि प्लॉटों के पंजीयन पर अब कोई रोक नहीं हैं और आदेश मिलने के बाद रजिस्ट्रियां शुरू हो जाएंगी। रजिस्ट्रियों पर लगे प्रतिबंध के हटने से कॉलोनाईजरों में हर्ष व्याप्त है और उन्होंने अपनी खुशी का इजहार मिठाईयां बांटकर किया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अवैध कॉलोनियों में रजिस्ट्री को लेकर पूरन सिंह नरवरिया ने उच्च न्यायालय में पुनरीक्षित याचिका दायर की थी। उन्होंने दलील दी थी कि पूरे प्रदेश में बिना डायवर्सन एवं बिना परमीशन के कृषि भूमि पर प्लॉट बनाकर विक्रय पत्र संपादित किए जा रहे हैं। जिससे शासन के राजस्व को प्रतिमाह लाखों रूपये की क्षति पहुंच रही है। इससे अवैध कॉलोनी संनिर्माण तथा अवैध निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है। जिम्मेदार अधिकारी अपने कत्र्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे। 

इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ग्वालियर खण्डपीठ के मान. न्यायमूर्ति एसके गंगेले और न्यायमूर्ति बृजकिशोर दुबे ने निर्णय लिया कि ऐसी गतिविधियों को रोका जाना चाहिए। इस आदेश के संदर्भ में शिवपुरी में अपर कलेक्टर जैन ने जिला पंजीयक और उप पंजीयकों को शासकीय आदेश जारी कर मान. उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का आवश्यक रूप से पालन सुनिश्चित करने को कहा। 

इसका अर्थ था कि उप पंजीयक पंजीयन करते समय यह भी देखे कि प्लॉट वैधानिकता के दायरे में है या नहीं और यदि वह संतुष्ट हो जाए कि बिना डायवर्सन के  प्लॉट का पंजीयन कराया जा रहा है तो वह पंजीयन से इंकार कर दे। इसका अर्थ है कि दस्तावेजों का पंजीयन करते समय उसे वैधानिकता के पहलूं पर भी ध्यान देना होगा। ऐसे ही आदेश पूरे जिले के उप पंजीयकों तथा पंजीयकों को भेजे गए। इस निर्णय से पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया। अवैध प्लॉटों की रजिस्ट्रियां रूक गईं। लेकिन अब मान. सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्टे दे दिया है और दोनों पार्टियों को नोटिस जारी कर दिये हैं। 

इस निर्णय का तात्कालिक प्रभाव यह होगा कि अब पंजीयकों और उप पंजीयकों को पंजीयन करते समय वैधानिकता के पहलुंओं पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है और वह पंजीयन करने के लिए सक्षम है। पंजीयक पीपी शुक्ला कहते हैं कि  पंजीयन का अर्थ सिर्फ इतना है कि यदि दो पक्षकारों के बीच कोई संव्यवहार होता है तो उस हेतु तथ्यों को जिस दस्तावेज में  लेखबद्ध किया जाता है। उसकी एक प्रति पंजीयन कार्यालय में रहती है। उनके अनुसार वैधानिकता या अवैधानिकता के लिए जिम्मेदारी रजिस्ट्री कराने वाले पर है।

अभी तक लगी प्रदेश के खजाने को 300 करोड़ की चपत

पूरे प्रदेश में लगभग 4 माह से पंजीयन पर निर्बंधन है। पंजीयक शुक्ला के अनुसार इस बंधन के कारण पूरे प्रदेश में सरकारी खजाने को लगभग 300 करोड़ की चपत लगी है। जहां तक शिवपुरी जिले का सवाल है तो रजिस्ट्री पर रोक से यह क्षति लगभग 8 करोड़ रूपये की है।