बड़ा सवाल : क्या एकजुटता की दुदुंभी पर खरा उतर पाएगी कांग्रेस?

त्वरित टिप्पाणी@ललित मुदगल/ प्रदेश में आगामी समय में होने वाले विधानसभा चुनावों को दृष्टिगत रखतें हुए हर जगह अब चुनावी चर्चाऐं सुनाई देने लगी है। ऐसे में प्रदेश के  दो प्रमुख दल भाजपा व कांग्रेस एक-दूसरे के प्रति आश्वस्त होने वाले विधानसभा क्षेत्रों को तो गिन रहे है लेकिन वह स्वयं की गिरेबां में झांकने तक की जहमत नहीं उठा रहे।
भाजपा की कहें तो वह तो शिवराज के भरोसे है लेकिन क्या ऐसे में कांग्रेस अपने मनोबल पर खरा उतर सकेगी। यह यक्ष प्रश्र अब मुंह उठाए खड़ा है, आखिर हो भी क्यों ना, क्योंकि पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने भोपाल में एकजुटता की जो दुंदुंभी भरी है उस पर खरा उतरना भी उसका नैतिक कर्तव्य है। यह बात अलग है कि पार्टी में सेवाभाव से जुट कांग्रेसी इस बार अपने क्या राय रखते है। यह एक बड़ा सवाल तो भी के मन में खटक रहा है।

हम बात करें प्रदेश नेतृत्व की तो कभी अपनी ढपली अपना राग अलापने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच राजा-महाराजा का विवाद किसी से छिपा नहीं। लेकिन युवाओं के प्रेरणास्पद बन रहे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के आदेशों का पालन ना हो तो पार्टी में इसे अनुशासन करार दिया जाएगा और प्रदेश में गत रोज जो फोटो शेसन कांग्रेसियों ने दिखाया वह राहुल गांधी के समक्ष अपनी एकजुटता दिखाने मात्र को लगी, ऐसा प्रतीत होता है। क्योंकि अभी तो विधानसभा चुनाव में कुछ माह बाकी है लेकिन ऊपर स्तर से लेकर नीचले स्तर तक कांग्रेसियों का एकजुट होना बेमानी ही साबित होगा।

हम बात करें यदि ऐसे समय में शिवपुरी जिले की पांचों विधानसभा सीटों की तो यहां गत दिवस आयोजित प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री बैजनाथ यादव के अभिनंदन समारोह में पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष श्रीप्रकाश शर्मा ने साफ शब्दों में स्वीकार किया था कि भाजपा कांग्रेसियों के लिए चुनौती है और इस चुनौती को पाने के लिए सभी ने एकजुटता का राग अपनाया। लेकिन क्या यह एकजुटता शिवपुरी में देखने को मिलेगी यह तो वे कांग्रेसी स्वयं ही समझ सकते है जो इस समारोह में शामिल थे। वहीं दूसरीओर भाजपा में गुटीय समीकरण ना हानेे से उसका तो रास्ता साफ है लेकिन बसपा, सपा और अन्य दलों के छिटपुट प्रदर्शन को देखते हुए यहां कांग्रेसी एकजुटता भी नगण्य ही साबित होगी।

एक कांग्रेसी ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि राहुल गांधी के द्वारा जो डण्डा प्रदेश नेतृत्व पर चलाया है वही प्रदेश नेतृत्व ने जिलों में चलाया है इससे संभव है कि आगामी समय में कांग्रेस की सरकार आए। इन नेताजी का कहना था कि बीते 10 वर्षोँ से सरकार से बेदखल कांग्रेस पार्टी ने यदि इस बार भी एकजुटता कर सरकार नहीं बना पाई तो संभवत: प्रदेश में कांग्रेस खात्मे की ओर है। पिछले बार जहां प्रदेश में 83 सीटें कांग्रेस की थी तो उनमें भी 79 सीटें वे थी जिन पर कांग्रेस 100 से लेकर 3000 मतों से पराजित हुए इस बार इन सभी सीटों के साथ-साथ अन्य सीटों पर विजय पाना कांग्रेस के लिए मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमिकन नहीं।