कांग्रेसियों की ईश्वर से प्रार्थना, ना हो हस्तक्षेप शिवपुरी क्षेत्र में यशोधरा का

शिवपुरी-9 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर यशोधरा फेक्टर अन्य सभी मुद्दों पर भारी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इसकी ताजा झलक नपं नरवर के चुनाव में देखने को मिली। जहां यशोधरा राजे की अनुपस्थिति के कारण भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था और अध्यक्ष पद के चुनाव में तो भाजपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर खिसक गए। कांग्रेसी भले ही इस जीत का श्रेय स्वयं को दे रहे हों, लेकिन ऑफ दी रिकार्ड कांग्रेसी स्वीकार कर रहे हैं कि उनकी ताकत यशोधरा राजे की भाजपा केम्प में अनुपस्थिति से अचानक बढ़ गई थी। 

जिले के कई वरिष्ठ कांग्रेसियों ने इस संवाददाता को बताया कि यदि विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यशोधरा राजे को कमान नहीं सौंपी तो पांचों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा होगा। इस कारण यशोधरा फेक्टर पर इस समय भाजपा की अपेक्षा कांग्रेस की खासकर सिंधिया समर्थकों की अधिक नजर है। क्योंकि यशोधरा राजे की सक्रियता से जिले की विधानसभा सीटों पर दिग्गी खेमे का दावा और बढ़ जाएगा। 

पिछले विधानसभा चुनाव में शिवपुरी जिले में भाजपा की ओर से यशोधरा राजे ने चुनाव न लड़ते हुए भी प्रचार की पूरी कमान संभाली थी और चुनाव न लड़ते हुए भी एक तरह से उन्होंने शत् प्रतिशत सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों को विजय दिलवाने में सफलता प्राप्त की थी। भाजपा ने पांच में से चार सीटें जीती थीं और पिछोर सीट तो पहले से ही भाजपा हारी हुई मानकर चल रही थी। क्योंकि यहां कांग्रेसी उम्मीदवार केपी सिंह ने पिछले 20 साल में अपना मजबूत जनाधार विकसित कर लिया था। इस बार कांग्रेस में अधिक घबराहट का वातावरण देखा जा रहा है, क्योंकि उन्हें महसूस हो रहा है कि इस बार यशोधरा राजे अपनी पुरानी सीट शिवपुरी से चुनाव लड़ेंगी। 

इससे शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस दावेदार भयभीत महसूस कर रहे हैं। एक दो प्रमुख दावेदारों ने तो स्पष्ट रूप से इस संवाददाता से कहा कि यशोधरा राजे के आने से वह यहां से चुनाव नहीं लड़ेंगे और किसी अन्य क्षेत्र में अपनी संभावना को तलाशेंगे। शिवपुरी में कांग्रेस टिकिट के दावेदारों में पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी, हरिवल्लभ शुक्ला, राकेश जैन आमोल और राकेश गुप्ता की दावेदारी मानी जा रही है। इनमें से राकेश गुप्ता दिग्गी खेमे के उम्मीदवार हैं। संभावना यह है कि यदि यशोधरा राजे शिवपुरी से चुनाव लड़ीं तो सिंधिया खेमे में हरिवल्लभ शुक्ला और राकेश जैन सहित कोई अनजान चेहरा भी चुनाव मैदान में सामने आ सकता है। लेकिन यदि यशोधरा राजे के चुनाव लडऩे की स्थिति में दिग्गी खेमे को टिकिट देने का तय हुआ तो राकेश गुप्ता चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। 

यह बात अलग है कि वक्त ही इस बात को तय करेगा कि उनकी दावेदारी कितनी मजबूत है। यशोधरा राजे के विधानसभा चुनाव के परिदृश्य से ओझल होने के कारण भाजपा की पोहरी, कोलारस और करैरा विधानसभा सीटों पर भी प्रतिकूल असर पडऩे की आशंका है। सूत्र बताते हैं कि पोहरी और कोलारस को जीतने के लिए कांग्रेस विशेष रणनीति बना रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कोलारस से कांग्रेस प्रत्याशी रामसिंह यादव मामूली अंतर से पराजित हुए थे और भाजपा की दिक्कत यह है कि यदि वह विधायक देवेन्द्र जैन के स्थान पर किसी अन्य को टिकिट देने का निर्णय लेती है तो उसके पास उस क्षमता का उम्मीदवार नहीं है। यशोधरा राजे को कमान सौंपे जाने की स्थिति में कांग्रेस में दिग्गी खेमा यहां से टिकिट की मांग के लिए पूरा जोर लगाएगा। दिग्गी खेमे की ओर से सिंधिया खेमे से पाला बदलकर आए लक्ष्मीनारायण धाकड़, विजय शर्मा और देवव्रत शर्मा उम्मीदवार हैं।