इस हाईप्रोफाइल मामले की कहानी क्यों छिपा रही है पुलिस

भोपाल। मध्यप्रदेश का पुलिस महकमा एक हाईप्रोफाइल मामले की कहानी छिपाने में जुटा हुआ है। मामला दर्ज है। एक एएसआई और एक सिपाही की गिरफ्तारी भी हुई है, लेकिन मामले की कहानी और फरियादी का नाम छिपाया जा रहा है। हालात यह है कि एसपी स्तर का अधिकारी भी टीआई स्तर के कर्मचारियों जैसे बयान दे रहे हैं। संबंधित थाने के टीआई फोन पर विषय टालने का प्रयास कर रहे हैं। 

मामला मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले की थाना कोतवाली में दर्ज किया गया है। आईटी एक्ट के तहत दर्ज किए गए इस मामले में गिरफ्तारी भी फिल्मी अंदाज में हुई। 28 दिसम्बर को अशोकनगर पुलिस शिवपुरी पुलिस लाइन पहुंची और वहां मौजूद एएसआई राजेन्द्र पाण्डेय को उठा ले गई। इसके बाद फिर आई और सिपाही धर्मेन्द्र तिवारी को उठा ले गई। 

दूसरे जिले की पुलिस आई और पुलिस लाइन से अधिकारियों को उठा ले गई, फिर भी आरआई के पास कोई अधिकृत सूचना नहीं है। आरआई शिवपुरी ने केवल इतना बताया कि वो दोनों अनुपस्थित हैं। 

इधर बताया जाता है कि एएसआई को अशोकनगर जेल भी पहुंचा दिया है, लेकिन पुलिस ने अब तक यह नहीं बताया है कि आखिर आरोपियों ने गुनाह क्या किया और मामले में फरियादी कौन है। 

भोपालसमाचार.कॉम ने जब इस मामले में जानकारी के लिए थाना कोतवाली अशोकनगर के फोन नंबर 07543 220656 पर संपर्क किया तो लगातार चार बार जितने भी कर्मचारियों ने फोन उठाया, एक ही जबाव दिया ​कि इस विषय में जानकारी देने के लिए हम अधिकृत नहीं हैं। 

टीआई अशोकनगर श्री आरएस पचौरी को उनके मोबाइल क्रमांक 9893337177 पर संपर्क किया गया तो उन्होंने भी तीन बार विषय को टालते हुए खुद को व्यस्त बताया और कुछ देर बाद कॉल करने का आश्वासन दिया, लेकिन उसके बाद उन्होंने मोबाइल पिक करना बंद कर दिया। 

एसपी अशोकनगर श्री कुमार सौरभ के मोबाइल क्रामंक 9926112018 पर संपर्क किया गया परंतु उन्होंने भी फोन पिक नहीं किया और अंतत: जब शिवपुरी एसपी आरपी सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने जो जबाव दिया वो अपने आप में अजीबोगरीब था। 

एसपी शिवपुरी आरपी सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि अशोकनगर पुलिस, किसे उठा ले गई है और क्यों ले गई है। उन्होंने कहा कि मुझे क्या मालूम अशोकनगर पुलिस क्या कार्रवाई कर रही है। 

जिस जिले की पुलिस लाइन से पुलिस कर्मचारियों को अरेस्ट कर लिया जाए वहां के पुलिस कप्तान को ही मामले की जानकारी न होना अपने आप में हास्यास्पद हो जाता है। 


कुल मिलाकर पुलिस के आला अधिकारी इस हाईप्रोफाइल मामले में कार्रवाई तो कर रही है, लेकिन मामले की कहानी और फरियादी का नाम उजागर करने से बचने का प्रयास कर रही है। देखना यह है कि आज मीडिया में और कल जनता के बीच चर्चा का विषय बने इस मामले में पुलिस अधिकारियों की यह कोशिश कब तक सफल हो पाती है। 


दरोगा के भानजे ने बताई घटना: 


यूं तो सटोरियों और जुआरियों को अरेस्ट करते ही पुलिस प्रेस रिलीज जारी करती है परंतु इस गिरफ्तारी में पुलिस ने मीडिया को कुछ भी नहीं बताया। पूरी कार्रवाई गुपचुप की गई। मामला तो तब खुला जब ग्वालियर निवासी अरुण मिश्रा ने बताया कि मेरे मामा एएसआई राजेंद्र पांडे पुलिस लाइन शिवपुरी में पदस्थ हैं। वे नवआरक्षकों की बैरक में ही रहते हैं। 27 दिसंबर को श्री पांडे का मोबाइल गुम हो गया। बकौल अरुण, मामा के मोबाइल से किसी दूसरे आरक्षक ने अशोकनगर एसपी को मोबाइल लगाकर कुछ आपत्तिजनक शब्द कह दिए। 

अगले ही दिन 28 दिसंबर को अशोकनगर पुलिस शिवपुरी आकर राजेंद्र पांडे को बिना स्थानीय अधिकारियों को सूचना दिए अपने साथ ले गई। अरुण ने आरोप लगाया कि मेरे मामा के साथ अशोकनगर में मारपीट की गई। 

बाद में शिवपुरी आरआई एलबी बौद्ध ने जब जांच करवाई तो एक संदिग्ध आरक्षक का नाम सामने आया। अरुण ने बताया कि जब मैं एसपी अशोकनगर व टीआई से मिला तब केस बनाकर मेरे मामा को जेल भेज दिया।

मध्यप्रदेश का लीडिंग हिन्दी अखबार दैनिक भास्कर ने इस मामले को उठाया है। देखिए क्या कुछ छापा है भास्कर ने शिवपुरी एडीशन के पेज 11 पर


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