आखिर कब तक पिटते रहेंगे डॉक्टर, मरीजों के अटेण्डरों से

शिवपुरी-गत दिवस जिला अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉ. अनूप गर्ग के साथ हुई झूमाझटकी के बाद कथित आरोपियों के गिरफ्तार न होने से डॉक्टर उखड़ गए हैं। वहीं पुलिस प्रशासन दबी जबान में डॉक्टरों के साथ दुव्र्यवहार के मामले में उन्हें दोषी ठहरा रहा है। इस मामले में अस्पताल प्रशासन और पुलिस प्रशासन दोनों आमने-सामने आ गए हैं और दोनों ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप मढ़ दिये हैं।


पुलिस प्रशासन की ओर से एसपी आरपी सिंह ने अस्पताल प्रशासन पर कमीशनखोरी के आरोप के साथ-साथ लापरवाही का आरोप लगाया है तो डॉक्टरों ने अस्पताल प्रशासन की ओर से अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. एएल शर्मा ने भी पुलिस पर आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। 

गत दिवस खुड़ा क्षेत्र में रहने वाले रमेश राठौर को दिल का दौरा पडऩे के बाद उसके परीजन उसे जिला अस्पताल में इलाज के लिए लेकर आए, लेकिन अस्पताल में आने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया था और उसके बाद जब वह अस्पताल पहुंचे तो ड्यूटी पर तैनात डॉ. अनूप गर्ग ने उसका परीक्षण कर उसे मृत घोषित कर दिया। इस पर मृतक के परिजन बिफर गए और उन्होंने डॉ. अनूप गर्ग के साथ गाली-गलौच कर उनके साथ झूमाझटकी कर दी और उनकी टेबिल पर रखा सामान फेंक दिया। 

इसके बाद सभी डॉक्टरों ने मिलकर कोतवाली में एक शिकायती आवेदन दिया और पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा का मामला दर्ज कर लिया। लेकिन इसके बाद भी अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. एएल शर्मा ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि कल घटना के वक्त पुलिस को तुरंत सूचना दे दी थी और जब यह घटना घटित हो रही थी तब मौके पर टीआई दिलीप सिंह यादव भी अपने दलबल सहित मौजूद थे। इसके बाद भी आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया और आरोपी पुलिस का संरक्षण पाकर डॉक्टर के साथ झूमाझटकी करते रहे, लेकिन हमारे सुरक्षा गार्डों द्वारा डॉक्टर को पिटने से बचाया जा सका और कहा है कि अस्पताल में जो पुलिस चौकी स्थापित की गई है वह तो नाम मात्र की है। 

पुलिस के संरक्षण में पहले भी एक दीवान ने डॉक्टरों के साथ मारपीट की थी। इस मामले में पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया। लेकिन उनमें से किसी की भी गिरफ्तारी नहीं की गई। जबकि मेडीकल प्रोडक्शन एक्ट के तहत पुलिस को तत्काल आरोपियों को गिरफ्तार करना चाहिए, लेकिन शिवपुरी की पुलिस ऐसा नहीं करती बल्कि हम लोगों पर उल्टा आरोप मढ़ती है। वहीं पुलिस प्रशासन की ओर से एसपी आरपी सिंह ने डॉक्टरों पर आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रशासन द्वारा जो सिक्योरिटी गार्ड तैनात किए गए हैं। वह अगर सही तरह से काम करें तो यह घटना घटित न हो। 

उन्होंने कहा कि अगर ये गार्ड सुरक्षा व्यवस्था में खरे नहीं उतर रहें हैं तो उन्हें हटा दिया जाए, लेकिन डॉक्टरों और सिक्योरिटी कंपनी के बीच कमीशन की डील के कारण अस्पताल प्रशासन यह करने में असमर्थ है। साथ ही डॉक्टरों की हर बार लापरवाही उजागर होती है और वह अपनी करनी के कारण पिटते हंै। इसमें पुलिस क्या कर सकती है? अगर डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी समझकर मरीजों का इलाज करें और अपने व्यवहार में परिवर्तन लाएं तो यह घटनाएं घटित न हो। पहले अस्पताल प्रशासन अपनी गिरेवां में झांके फिर बाद में हम पर आरोप लगाए। 
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