सरकार के पिंजरे में कैद शिवपुरी का सफेद सोना, बड़ी अवैध तस्करी

राजू (ग्वाल) यादव
शिवपुरी-सफेद पत्थर, जिससे शिवपुरी की पहचान को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पहचान मिली है। ऐसे में इस सफेद पत्थरों की तस्करी होना स्वाभाविक है जबकि यहां प्रशासन को इस मामले में कार्यवाही केे लिए आगे आना चाहिए लेकिन सरकार के पिंजरे में कैद शिवपुरी का सफेद सोना, आज सोन से बढ़कर हो चुका है जिसका बड़े रूप में अवैध तस्करी का कारोबार होने लगा है। यहां सफेद पत्थर मिलना संयोग ही कहा जाएगा और इसी पत्थर से शिवपुरी को संपूर्ण देश और विदेशों में नई पहचान मिली है जिसकी बानगी आज भी देखने योग्य है जहां इस पत्थर को प्रदर्शिनियों में रखा जाता है।

पहले जब खदानें खुली थी तब लोगों को प्रतिदिन रोजगार मिलता था और अच्छी खासी आमदनी भी हुआ करती थी। बंधानी मजदूरी प्रतिदिन इन खदानों पर जाकर काम करके जब शाम को घर लौटते थे तो परिजनों में वह खुशी का माहौल दिखता है कि उसकी बानगी ही क्या, लेकिन वर्तमान परिवेश पर यदि नजर डाली जाए तो यहां जब से खदानें बंद हुई है तब से हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए है और इन मजदूरों के सामने रोजगार का एक बड़ा संकट आ खड़ा हुआ। ऐसे में कुछ लोगों ने मजदूरी के कार्य को अपनाया तो कुछ ने सिवाय अवैध उत्खनन और परिवहन के कोई अन्य काम करना स्वीकार नहीं किया। जिसका परिणाम यह हुआ कि आज भी प्रतिदिन अवैध उत्खनन व परिवहन कर्ता अपनी आमदनी प्रतिमाह हजारों में कर रहा है जबकि मजदूर महज 100 से 200 रूपये तक सीमित है ऐसे में इस अवैध कारोबार को बर्दाश्त करने वाला वन विभाग व रिजर्व फॉरेस्ट और स्वयं जिला प्रशासन के अधिकारी आंखों पर पट्टी बांधकर यह सब खुलेआम देख रहे है। मजे की बात तो यह है कि इन खदानों पर अवैध उत्खनन व परिवन के बीच ही एक वनकर्मी की हत्या भी हो गई फिर भी यहां अवैध उत्खनन परिवहन पर रोक ना लग सकी।

जिले में इन दिनों अवैध उत्खनन से राजस्व को बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है। यहां सरेआम दो पहिया वाहनों पर पत्थर ढुलाई का कार्य निरंतर जारी है जहां कई ट्रक पत्थर प्रतिदिन इन बाईकों से ढोया जा रहा है जो कि बड़ौदी स्थित पत्थर फैक्ट्रीयों पर खपाया जाता है। यह दो पहिया वाहन मझेरा खदान के समीप नेशनल पार्क एवं रिजर्व फॉरेस्ट के नियम-कानूनों को धता बताकर इनकी सीमा के अंदर घुसकर अवैध उत्खन्न करते है और यहां दिन रात मोटरसाईकिलों से पत्थर ढोया जाता है। ऐसे में जिला प्रशासन को इन अवैध उत्खननकर्ताओं ने खुली चेतावनी दी है जहां प्रतिमाह लाखो का राजस्व चूना लगाया जा रहा है। इस ओर जिला प्रशासन व वन विभाग को चाहिए कि वह आकस्मिक कार्यवाही करे ताकि इनकी कलई खुद ब  खुद सामने आ सके साथ ही दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही भी आवश्यक है ताकि आगे से अवैध उत्खनन पर रोक लगे और शासन को राजस्व आय में भी वृद्धि हो। यहां बता दें कि इन दिनों मझेरा के पास बरौदी, बिरदा पहाड़, हंस-टौरिया, सियाही घाटी, पताई, मंदिर वाला एरिया, सुजवाहा, भटिया खो, मोरई आदि जो कि बंद है और यह सभी खदानें रिजर्व फॉरेस्ट व माधव नेशनल पार्क के सीमा क्षेत्र में आती है। यहीं इन सभी खदानों पर अवैध उत्खननकर्ताओं की टेढ़ी नजर है जिसका परिणाम यह है कि यहां सरेआम अवैध उत्खनन दो पहिया वाहनों से जारी है। प्रतिदिन लगभग लाखों रूपये के राजस्व को हानि पहुंचाने वाले यह दो पहिया वाहन अवैध उत्खननकर्ता डंके की चोट पर उत्खनन करते है और यहां से पत्थर राजदूत मोटरसाईकिलों पर लादकर शिवपुरी से कुछ दूरी पर बड़ौदी स्थित पत्थर फैक्ट्रीयों पर खपाते है। जिससे इनकी अच्छी खासी आमदनी तो हो जाती है लेकिन यह वन विभाग व माधव नेशनल पार्क की सीमा में अवैध प्रवेश व उत्खनन कर प्रशासन को खुली चुनौती कार्यवाही के लिए देते है साथ ही राजस्व को भी बड़ी हानि पहुंचती है। रिजर्व फॉरेस्ट, माधव नेशनल पार्क व जिला प्रशासन के द्वारा ढुल-मुल रैवया व विभागीय कर्मचारियों की संलिप्तता के बगैर इतना बड़ा अवैध कारोबार करना इन राजदूत मोटरसाईकिल सवारों के लिए कोई बड़ा काम नहीं है तभी तो यहां दिन रात अवैध उत्खनन व परिवहन जारी है। इस ओर शीघ्र कार्यवाही की आवश्यकता है इसलिए प्रशासन,वन विभाग व माधव नेशनल पार्क को संयुक्त रूप से टीम बनाकर यहां अवैध उत्खननकर्ताओं को पकड़कर इनके विरूद्ध कार्यवाही करें और राजस्व हानि व वनों एवं वन्य प्राणियों को नष्ट होने से बचाऐं।

डकैतों की शरणस्थली भी बन चुकी है खदानें


देखा जाए तो अधिकांशत: खदान व्यावसाय का बंद होना कही न कहीं डकैती गतिविधियों को लेकर भी देखा जा रहा है। पूर्व के समय में जब दुर्दान्त डकैत रामबाबू-दयाराम गड़रिया ने अपने आतंक से जब अंचल को अपनी डकैती, अपहरण और लूटपाट जैसी घटनाओं का कहर बरपाया तब से डकैतों ने इन खदान क्षेत्रों को अपनी शरण स्थली बना लिया था। लेकिन धीरे-धीरे जब डकैतों का आतंक खत्म हुआ तो लोगों की चहल पहल बढ़ गई और धीरे-धीरे इन सभी खदानों पर अवैध उत्खनन का कार्य शुरू हो गया। आज भी सैकड़ों हजारों की संख्या में लोग मोटरसाईकिलों पर अवैध उत्खनन व परिवहन करते आसानी से देखे जा सकते है।