सिंधिया की रूठों को मनाने की कवायद फैल

शिवपुरी। विगत शिवपुरी नगर पालिका के चुनाव से लेकर अब तक घटा कांग्रेसी हिटलरशाही का घटनाक्रम अब तक आम कांग्रेसी के गले से नीचे नहीं उतर रहा है। कांग्रेस नपाध्यक्ष का टिकिट हो या जिलाध्यक्ष पद का फैसला या फिर वार्डों में पार्षदी के टिकिट वितरण का मामला हर जगह असंतुष्टों ने अपने आला कमान अर्थात सिंधिया जी से इंसाफ की गुहार लगाई और हर बार मुंह की खाई। नतीजा लंबे समय से कांग्रेस के भीतर ही भीतर आक्रोश का गुबार पनपता रहा और जब मध्यदेशीय धर्मशाला में पिछले दिनों आयोजित शहर कांग्रेस अध्यक्ष के तत्वाधान में सिंधिया जी के तीखे तेवरों पर आम कांग्रेसी जनों के असंतुष्ट स्वर फूटे तो आला कमान सिंधिया जी के सामने बागियों के झण्डा बुलंद करने का सिलसिला सा चल पड़ा।


शहर कांगे्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता से लेकर विजय शर्मा, लक्ष्मीनारायण धाकड सहित दर्जन भर दिग्गज कांगे्रेसियों द्वारा महाराज के गढ में राजा का स्वागत अंतत: यह संदेश देने में कामयाब रहा कि भक्त अपने मंदिर में भगवान की मूर्ति बदल भी सकते हैं। नतीजनन भगवान को भक्तों का खयाल आया और देव दूतों को भक्तों की नगरी में उनकी समस्या जानने और मनाने भेजने का सिलसिला चल पड़ा। विगत दिनों गोविंद सिंह राजपूत एकाएक शिवपुरी पहुंचे और कांग्रेसियों की मीटिंग लेकर उनके भीतर पनप रहे गुबार को पंचर करने की कोशिश की। लेकिन उन्हें भेजने वाले शायद यह भूल गए कि यह वही गोविंद सिंह हैं जिनके गलत टिकिट निर्धारण की वजह से कांग्रेस ने शिवपुरी नगर पालिका अध्यक्ष पद की सीट गवांई थी।

आक्रोश अब तक था नतीजा श्री राजपूत की यह यात्रा कांग्रेसियों का आक्रोश ठण्डा न कर पाई बल्कि जले में नमक छिड़कने जैसी रही और आज महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा की शिवपुरी यात्रा को भी इसी क्रम में देखा गया। हालांकि अंदर खाने की खबर तो यह है कि स्वयं कालूखेड़ा का वजन  महाराज खेमे में गोविंद सिंह के आगे कमतर साबित हो रहा है जिसकी वजह से वे भी इस समूचे घटनाक्रम पर मन ही मन शिवपुरी के कांग्रेसियों की बलैंया ले रहे हैं और देखने दिखाने शिवपुरी के कांग्रेसीजनों की शिकायतों पर उन्हें न्याय का आश्वासन भी दे गए।महेन्द्र सिंह कालूखेडा की यह शिवपुरी यात्रा उनके आला कमान के लिए कितनी कारगर साबित होगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि जिनको मनाने की कोशिश की जा रही है वे पोहरी के एक कद््दावर नेता का हाल जानकर यह गणित पहले ही लगाए बैठे हैं कि सांप की पूंछ पर पैर रखने के बाद  कभी उसके आगे नहीं आना चाहिए।