कलेक्टर की कौन सुनता है, खुलेआम चल रहा है मछलियों का शिकार

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शिवपुरी। मध्य प्रदेश नदिये मत्स्योद्योग अधिनियम 1972 की धारा तीन के अन्तर्गत मत्स्य प्रजनन कार्य में मछलियों की वंश वृद्घि को दृष्टिïगत रखते हुये विगत 16 जून 2012 से मत्स्योद्योग पर लगाया गया प्रतिबंध कागजों पर भले ही जारी हो लेकिन मैदानी तौर पर पूरी तरह से असरहीन बना हुआ है।

इसे प्रशासन या संबंधित विभाग के अधिकारियों की उदासीनता समझा जाये या फिर और कोई मजबूरी लेकिन सच्चाई यही है कि हमेशा से एक रजीज खाद्य मानी जाने वाली मछलियों को प्रजनन कार्य में भी पकड़ा मारा बेचा और खाया जा रहा है इसका प्रमाण है तमाम ढावे और जहां मछली मांगे जाने पर आज भी मुहैया हो रही है। 
 
इसका जीता जागता उदाहरण के शहर के बीचों बीच स्थित मीट मार्केट में देखने को मिल सकता है। इतनी मछलियां कहां से लाई जा रही है। इन सब बातों की जानकारी स्थानीय प्रशासन को होने के बाद भी आज तक इन मछली पकडऩे वालों के खिलाफ कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की है।
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