मुख्यमंत्री महोदय, एएनएम हटाओगे तो बेटी कैसे बचाओगे

शिवपुरी-प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक ओर तो बेटी बचाओ आन्दोलन को सफल बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे है तो वहीं दूसरी ओर इन्हीं मासूमों की देखभाल का जिम्मा संभालने वाली एएनएम को शिवपुरी जिले में स्वास्थ्य समिति की अनुशंसा से हटा दिया गया। आखिर मुख्यमंत्री के स्वप्नों को चकनाचूर करने वाले शिवपुरी जिले के ये सीएमएचओ, कलेक्टर क्या दर्शाना चाह रहे है कि यहां योजनाओं के क्रियान्वयन को तो छोडि़ए सीधे-सीधे एक साथ एक ही कार्यवाही के तहत 57 एएनएम महिलाओं को ही पद से पृथक कर दिया गया। इस कार्यवाही से यह पूरी प्रणाली अब जांच की जद में है।

यहां इस पूरे मामले में रोचक पहलू यह है कि एक ओर तो सीएमएचओ डॉ.आर.एस.दण्डौतिया ने जिला स्वास्थ्य समिति का आदेश लेकर इस नियुक्ति पर तैनात सभी 57 एएनएम महिलाओं को पद से पृथक कर दिया गया। वहीं दूसरी ओर सीएमएचओ ही मीडिया में अपना वक्तव्य देते है कि यह सभी नियुक्तियां पूर्व सीएमएचओ डॉ.दीक्षित के समय हुई है और यह पूरी भर्ती अवैध तरीके से इन नियुक्तियों में भारी भ्रष्टïाचार हुआ है। अब यदि यह सभी नियुक्तियां अवैध हुई है तो कहां है वह आदेश जिसकी प्रति को लेकर सीएमएचओ अपनी अनर्गल बयानबाजी कर रहे है। यहां सीएमएचओ ने एनआरएचएम के पत्र क्रमांक/एन.आर.एच.एम./एच.आर./2012/2316 भोपाल के द्वारा दिनांक 14/02/12 से प्राप्त निर्देशानुसार इन सभी संविदा एएनएम को  अपात्र ठहरा दिया। 

ऐसे में इन सभी महिलाओं का क्या दोष जो इस कार्यवाही का शिकार हुई। वहीं भ्रष्टïाचार के रूप में इन महिलाओं की अवैध नियुक्ति बताने वाले सीएमएचओ डॉ.दण्डौतिया यह भी साफ नहीं कर पा रहे है कि पूर्व सीएमएचओ ने यदि अवैध नियुक्तियां की है तो उनके विरूद्घ क्या कार्यवाही की गई? यह सवाल आज इन एएनएम के साथ हर आमजन के जेहन में है क्योंकि अब इन एएनएम के भविष्य की परवाह कौन करेगा?प्रदेश के मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं टीकाकरण, पल्स पोलिया कार्यक्रम, बाल सुरक्षा माह, परिवार कल्याण, मातृ एवं शिशु टीकाकरण, मलेरिया उन्मूलन, कुष्ठ क्षय रोग, मीजल्स आदि में अपना योगदान कर सेवा करने वाली इन एएनएम महिलाओं को वेतन के बदले दुत्कार मिल रहा है। 

जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर जॉन किंग्सली का रवैया भी इसीप्रकार का देखने को मिला जहां उन्होनें इनकी पीड़ा को समझे बगैर इन्हें वहां से चलता कर दिया। आखिरकार अपनी समस्याओं के हक के लिए इन सभी एएनएम महिलाओं ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया और आज तीन दिन से अपने हक की लड़ाई के लिय महिलाओं भरी दोपहर में धरने पर बैठी है।

...जरा ए.सी. से बाहर निकलो कलेक्टर सा.!

जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहने वाले जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर जॉन किंग्सली की मानवीय संवेदना मर चुकी प्रतीत हो रही है। क्योकि एक ओर वह स्वयं तो ए.सी.(एअर कण्डीशनर युक्त कमरा) में रहकर अपने आपको न केवल गर्मी से बचा रहे है बल्कि अपने परिवार की भी इन्हें परवाह है वहीं दूसरी ओर अपने हक की लड़ाई लड़ रही मासूम एएनएम की परवाह जिला प्रशासन के इस मुखिया को नहीं है आखिर इनका दोष क्या है? जो भरी दोपहरी में खुली छांव में अपनी समस्याओं को लेकर धरना पर बैठी है। इन महिलाओ में क्रांति कुशवाह, रविता सिंह, सुनीता तिवारी ये वे महिलाऐं है जो गर्मी को सहन नहीं कर पा रही और इनका स्वास्थ्य बिगड़ गया है जहां इन्हें बोतल चढ़ाने के बाद उन्हें स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया गया। आज धरना प्रदर्शन को तीन दिन होने को है और ऐसे हालात उत्पन्न हो रहे तो कहीं भविष्य में कोई बड़ी घटना घट गई तो क्या जिला प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से मुंह छिपा सकेगा? शायद नहीं इसके लिए जनता के गुस्से का सामना जिला प्रशासन को करना पड़ेगा और तब तक काफी देर हो चुकी होगी।

मर रहे हैं जानवर तो नर्सो की क्या होगी हालत?

दिन प्रतिदिन बढऩे वाले तापमान में गिरावट का नाम नहीं है यही कारण है कि उमस, गर्मी से बेहाल लोग जहां पंखे, कूलर और एसी में रहकर अपने आप को स्वस्थ बनाए हुए है तो वहीं इस गर्मी को पशु-पक्षी तो सहन ही नहीं कर पा रहे है अभी कुछ दिनों पहले ही नेशनल पार्क में जहां आधा दर्जन मोरों की मौत गर्मी में लू लगने के कारण हो चुकी है तो गत दिवस भी नगर पालिका परिसर में आधा दर्जन के ही लगभग चमगादड़ गर्मी से तड़प-तड़प कर मर गए। जब यह जानवर ऐसी भीषण गर्मी को सहन नहीं कर पा रहे है तो इन एएनएम महिलाओं की ऐसे मे क्या हालत होगी इसका अंदाजा स्वत: लगाया जा सकता है लेकिन इतना सब होने के बाद भी जिला प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही और वह किसी बड़ी घटना के इंतजार में है तब जाकर प्रशासन अपनी गलती को स्वीकार कर इन एएनएम की सुविधाओं को ले सकेगा।

प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हुई एएनएम

शिवपुरी-जिला स्वास्थ्य समिति की अनुशंसा पर हटाई गई 57 एएनएम महिलाओं अपनी मांगों को लेकर लगातार तीन दिनों से कड़क धूप में अपनी समस्याओं के निराकरा की मांग को लेकर प्रतिबद्घ है। इन सभी एएनएम महिलाओं की मांग है कि हमारी स्थाई नियुक्ति की जाए और बिना कारण हटाए जाने के बाद हमारी नियुक्ति बहाल की जाकर संविदा एएनएम के रूप में पदस्थ किया जाए। यदि ऐसा नहीं हेाता है तो ये एएनएम अपनी हड़ताल पर निरंतर कायम रहेगी। अब तक जिला प्रशासन ने इन एएनएम महिलाओं की सुध नहीं ली जबकि कुछ एएनएम गर्मी के कारण बीमार भी हो गई है। देखा जाए तो हपने हक की लड़ाई लडऩे वाली एएनएम की हड़ताल गलत नहीं है क्योंकि इन संविदा एएनएम पर अपने परिवार का भरण-पोषण की जिम्मेदारी है और यदि इस तरह इन्हें पद से हटा दिया जाए तो इनके सामने परिवार का भरण पोषण करना एक बड़ी चुनौती होगा। महिलाओं का कहना है कि अकारण ही हमें पद से पृथक करना कहीं से कहीं तक न्यायोचित नहीं है ऐसे में अब हम कहां जाऐंगे।