ये बताईए इन 1064 स्टूडेंट्स का गुनाह क्या है

विजय शर्मा
शिवपुरी। माध्यमिक शिक्षा मंडल के सिरफिरे आयुक्त अशोक वर्णवाल ने शायद मंडल को अपनी प्रायवेट प्रापर्टी समझ रखा है। यह बद्तमीजी इसलिए क्योंकि रातों रात इस आयुक्त ने एक ऐसा फरमान जारी किया जिससे 12वीं की परीक्षा दे चुके प्रदेश के करीब 27 हजार और शिवपुरी के 1064 स्टूडेंट्स का भविष्य ही खतरे में पड़ गया। महाशय ने इन सभी स्टूडेंट्स का रिजल्ट रोक दिया है। कारण क्या..? क्योंकि ये स्टूडेंट्स ऐसे स्कूलों में पढ़ रहे थे जहां 12वीं के कुल स्टूडेंट्स की संख्या 500 से ज्यादा है। अब आप ही बताइए क्या पेरेंट्स अपने बच्चों का एडमिशन कराने से पहले प्रंसीपल से यह पूछें कि आपके यहां कुल स्टूडेंट्स कितने हैं।
जब इस मामले में मिस्टर वर्णवाल पूछा गया तो उन्होंने भोपाल के एक टेबलॉयड डीबी स्टार को बताया कि हमें संदेह है कि ये छात्र उक्त स्कूलों के नियमित छात्र नहीं हैं। जांच में यदि स्कूल दोषी पाए जाते हैं तो हम छात्रों को फेल घोषित कर देंगे।

क्या पागलपन है ये, ऐसे सिरफिरे अधिकारियों को खुला ही क्यों छोड़ दिया जाता है। ऐसी कुछ प्रतिक्रियाएं फेसबुक पर देखने को मिलीं। पेरेन्ट्स की दलील है कि स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया, पढ़ाई की, परीक्षा फार्म भरा, प्रवेश पत्र आए, परीक्षाएं हुईं तब तक ये कमिश्रर महोदय सोए हुए थे क्या..? पूरे शैक्षणिक सत्र में जांच नहीं कर पाए। जब रिजल्ट का दिन आया तो जांच शुरू कर रहे हैं।
कैसा बेवकूफी भरा बयान है यह कि यदि स्कूल गलत पाए गए तो छात्रों को फेल घोषित कर देंगे। इस मामले में प्रदेश भर में आयुक्त के खिलाफ विरोध के स्वर तेजी से उठे हैं। उठना भी चाहिए। यदि ऐसे सिरफिरे अधिकारियों को रोका नहीं गया तो ये पता नहीं और क्या क्या करेंगे..?
क्या आपको भी लगता है कि ये हिटलर कमिश्रर का तुगलकी फरमान है और सीएम को इस मामले में दखल देना चाहिए। यदि हां तो इस खबर को लाइक कीजिए या अपने विचार हिन्दी या इंग्लिश में नीचे कमेंट बॉक्स में शेयर कीजिए। यह आपका लोकतांत्रिक अधिकार है।

शिवपुरी में कहां कितने

इस मनमाने आदेश से शिवपुरी में 1064 स्टूेंडट्स का रिजल्ट रुक गया है। आदर्श बंधु हायर सेकेण्डरी स्कूल के 563 एवं विजयानंद हायर सेकेण्डरी स्कूल बैराड़ के 501 स्टूेंडट्स के रिजल्ट केवल इसलिए रोक दिए गए हैं क्योंकि यहां स्टूेंडट्स की संख्या 500 से अधिक है। देखिए विजयानंद स्कूल के बच्चों का दुर्भाग्य यदि 2 कम होते तो इस कमिश्ररी प्रकोप से बच जाते, रिजल्ट नहीं रुकता।

देखिए बेतुकी दलील

अक्सर देखा गया है कि कई विद्यालयों में बच्चों को प्रवेश तो दे दिया जाता है लेकिन उन विद्यालयो में शिक्षण व्यवस्था ठीक नहीं रहती। ऐसे में पहली बार माध्यमिक शिक्षा मण्डल ने इसे प्रयोग के तौर पर ही लेने के लिए इस तरह के नियम को लागू किया जिससे इन बच्चों के शैक्षणिक स्तर का पता चल सके। एक ही कक्षा में पांच सैकड़ा से अधिक बच्चों के होने से उस विद्यालय में इन बच्चों को किस प्रकार से शिक्षा दी जाती होगी इसे जांचने-परखने के लिए यह कार्रवाई की गई है।
  • शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने सहमत होते हुए यह जानकारी दी

प्रशंसा भी हो रही है इस कार्रवाई की

वैसे तो शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए नियम की कुछ लोग प्रशंसा भी कर रहे है क्योंकि जिन दो विद्यालयों के परीक्षा परिणाम रोके गए है। उनमें से एक विजयानंद स्कूल तो पूर्व में भी नकल के प्रकरण को लेकर चर्चित रहा है वहीं आदर्श बन्धु विद्यालय को भी देखा जाए तो एक शिफ्ट में 500 बच्चों को शिक्षण कार्य कराना संभव प्रतीत नहीं होता। ऐसे में शिक्षा विभाग के इस नियम से जहां एक ही विद्यालय के 500 विद्यार्थी हायर सेकेण्डरी परीक्षा में शामिल हो और उन्होंने परीक्षा भी दी तब सवाल उठता है कि आखिर एक कक्षा में 500 बच्चों को कैसी शिक्षा दी जाती होगी? इन बच्चो के उज्जवल भविष्य के लिए ही यह कानून बनाया हो ऐसा प्रतीत होता है। खैर यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि इसमें गलती किसकी है स्कूल में प्रवेश लेने बच्चों की अथवा विद्यालय के संचालक प्राचार्य की जिन्होंने नियमों को दरकिनार कर प्रवेश प्रक्रिया में किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई और एक ही कक्षा में 500 से अधिक बच्चों को प्रवेश दे दिया हो।
  • इस मामले में आपके विचारों का स्वागत है। कृपया कमेंट बॉक्स में अपने विचार हिन्दी, इंग्लिश या हिंगलिश में शेयर करें।