शिवपुरी के आरके शाक्य ने सुलझाई केसली तेजाब कांड की गुत्थी

शिवपुरी. एक बार फिर शिवपुरी की परवरिश का लोहा प्रदेश भर में चर्चा का केन्द्र बन गया। पुलिस के लिए सिरदर्द बने केसली तेजाब कांड की गुत्थी एसआई आर के शाक्य ने अंतत: सुलझा ही दी। इस खुलासे के साथ ही पुलिस के आला अधिकारियों ने राहत की सांस ली। सनद रहे कि आरके शाक्य मूलत: शिवपुरी निवासी युवा पुलिस अधिकारी हैं। इससे पहले सूर्यमंदिर से चोरी गई प्रतिमा और कई बड़ी वारदातों को सुलझाने के लिए गठित टीम में भी आरके शाक्य महत्वपूर्ण सदस्य रहे।


ग्रामीणों के लिए दहशत और पुलिस विभाग के लिए तनाव का कारण बने इस मामले का आरोपी तहसीलदार का चपरासी निकला और उसने यह वारदात एक आदिवासी से रिश्वत के एवज में कारित कराई थी। मामले की पृष्ठभूमि में पीड़िता के अपने मुंहबोले मामा से चल रहे अवैध संबंध बताए गए हैं।

विदित हो कि गत 21 अप्रैल को केसली के छोटे जैन मंदिर के सामने दिनदहाड़े एक अज्ञात नकाबपोश व्यक्ति द्वारा 26 वर्षीय युवती स्मृति तिवारी पर तेजाब फैंक दिया गया था। घटना के तत्काल बाद नकाबपोश फरार हो गया एवं युवती स्मृति गंभीर रूप से घायल हो गई जो फिलवक्त भोपाल के कमला हॉस्पिटल में भर्ती है। पीड़ित युवती की एक आंख एवं एक हाथ पूरी तरह बेकार हो गए एवं स्वांस नली में भी तेजाब चले जाने से युवती की हालत नाजुक बनी हुई है।

इस घटना के बाद क्षेत्र में दहशत की स्थिति निर्मित हो गई थी एवं अज्ञात नकाबपोश को लेकर तरह तरह की चर्चाएं गर्म थी। मामले की छानबीन के लिए सागर एसपी ने एसआई आरके शाक्य के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम गठित की। इस टीम ने जब बहुचर्चित मामले का पर्दाफाश किया तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि पकड़ा गया आरोपी रामक्रेश एक आदिवासी है और उसकी स्मृति तिवारी से कोई रंजिश नहीं थी। उसने यह वारदात मोनू खरे उम्र 32 वर्ष के कहने पर घटित की थी। पकड़े गए रामक्रेश ने बताया कि मोनू खरे तहसील कार्यालय में चपरासी है और वह निवास प्रमाण पत्र के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर लगा रहा था, तभी मोनू खरे से उसकी मुलाकात हुई। मोनू खरे ने आरोपी रामक्रेश का निवास प्रमाण पत्र को बनवा दिया, लेकिन बदले में स्मृति तिवारी पर तेजाब फेंकने की शर्त रखी। परेशान रामक्रेश इसके लिए तैयार हो गया और मोनू खरे की योजना पर काम करते हुए उसने स्मृति पर 21 अप्रैल को तेजाब फैंक डाला। यहां बताना जरूरी होगा कि मोनू खरे, पीड़िता स्मृति तिवारी का मुंहबोला मामा है एवं स्मृति के इलाज के लिए तमाम भागदौड़ कर रहा था। उसी ने पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप भी लगाया था।
रामक्रेश के बयान के बाद जब पुलिस ने मोनू खरे को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो अवैध संबंधों की एक नई कहानी सामने आ गई। स्मृति की माँ से राखी बंधवाने वाले मोनू के स्मृति तिवारी से बहुत पुराना प्रेम प्रसंग चल रहा था। हालात यह थे कि दो वर्ष पूर्व विवाह हो जाने के बावजूद स्मृति अपने ससुराल नहीं गई और केसली में अपनी नानी के पास रह रही थी, ताकि मोनू से संबंध बने रहे। मोनू ने पुलिस को बताया कि पिछले दिनों उसका विवाह तय हो गया और वो स्मृति से मुक्ति चाहता था, लेकिन स्मृति किसी भी कीमत पर मोनू को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी। अंतत: मोनू ने यह सोचकर कि इस घटना की दहशत के चलते स्मृति केसली गांव छोड़कर चली जाएगी, यह षडयंत्र रचा।

काम आया कॉमनसेंस

इस मामले के पर्दाफाश में एसआई आरके शाक्य का कॉमनसेंस काम आया। श्री शाक्य का मानना था कि जिस व्यक्ति ने तेजाब फैंका है, वह भी तेजाब से घायल हुआ होगा। इसी दिशा में छानबीन करते हुए जब पुलिस टीम ने जानकारियां जुटाई तो रामक्रेश आदिवासी इलाज कराता हुआ मिल गया और एक एक कर पूरी कहानी आईने की तरह साफ होती चली गई।

ये हैं स्पेशल टीम के सदस्य

थाना प्रभारी आरके शाक्य, प्रधान आरक्षक श्यामसुंदर ,संतोष सिंह ,आर मिथलेस मिश्र,आर बाबूसिंह ,आर सुशील मिश्र, सैनिक मंगल एवं नगर रक्षा समिति सदस्य अजय शुक्ला की महत्वपूर्ण भूमिका रही।