प्रदेश में हर पंचायत में पशुपालक संघ गठित किये जायेंगे और पशुओं की देशी नस्ल को प्रोत्साहन देने के लिये वत्स-पालन प्रोत्साहन योजना लागू की जायेगी। गोपाल पुरस्कार योजना का विस्तार ग्राम-स्तर तक किया जायेगा। यह जानकारी मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा ली गयी पशुपालन विभाग की समीक्षा बैठक में दी गयी। बैठक में पशुपालन एवं मत्स्य-पालन मंत्री श्री अजय विश्नोई और मुख्य सचिव श्री आर. परशुराम भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैठक में कहा कि दुग्ध संकलन और विक्रय के लिये योजनाबद्ध प्रयास करें। कुक्कुट विकास पर विशेष ध्यान दें। विकास से संबंधित आँकड़ें योजना आयोग को समय से भेजें। योजनाओं की लगातार मॉनिटरिंग करें। बैठक में बताया गया कि वित्तीय वर्ष में विभाग द्वारा करीब 247 करोड़ व्यय किये गये हैं। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में चार गुना वृद्धि हुई है। अब दुग्ध उत्पादन में प्रतिदिन औसत एक लाख 33 हजार 204 किलोग्राम की वृद्धि हो रही है। विभाग द्वारा पशुधन विकास नीति बनायी गयी है। ई-वेट परियोजना अगले माह से शुरू की जायेगी। दुधारू पशुओं को मौसम की विपरीत परिस्थितियों से बचाने के लिये पशु आवास योजना बनायी जा रही है। योजना में प्रत्येक जिले में सौ-सौ पशुपालकों को मदद दी जायेगी।
मत्स्य-पालन विभाग की समीक्षा
मत्स्य-पालन विभाग की समीक्षा के दौरान बताया गया कि योजनाओं में केन्द्र शासन से 10 करोड़ 49 लाख रुपये कम मिलने के बाद भी विभाग द्वारा 35 करोड़ 41 लाख व्यय किये गये। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिये कि मछुआ पंचायत की घोषणाओं का प्राथमिकता से क्रियान्वयन करें। फिशरमेन कॉलेज शुरू करने के लिये चल रही कार्रवाई समय सीमा में पूरी हो। विभागीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें। मत्स्य-पालन को प्रोत्साहन देने की योजना बनाये और कार्यों की गुणवत्ता की जाँच समय-समय पर की जाये।
बैठक में बताया गया कि नर्मदा किनारे के मछुआरों को प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरण देने के लिये पायलेट प्रोजेक्ट बनाया गया है। ग्रामीण तालाबों में मत्स्य-उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। मछुआ कल्याण निगम के गठन की प्रक्रिया जारी है। बड़े ग्रामों में छोटे मत्स्य-बाजार बनाने की योजना बनायी जा रही है। बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एम.एम. उपाध्याय, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
बैठक में बताया गया कि नर्मदा किनारे के मछुआरों को प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरण देने के लिये पायलेट प्रोजेक्ट बनाया गया है। ग्रामीण तालाबों में मत्स्य-उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। मछुआ कल्याण निगम के गठन की प्रक्रिया जारी है। बड़े ग्रामों में छोटे मत्स्य-बाजार बनाने की योजना बनायी जा रही है। बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एम.एम. उपाध्याय, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
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