सेन्ट्रल डेस्क
भले ही अन्ना आमरण अनशन कर कर मर जाएं, लेकिन भ्रष्टाचार को रोकना नामुमकिन दिखाई पड़ रहा है। मध्यप्रदेश के एक जिले शिवपुरी में तो हालात यह हैं कि भ्रष्टाचार के समर्थन में प्रदर्शन किए जा रहे हैं, ज्ञापन देकर खुलेआम कहा जा रहा है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जो कार्रवाई की गई है, उसे वापस लिया जाए, नहीं तो आंदोलन करेंगे।
मामला शिवपुरी जिले का है यहां के ब्लॉक करैरा के परीक्षा केन्द्र शा.मा.वि.राजगढ़ में चल रही खुली नकल को रोकने वाले नकलमाफिया से सांठगांठ कर सरेआम सामूहिक नकल कराने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध हुई पुलिस कार्रवाई के मामले में सरकारी कर्मचारियों का एक संगठन खुलकर नकल माफिया के समर्थन में आ खड़ा हुआ है। उन्होंने इस कार्रवाई को पुलिस की ज्यादती बताते हुए नकल कराने वाले कर्मचारियों को निर्दोष निरुपित करते हुए थाने में दर्ज हुए मामले को वापस लेने की मांग करते हुए आज कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा एवं आंदोलन की धमकी दी। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि यदि हमको पुलिस ने रोका तो हम परीक्षा प्रक्रिया का बहिष्कार कर देंगेद्ध आप खुद देखिए, क्या रिपोर्ट आ रही है शिवपुरी ऑफिस की ओर से :-
ज्ञापन में जो मांगे शासकीय कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने रखी है उनमें बताया कि 01 मार्च को परीक्षा केन्द्र से दूर ग्रामवासियों एवं पुलिस के बीच आपसी विवाद क कारण वहां उक्त स्थिति निर्मित हुई जबकि पुलिस प्रशासन द्वारा इसको परीक्षा केन्द्र से जोड़कर परीक्षा केन्द्र के अंदर घुसकर पर्यवेक्षकां के साथ अभद्रता की गई, जिससे पर्यवेक्षकों एवं परीक्षार्थियों में भय व्याप्त है। साथ ही 03 मार्च को स्वयं पर्यवेक्षकों द्वारा नकल प्रकरण बनवाया गया परन्तु प्रशासन द्वारा उल्टे उनके ही खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया तथा अनिल कुमार जैन की ड्यूटी उक्त दिवस नहीं थी परन्तु उसके खिलाफ भी झूठी पुलिस प्राथमिकी दर्ज की गई है जो कि गलत है। शिक्षकों ने बताया कि जिन शिक्षकों पर कार्यवाही की गई है उनमें से कुछ तो अति.शाला संविदा तथा गुरूजी, एवं सहा.अध्यापक है यदि उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है तो इनका भविष्य बर्बाद हो जाएगा जबकि इनकी कोई गलती नहीं है। शिक्षकों ने इस मामले में प्रशासन पर ही जानबूझकर मुकदमा दर्ज कराने की बात भी कही है। इन शिक्षकों की मांग है कि राजगढ़ में नकल प्रकरण व पुलिस पर हुए हमले को लेकर जिन शिक्षकों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है वह वापिस ली जाए अन्यथा इस कार्यवाही के विरूद्ध आन्दोलन किया जाएगा व आगामी बोर्ड परीक्षाओं में पर्यवेक्षण कार्य से भी बहिष्कार किया जाएगा। ज्ञापन सौंपनें वालो में कर्मचारी संगठन के चन्द्रशेखर शर्मा, स्नेह सिंह रघुवंशी, राजकुमार सरैया, राजेन्द्र पिपलौदा, धर्मेन्द्र जैन, ओ.पी.राय आदि शामिल है।
सनद रहे कि परीक्षाकेन्द्र में खुलेआम सामूहिक नकल चल रही थी। यहां तैनात शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने ठेका लिया था कि वे हर हाल में नकल कराएंगे, इसी के चलते परीक्षाकेन्द्र भी बदला गया था परंतु नकल बदस्तूर कराने का प्रयास किया और जब पुलिसकर्मियों ने उसे रोकने की कोशिश की उन पर हमला बोल दिया गया। दो पुलिसकर्मी घायल भी हुए। अब ये कर्मचारी संगठन हमलावरों को निर्दोष बता रही है। कर्मचारी संगठन का यह कदम अप्रत्यक्ष नहीं बल्कि प्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार का समर्थन एवं शासकीय कार्य में दखलंदाजी है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि इन दिनों मध्यप्रदेश के भोपाल में भाजपा कर रही है। एक भ्रष्टाचारी एवं अपनी पत्नि के अलावा दो दो युवतियों से अवैध संबंध बनाए रखने वाले मध्यप्रदेश पर्यटन निगम के अध्यक्ष एवं विधायक धु्रवनारायण सिंह के खिलाफ जब सीबीआई कार्रवाई कर रही है तो भाजपा बयान जारी कर खुलेआम बोल रही है कि हम सब धु्रवनारायण सिंह के साथ हैं। मानो दो दो महिलाओं से अवैध संबंध बनाने वाला विधायक भाजपा की पहचान बन गया हो, जिसे जिसके खिलाफ कोई भी कार्रवाई उसका संगठन बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है।
ज्ञापन में जो मांगे शासकीय कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने रखी है उनमें बताया कि 01 मार्च को परीक्षा केन्द्र से दूर ग्रामवासियों एवं पुलिस के बीच आपसी विवाद क कारण वहां उक्त स्थिति निर्मित हुई जबकि पुलिस प्रशासन द्वारा इसको परीक्षा केन्द्र से जोड़कर परीक्षा केन्द्र के अंदर घुसकर पर्यवेक्षकां के साथ अभद्रता की गई, जिससे पर्यवेक्षकों एवं परीक्षार्थियों में भय व्याप्त है। साथ ही 03 मार्च को स्वयं पर्यवेक्षकों द्वारा नकल प्रकरण बनवाया गया परन्तु प्रशासन द्वारा उल्टे उनके ही खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया तथा अनिल कुमार जैन की ड्यूटी उक्त दिवस नहीं थी परन्तु उसके खिलाफ भी झूठी पुलिस प्राथमिकी दर्ज की गई है जो कि गलत है। शिक्षकों ने बताया कि जिन शिक्षकों पर कार्यवाही की गई है उनमें से कुछ तो अति.शाला संविदा तथा गुरूजी, एवं सहा.अध्यापक है यदि उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है तो इनका भविष्य बर्बाद हो जाएगा जबकि इनकी कोई गलती नहीं है। शिक्षकों ने इस मामले में प्रशासन पर ही जानबूझकर मुकदमा दर्ज कराने की बात भी कही है। इन शिक्षकों की मांग है कि राजगढ़ में नकल प्रकरण व पुलिस पर हुए हमले को लेकर जिन शिक्षकों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है वह वापिस ली जाए अन्यथा इस कार्यवाही के विरूद्ध आन्दोलन किया जाएगा व आगामी बोर्ड परीक्षाओं में पर्यवेक्षण कार्य से भी बहिष्कार किया जाएगा। ज्ञापन सौंपनें वालो में कर्मचारी संगठन के चन्द्रशेखर शर्मा, स्नेह सिंह रघुवंशी, राजकुमार सरैया, राजेन्द्र पिपलौदा, धर्मेन्द्र जैन, ओ.पी.राय आदि शामिल है।
सनद रहे कि परीक्षाकेन्द्र में खुलेआम सामूहिक नकल चल रही थी। यहां तैनात शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने ठेका लिया था कि वे हर हाल में नकल कराएंगे, इसी के चलते परीक्षाकेन्द्र भी बदला गया था परंतु नकल बदस्तूर कराने का प्रयास किया और जब पुलिसकर्मियों ने उसे रोकने की कोशिश की उन पर हमला बोल दिया गया। दो पुलिसकर्मी घायल भी हुए। अब ये कर्मचारी संगठन हमलावरों को निर्दोष बता रही है। कर्मचारी संगठन का यह कदम अप्रत्यक्ष नहीं बल्कि प्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार का समर्थन एवं शासकीय कार्य में दखलंदाजी है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि इन दिनों मध्यप्रदेश के भोपाल में भाजपा कर रही है। एक भ्रष्टाचारी एवं अपनी पत्नि के अलावा दो दो युवतियों से अवैध संबंध बनाए रखने वाले मध्यप्रदेश पर्यटन निगम के अध्यक्ष एवं विधायक धु्रवनारायण सिंह के खिलाफ जब सीबीआई कार्रवाई कर रही है तो भाजपा बयान जारी कर खुलेआम बोल रही है कि हम सब धु्रवनारायण सिंह के साथ हैं। मानो दो दो महिलाओं से अवैध संबंध बनाने वाला विधायक भाजपा की पहचान बन गया हो, जिसे जिसके खिलाफ कोई भी कार्रवाई उसका संगठन बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है।
वाह रे लोकतंत्र