नसबंदी को लेकर इस कदर क्यों पिल पड़ा है प्रशासन

सेन्ट्रल डेस्क
शिवपुरी में इन दिनों नसबंदी सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। हालात यह हो गए हैं कि यदि बस चले तो कलेक्टर आपातकाल घोषित कर लोगों को घरों से निकाल-निकाल नसबंदी करा डाले। प्रचार-प्रसार, आयोजन, सभाएं और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को टारगेट यहां तक तो समझ आता है, लेकिन पटवारियों तक को नसबंदी के टारगेट, लोगों की वेतनवृद्धियां रोकना, दण्डित किया जाना और पूरी की पूरी ताकत झोंक देना समझ नहीं आ रहा।
समझ यह भी नहीं आ रहा कि क्या शिवपुरी की जन्मदर इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि यदि अभी के अभी नसबंदी नहीं की गई तो भारत की आबादी चीन से ज्यादा हो जाएगी और यदि नसबंदी कर दी गई तो शिवपुरी, भारत का सबसे बड़ी मेट्रोसिटी बन जाएगी।
सवाल यह उठ रहा है कि इस तमाम धकापेल से आखिर मिलेगा क्या..? फायदा क्या है.. जो इतनी उठापटक की जा रही है। इसके पीछे कलेक्टर का कोई छिपा ऐजेन्डा तो नहीं..?
शिवपुरी के तमाम प्रबुद्ध, जागरुक और जागृत लोगों को अब इस मामले को लाभ-हानि की तराजू पर तौल ही लिया जाना चाहिए।