सूर्य के मकर में प्रवेश करने पर मनती है मकर संक्रांति : पं.विकासदीप शर्मा

0
पं.विकासदीप शर्मा
शिवपुरी-मकर संक्रांति के बारे में यूं तो कई धारणाऐं व्याप्त है लेकिन विशेष तौर पर देखा जाए तो मकर संक्रांंति पर्व को तब मनाया जाता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है तब संक्रांति मनाई जाती है। शिवपुरी में भी मकर संक्रांति के अवसर पर प्रतिवर्ष मेले का आयोजन होता है। स्थानीय बाणगंगा कुण्ड में किए गए स्नान को भी संक्रांति के दिन विशेष फलदायी माना गया है। सुबह से ही शिवपुरी के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का आना शुरू हुआ हुआ और कुण्ड में स्नान के बाद पूजन विधि संपन्न कराने के साथ-तिल चढ़ाई गई। इस दिन का दान की परंपरा भी विशेष रूप से मानी जाती है तो दान-पुण्य का क्रम भी लगातार चलता रहा।
प्रतिवर्ष यूं तो 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाई जाती है लेकिन बीते कुछ वर्षों में देखा गया है कि मकर संक्रांति के दिन में भी अब परिवर्तन होने लगा है। जहां 14 अथवा 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाने लगी है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक बताया गया है कि एक-दो का अंतर कभी-कभी राशि के प्रभावों के कारण हो जाता है। शिवपुरी के ज्योतिषाचार्य विकासदीप अष्ठाना ने बताया है कि मकर के सूर्य राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति मनाई जाती है। वर्ष 2012 में बड़ा ही दुलर्भ महासंयोग इस बार बना है जिससे मकर संक्रांति के दिन किए जाने वाले दान-पुण्य से विशेष फल की प्राप्ति भी संभव है। इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाता है। 

धर्मशास्त्रों के अनुसार उत्तरायण देवताओं का दिन माना गया है। इस दिन विशेष रूप से सूर्य की पूजा की जाती है। इस बार मकर संक्रांति के पर्व पर सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि के योग के साथ भानु सप्तमी होने से सूर्य की उपासना कर दान-पुण्य करने से सौगुना फल मिलता है और यह दिन 15 जनवरी को मनाया जाना है क्योंकि इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही है क्योंकि 14 जनवरी की रात्रि 12:55 को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा इसलिए मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन जप,तप,दान-पुण्य, स्नान आदि कार्मिक क्रियाकलापों का महत्व है। इसदिन गंगाजी या पवित्र नदी के जल एवं किसी नदी के पानी से अथवा घर में भी गंगाजल मिलाकर स्नान करने से मकर संक्रांति का फल मिलेगा। संक्रांति के दिन तिल,गुड़ के व्यंजन, ऊनी वस्त्र, काले तिल आदि खाने या मंदिर अथवा धर्मस्थान पर रखना भी शुभ माना गया है साथ ही तिल, घी और काली उड़द की खिचड़ी का दान अथवा सेवन करने से शील का प्रकोप शांत होता है। यह सुखद संयोग पूरे दिन में 20 घंटे का महासंयोग है। इसलिए नगरवासियों से आग्रह हैकि वह मकर संक्रांति को विधि-के अनुसार पर्व मनाऐं तो यह सुखद फलदायी है।
Tags

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!