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श्री चिन्मयसागर जी महाराज |
शिवपुरी 5 दिसम्बर का. प्राचीनकाल में अपने अस्तित्व में रूप में जाना जाने वाला खनियाधाना के पचराई व गोलाकोट का आज जीर्णाेद्वारा का संल्प प्रसिद्ध मुनिश्री चिन्मय सागर जंगल वाले बाबा ने लिया है जिनके मार्गदर्शन में आज 900 वर्ष पुराने इस पचराई क्षेत्र का कल्याण होना तय है इसके लिए विधिवत कार्य भी श्ुारू कर दिया गया और देश के अलग-अलग क्षेत्रों से नक्काशी के रूप में कार्य करने वाले नक्काशी कारीगर अपनी कला के माध्यम से इस क्षेत्र को संवारने के कार्य में जुटे हुए है।
इस कार्य में जंगल वाले के शिष्यगण पारस चैनल के प्रमुख प्रकाश मोदी व बा.ब्र.अभय भैया एवं खनियाधाना के विनय भैया अपनी निगरानी कर इस मंदिर के संवारने में अपना सहयोग प्रदान कर रहे है। मुनिश्री की मंशानुरूप हो रहे इस कार्य में आगामी 11 दिसम्बर से पचराई में विशाल पंचकल्याणक कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है जिसके द्वारा प्राचीन क्षेत्र पचराई में जैन प्रतिमाऐं विधिवत स्थापित की जाऐंगी।
जिले के खनियाधाना क्षेत्र में जन-जन के कल्याण की सोच रखने वाले प्रसिद्ध मुनिश्री चिन्मय सागर जी महाराज जंगल वाले बाबा ने जिस प्रकार से शिवपुरीवासियों सहित प्रदेश और देशवासियों का कल्याण अपने आशीर्वाद से किया है ठीक उसी प्रकार से खनियाधाना के अतिशय क्षेत्र पचराई में अति प्राचीन जैन मंदिरों की दुर्दशा को देखते हुए जंगल वाले बाबा ने इसके पुर्नद्वार की सोच की और इसे साकार करने के लिए स्वयं आगे आकर शिष्यगणों से मंदिर का जीर्णाेद्वार कराना शुरू किया। बताया जाता है कि बीते 900 वर्ष पुराने इस अति प्राचीन मंदिरों का स्वरूप जो पूर्व में था वह अब बदला-बदला दिखाई पड़ता है क्योंकि यहां कार्यरत नक्काशी कारीगर अपनी कला के माध्यम से मंदिरों को नया स्वरूप देने में लगे हुए है।
मंदिर निमार्ण मे 27 शिखरों का निर्माण कार्य तीव्र गति से जारी है और मुनिश्री ने स्वयं पंचकल्याण महोत्सव के पूर्व इस मंदिर के कार्य को पूर्ण करा रहे है। सुविधाओं संसाधनों के अभाव में भी मुनिश्री ने किसी प्रकार की कोई कमी को बर्दाश्त नहीं किया और तत्समय अपनी आंखों के सामने मंदिर के निर्माण कार्य की गति को तीव्रता लाने के लिए ध्यान-साधना के साथ-साथ णमोकार मंत्र जाप भी जारी है। मुनिश्री के सानिध्य में कराए जा रहे इस मंदिर के निर्माण में जैन ही नहीं बल्कि अजैन बन्धु भी सहयोग प्रदान कर रहे है। मंदिर निर्माण का लगभग 50 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
पुरातत्व विभाग ने भी नहीं दिया ध्यान
खनियाधाना के पचराई में स्थित 900 वर्ष पुराने इस मंदिर के रखरखाव व जीर्णोद्वार के लिए पुरातत्व विभाग ने भी रूचि नहीं दिखा और आज इस मंदिर की दुर्दशा के लिए हर नागरिक पुरातत्व विभाग को कोसता है लेकिन अब लोगों में मुनिश्री के आशीर्वाद से आस जागी है और प्राचीनता के लिए इतिहास के साक्षी में कराहते इस क्षेत्र के विकास की परिकल्पना को साकार किया जा रहा है जहां मंदिर निर्माण को पूर्ण कराने के लिए मुनिश्री ने साकार कर दिखाया और इस कार्य को देखते हुए अब अन्य धर्मप्रेमी भी आगे आ रहे है। यदि समय रहते पुरातत्व विभाग इस धरोहर को संवारता तो आज वर्तमान परिस्थितियों में पचराई व गोलाकोट में बने प्राचीन मंदिरों की बात ही कुछ और होती।