राजनीति में राजा से रंक और रंक से राजा होने का समय आ गया है

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पं.विकासदीप शर्मा 
शिवपुरी- श्री मंशापूर्ण ज्योतिष केन्द्र एवं शोध संस्थान में गोल्ड मेडलिस्ट पं.विकासदीप शर्मा (मंशापूर्ण पुजारी)के मुताबिक शनि के प्रभाव की व्याख्या ज्योतिष के मुताबिक की गई है इसके अनुसार श्री शर्मा ने सर्वप्रथम शनिदेव को न्याय का देवता बताया। जो तुला राशि में शनि 15 नवम्बर 2011 को सायं 4 बजकर 35 मिनट में प्रवेश कर चुका है, शनि देव अपनी उच्च राशि में तो आ ही रहे है साथ ही मेष राशि को सप्तम दृष्टि से पूर्ण रूप से देख भी रहे है। सूर्य पुत्र शनिदेव के आने से झूठे और बेईमान राजनीतिज्ञ सावधान हो जाये क्योंकि शनि अपने स्वरूप और गुण के आधार पर फल देंगे।

शनि देव हर प्राणी के साथ न्याय करते है, भारत में राजनीति करने वाले इतने घोटाले कर लिए है की इनको दंड तो मिलेगा ही चाहे वो किसी भी पार्टी का हो, भारी उथल-पुथल होगी, राजनीति में राजा से रंक और रंक से राजा होने का समय आ गया है, भारत की राजनीति में दिखेगा भारी उतार चढ़ाव, पिली धातु का मिला जुला असर, ध्यान रहे कि जब भी शनिदेव किसी राशि में अशुभ होकर वक्री हो तो जातक को मानसिक एवं शारीरिक कष्ट, बीमारी, रोग, आर्थिक परेशानी जैसे लख्ण, प्रभाव दिखाई देते है समाज में भी कहीं राजनीतिक टकराव, अव्यवस्था, अत्याधिक महंगाई, हिंसक घटनाऐं, असंतोष, अस्थिरता, भूकम्प, अकाल, कठोर गंभीर रोग का भय, उपद्रव जैसी प्राकृतिक आपदाओं का डर एवं असुरक्षा का वातावरण बनता है। शनि के नक्षत है पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद, शनि दो राशियों मकर और कुम्भ के स्वामी है, शनि की तीसरी, सातवीं और दसवीं दृष्टि मानी जाती है। शनि देव-सूर्य, चन्द्र, मंगल को शतु, बुध और शुक्र को मित्र तथा गुरू(बृहस्पति) को सम मानते है, शनि महान दृढ़ शक्ति के स्वामी और अधिकारी है, कुंडली में शनि जिस भाव में है और जहां पर उनकी दृष्टि जाएगी, उस भावों के अनुसार फल प्राप्त होंगे। कुंडली में शनि यदि चौथे, छठे, आठवें, बारहवें भाव में किसी नीच या शत्रतु राशि में बैठा हो तो निश्चित ही आर्थिक, मानसिक, भौतिक, पीड़ाऐं अपनी महादशा, अन्तर्दशा में देगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।
कैसे करें शनि देव को प्रसन्न

 ॐ पां पीं पौं स: शनिश्चराय नम:, इस मंत्र का शनिवार के दिन 23000 जाप करें या नित्य 108 पाठ करने से लाभ प्राप्त होगा। शनि का ध्यान करने के लिए ऊॅं नीलांजनसमाभमं रविपुतं यमागजमा, छायामार्तण्डसम्भतं तं नमामि शनैश्चरम्।। शनि गायती का रोज 11 बार पाठ करनें से भी शनि आराधना होती है। शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाऐं। शनिवार को काले घोड़े की नाल की अंगूठी मध्यमा अंगुली में पहनें, मंगल और शनि के दिन मांस, मदिरा, बीड़ी-सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करें। पीपल को जल दें अगर ज्यादा ही शनि परेशान करें तो शनिवार के दिन शमशान घाट या नदी के किनारे पीपल का पेड़ लगाऐं। रत्न या अपरत्न धारण करें जिनकी कुण्डली में शनि शुभ हो वे जाकत शनि के रत्ना जैसे-नीलम, जामुनिया, नीला कटेला आदि शनिवार को धारण करें। शनि से संबंधित दान-जिस जातक की कुण्डली में शनि खराब है वे काले उड़द, चने, काले कपड़े, चमड़े के काले जूते, तिल, लोहा, तेल, नीलम आदि दान करें।

इन पर पड़ेगा प्रभाव 
शनि का प्रभाव बीते 15 नवम्बर 2011 को रात्रि 10:56 बजे से भगवान शनि का आगमन तुला राशि में हुआ जिसके फलस्वरूप सिंह राशि पे चल रही साढ़ेसाती समाप्त होगी, वृश्चिक राशि पे साढ़ेसाती की शुरूआत होगी और कन्या राशि व तुला राशि वालों पर क्रमश: तीसरा चरण (अंतिम) व मध्य चरण चलेगा, कर्क राशि व मीन राशि पर ढैया की शुरूआत होगी और मिथुन राशि वालों को भी थोड़ी परेशानी मिल सकती है। अत: इन राशियों से संबंधित जातकों को इस दिन मंदिर जाकर शनिदेव का विशेष पूजन करना चाहिए।
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