पक्ष-विपक्ष पर भारी धैर्यवर्धन

त्वरित टिप्पणी
राजू (ग्वाल) यादव
शिवपुरी- जनता के मर्म को समझकर राजनीति करने वाले लोग कई मिल जाऐंगे लेकिन मन से जनता की सेवा किए जाने वाले कुछ ही लोगों में देखने को मिलेंगे उन्हीें में से एक है भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश मंत्री धैर्यवर्धन शर्मा। जो बीते लंबे समय से एम.पी.यू.पी. विवाद के चलते नागरिकों की समस्याओं को अपने जेहन में पाले हुए सब देख रहे थे और एक दिन एक ऐसी किरण जागी कि उन्होंने जनता की आवाज को बुलंद करने के लिए और यात्रियों को पर्याप्त सुविधा बिना किसी रोकटोक के मिले ऐसा सोचकर अनशन(भूख हड़ताल) पर बैठ गए, न कोई चेतावनी दी न कोई दिखावा किया बस में मन में आया तो केवल जनता की सेवा और एक जनप्रतिनिधि के नाते अपने नैतिक दायित्व का निर्वहन श्री शर्मा ने करके दिखाया जहां उन्हें इस कार्य में सफलता मिली जिसका परिणाम यह हुआ कि प्रशासन के प्रतिनिधि दल ने दो बार की चर्चा के दौरान जनता व श्री शर्मा के मर्म को समझते हुए महज 10 दिन में झांसी रूट पर चलने के लिए बसों की मंजूरी दिलाने का आश्वासन दिया।


इतने से भी जब श्री शर्मा का मन नहीं भरा तब मीडिया के समक्ष उन्होंने बयानबाजी कर कह दिया कि इस आश्वासन के बाद भी यदि बसों का नियमित संचालन झांसी रूट पर नहीं होता है और यात्रियों व जनता को असुविधा होती है तो वह पुन: आन्दोलन से पीछे नहीं हटेंगे और इस संभावित जीत से जनता श्री शर्मा को कोटि-कोटि धन्यवाद देती है।
 
गौरतलब है कि बीते चार माह से एम.पी. यू.पी. विवाद के चलते झांसी जाने वाले यात्रियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है एक ओर तो नागरिकों को फोरलेन मार्ग की सुविधा मिल गई जिससे समय की बचत हुई और झांसी पहुंचने में महज दो घंटे का समय लगने लगा लेकिन आज परिस्थितियां बदली-बदली दिखाई दे रही है जहां झांसी जाने में ही नागरिकों को अपनी जान से खिलवाड़ कर सफर करना पड़ रहा है। जनता के इस दर्द को न तो प्रशासन ने देखा और ना ही शासन ने जो नागरिकों को सुविधा के लिए इस विवाद को खत्म कर नियमित रूप से एम.पी. यू.पी. में बसों का संचालन कर सके। इस पीड़ा को अनुभव किया भाजयुमो के पूर्व प्रदेश मंत्री धैर्यवर्धन शर्मा ने जो बीते लंबे समय से नागरिकों की समस्याओं से अवगत तो हुए ही साथ ही उन्होंने हालातों का जायजा भी लिया। 
 
एक जनप्रतिनिधि के रूप में जनता के दर्द को समझकर उसे दूर करने के लिए स्वयं के प्रयास किए जहां उन्होंने स्वयं पूर्व विधायक कामता प्रसाद बेमटे से चर्चा उपरांत इस समस्या का हल करने के लिए गृह राज्यमंत्री जगदीश देवड़ा से चर्चा की बात की। इस पर भी चर्चा उपरांत कोई असर नहीं दिखा तो स्वयं श्री शर्मा ने जनता की आवाज को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए बिना किसी सूचना और प्रचार प्रसार के भूख हड़ताल पर बैठने का ऐलान कर दिया। अपनी ही पार्टी में अपने ही खिलाफ बगावत होते देख अन्य भाजपाई सकते में आ गए और उन्होंने भी श्री शर्मा को काफी समझाने का प्रयास किया लेकिन जब कोई परिणाम ही निकल कर नहीं आ रहा था तो भोली-भोली जनता को न्याय कैसे दिलाया जए। इस सोच को सार्थक करते हुए श्री शर्मा अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए और उनका उद्देश्य था कि मुख्यमंत्री शिवपुरीवासियों के दर्द को समझें और झांसी रूट पर चलने वाली बसों का नियमित संचालन शुरू करा सके। आखिरकार उनकी आवाज को प्रशासन ने सुना और गत दिवस प्रशासन के प्रतिनिधि दल में पहुंचे तहसीलदार आर.ए.प्रजापति, परिवहन अधिकारी अशोक निगम, यातायात प्रभारी नरेन्द्र त्रिपाठी व नगर निरीक्षक दिलीप यादव ने इस अनशन को तुड़वाते हुए दस दिन का समय मांगा और लेकिन इस आश्वासन को महज आश्वासन मानकर ही श्री शर्मा ने अनशन तोड़ा और समस्या का निदान न होने पर पुन: आन्दोलन की चेतावनी भी दी गई। इस आन्दोलन को यदि राजनीति दृष्टि से देखा जाए तो विपक्ष को सामने आना था लेकिन श्री शर्मा ने अपने ही पार्टी के खिलाफ जनता की आवाज को बुलंद करते हुए अन्य सभी जनप्रतिनिधियों को यह सबक दे दिया है कि जनता के हित में पार्टी नहीं बल्कि जनता आगे है क्योंकि राजनीति भी जनसेवा का ही माध्यम है इस तरह की राजनीति करना यदि हर कोई सीख जाए तो जनता कभी दु:खी और समस्याओं से घिर नहीं होगी। 
 
इस तरह देखा जाए तो इस आन्दोलन से धैर्यवर्धन शर्मा ने जो समर्थन हासिल किया है उससे वह पक्ष और विपक्ष दोनों पर ही भारी पड़ गए है और झांसी जाने वाले यात्रि श्री शर्मा के प्रति कोटि-कोटि धन्यवाद करते नहीं अघाते...।