लुटेरा विभाग: मीटर रीडर सो रहे है और विभाग आंकलित बिल थमा रहा है

शिवपुरी। बिजली विभाग की मनमानी के कारण उपभोक्ताओं को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं, क्योंकि बिजली विभाग द्वारा उन्हें आंकलित खपत के बिल थमाए जा रहे हैं जबकि उपभोक्ताओं की मीटर रीडिंग के लिए विभाग द्वारा रीडर रखे गए हैं, लेकिन वह रीडिंग लेने नहीं जाते। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को आंकलित खपत का बिल प्राप्त होता है और वह बिल में संशोधन कराने के लिए कस्टम गेट, बिजली घर और आईटीआई पावर हाउस के चक्कर लगाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। 

जहां उन्हें अधिकारी नहीं मिलते तो वह परेशान होकर वापस लौट आते हैं जिससे उपभोक्ताओं के दैनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। वहीं बिलों में संशोधन न होने के कारण उपभोक्ताओं की लंबी-लंबी लाइनें भी कार्यालयों पर लगी रहती है जहां उन्हेंं धूप से बचने के लिए न तो कोई साधन है और न ही पानी की व्यवस्था। जिससे कई लोग बीमार भी हो रहे हैं।

जानकारी के अनुसार बिजली विभाग ने दो जोन पूर्व और पश्चिम में शिवपुरी शहर को बांट रखा है। पूर्व जोन को एई संदीप पांडे देखते हैं तो पश्चिम जोन को श्री तिवारी वहीं उक्त कार्य का फीडबैक कम्पनी देखती है जिसके द्वारा मीटर रीडर नियुक्त किए गए हैं, लेकिन रीडर मीटरों की रीडिंग लेने लोगों के घरों तक नहीं पहुंचते और घर बैठे ही मन मुताबिक रीडिंग लिख देते हैं जिससे उपभोक्ताओं के आने वाले बिलों में मीटर रीडिंग से भी अधिक रीडिंग दर्शा दी जाती है। 

ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को विभाग के चक्कर काटना मजबूरी बन जाती है जिन बिलों की रीडिंग नहीं दी जाती उन्हें आंकलित खपत के बिल थमा दिए जाते हैं और उपभोक्ता उन बिलों को संशोधन करवाने के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं और जैसे-तैसे अगर वह बिल संशोधन करवाने में सफल हो जाते हैं तो उन्हें अगले महीने जमा की गई राशि का जुड़ा हुआ बिल प्राप्त होता है जिससे उनके समक्ष और काफी समस्या खड़ी हो जाती है। 

ऐसी स्थिति में उपभोक्ता परेशान हो जाता है और वह प्रतिमाह बिल जमा कराने के बावजूद भी परेशानी में आ जाते हैं और जिस माह वह बिल में संशोधन न होने के कारण बिल जमा नहीं कर पाते तो उन पर अनाप-शनाप पैनल्टी लगाकर बिल की राशि दुगुनी हो जाती है और जब बिल की राशि अधिक हो जाती है तो ऐसे उपभोक्ता जिनकी आर्थिक स्थिति खराब है वह बिल जमा नहीं कर पाते। बाद में विभाग के अधिकारी उनके कनेक्शन विच्छेद कर देते हैं और बाद में उन्हें वह बिल जमा करने के लिए मजबूर किया जाता है।