अशुद्ध खान-पान ही संस्कृति और मर्यादा हनन का मुख्य कारण: मुनि श्री अजितसागर

शिवपुरी। जीवन जीने के लिये आवश्यक कार्यो की आवश्यकता होती है, जबकि आज का व्यक्ति अनावश्यक कार्यों में अपना ज्यादा समय व्यतीत करता है। आवश्यक कार्य जहाँ पुण्य बंध का कारण है, वहीं अनावश्यक कार्य सिर्फ पाप का ही बंध कराते हैं। पेट भरने के लिए खाना आवश्यक है, शु़द्धता पूर्वक सात्विक भोजन करना आवश्यक है, परंतु अनावश्यक और अशुद्ध वस्तु को ग्रहण करने से शरीर तो खराब होता ही है, जीवन भी पापमय हो जाता है। 

पहले लोग दूध पीते थे, तो स्वस्थ रहते थे। पर जबसे अंग्रेजों ने चाय का प्रचलन चलाया है, हमारे देश की संस्कृति और मर्यादा का हनन हुआ है। जो भारत सोने की चिडिय़ा था, वहाँ आज शराब, माँस, अंडे, मैगी चाय और शीतल पेय आदि का प्रचलन तेजी से बढ़ता चला जा रहा है। यही कारण है, हम नैतिक पतन की ओर जा रहे हैं। उक्त मंगल प्रवचन स्थानीय महावीर जिनालय पर पूज्य मुनि श्री अजितसागर जी महाराज ने विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुये दिये।

उन्होंने कहा कि सोच समझकर जीवन शैली को पवित्र बनाएं और मंदिरों के संस्कार घर ले जाना अच्छा है। धर्म ग्रंथों का पाठन, सदाचारियों का गुणगान, सत्संग और संत समागम का लाभ जितना मिले लेना चाहिये। और जब तक मोक्ष ना मिले, प्रभु और गुरु की पूजन-भक्ति करते रहना चाहिये। अपने मन को निर्मल बनाने हेतु महापुरुषों की यशोगाथा का गुणगान करके पौराणिक ग्रंथों से प्रेरणा लेकर अपनी विचार शैली में परिवर्तन करते हुए अपने चित्त को धर्म के अनुरूप बनाएं, और विपरीतता में भी अपनी मर्यादाओं को बनाए रखें।

ऐलक विवेकानंदसागर महाराज ने कहा- कि संयम पालन करने के लिए धार्मिक ग्रंथों का पठन- पाठन प्रवचन सुनना चाहिए। जहाँ तक बने बाजार की बनी बस्तुओं का सर्वथा त्याग करना ही चाहिये, परंतु इतना न हो सके तो कम से कम जिन वस्तुओं में माँस आदि मिला रहता है, उनको खाने के भाव भी मन में नहीं होना चाहिए। जितना हो सके, अपना जीवन धर्ममय बनाना चाहिए। 

संत समागम सदैव हमें दुर्गति से बचाता है। संत और साहित्य समाज का दर्पण होते हैं, जो हमें सुख-शांति का अनुभव कराते है। और हमारी शक्ति को देखाते है। उनके माध्यम से हम अपनी बुराईयों को दूर कर जीवन सुधारने का प्रयत्न करें। आज की धर्मसभा में रहली, हरपालपुर, बबीना, खजुराहो, बीनाा, गंजबासोदा से सैकड़ों श्रावकों ने दर्शन प्रवचन का लाभ लिया। 

14 सितम्बर ‘हिंदी दिवस‘ पर विशाल छात्र सम्मेलन मानस भवन में
परम पूज्य जैनाचार्य संत शिरोमणी श्री विद्यासागर जी महाराज के 50 वें मुनि दीक्षा संयम स्वर्ण महोत्सव बर्ष के अवसर पर एक ‘‘शाकाहार निबंध प्रतियोगिता‘‘ आयोजन किया गया था, जिसमे शहरभर के सभी स्कूलों के लगभग 1300 से उपर विद्यार्थियों ने भाग लिया था। इस प्रतियोगिता के विजयी प्रतियोगियों के नाम हिंदी दिवस 14 सितम्बर को मानस भवन में दोपहर 1:30 पर विशाल छात्र सम्मेलन में घोषित किये जायेंगें।