ग्राम चंदावनी में समय से पहले बंद हो जाता है शासकीय स्कूल!

शिवपुरी। शिवपुरी जिले के पिछोर विकासखण्ड अंतर्गत आने वाले ग्राम चंदावनी मिडिल स्कूल बीते लंबे समय से अपने निर्धारित समय पर ना तो खुलता है ओर ना ही समय पर बंद होता है। ग्रामीणों द्वारा बताया जाता है कि चंदावनी का यह शासकीय माध्यमिक विद्यालय शिक्षा विभाग की सभी नियम कायदों को खूंटी पर टांग कर संचालित हो रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि यहां के प्रधानाध्यापक अपनी मनमर्जी से आते है और मनमर्जी से स्कूल से चले जाते है। इसका जीता जागता प्रमाण गत दिवस एक मीडिया टीम ने भी देखा जहां दोप.3 बजे ग्राम चंदावनी का यह माध्यमिक स्कूल बंद मिला। जब विद्यालय पर अंकित प्रधानाध्यापक रामप्रसाद गुप्ता के दूरभाष पर उनसे स्कूल बंद होने की जानकारी ली तो कहा कि वह अभी कुछ समय पहले ही स्कूल से आए है लेकिन इस तरह अपनी मर्जी से स्कूल छोड़कर चले जाना यह भी तो नियम विपरीत है।

ऐसे में बाद में सकपकाए स्कूल प्रधानाध्यापक लगभग 4 किमी दूर से फिर लौटकर स्कूल आए और ताले खोले। यहां विद्यालय में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावकों ने भी विद्यालय प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और कहा कि  हमारे बच्चों का भविष्य यह स्कूल प्रबंधन कर रहा है जहां शासकीय योजनाओं को भी मटियामेट किया जा रहा है और विद्यालय प्रबंधन अपनी मनमर्जी से संचालित हो रहा है। इस संबंध में ग्रामीणों ने शासन से कार्यवाही की मांग की है। वहीं दूसरी ओर इस मामले में डीईओ ने स्कूल प्रबंधन की हीलाहवाली को लेकर नोटिस जारी कर दिया है।

शासन की योजनाओं को लग रहा पलीता
बताया जाता है कि ग्राम चंदावनी में पूरी तरह से शासकीय योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है। यहां मध्याह्न भोजन योजना तो जैसे पूरी तरह बंद सी हो गई है। बताया गया है कि स्कूल में दर्ज बच्चों की सं या को देखते हुए कागजों में ही मध्याह्न भोजन का आवंटन और वितरण समूह द्वारा किया जा रहा है जहां विद्यालय प्रबंधन की मिलीभगत की चर्चा भी सुनाई देती है।

चर्चा तो यहां तक है कि विद्यालय में पदस्थ प्रधानाचार्य ने अपने हितों को साधने के लिए बच्चों को मिलने वाली गणवेश और अन्य सामग्री भी खूब बारे-न्यारे किए है जिसमें ग्रामीणों से इन बच्चों को मिलने वाली योजनाआं के बदले इनकी सेवा करनी पड़ती है तब कहीं जाकर बच्चों को पुस्तकें, गणवेश और मध्याह्न भोजन तो कभी-कभार मिल पाता है।

दूरस्थ क्षेत्र में होने के कारण नहीं जाता प्रशासन का ध्यान
ऐसा नहीं है कि यह विद्यालय शासकीय कागजों में दर्ज नहीं है चूंकि विद्यालय शासकीय है तो निश्चित रूप से स्कूल में दर्ज बच्चों के हिसाब से सारी योजनाओं का क्रेडिट भी इस विद्यालय को मिलता है। लेकिन बताया जाता है कि विद्यालय प्रबंधन ने अपनी मनमानी पूर्वक स्कूल को चलाने की योजना बनाई और आज कागजों में सारी योजनाओं को सुचारू रूप से संचालित होना बताया गया इसके साथ ही बच्चों को ना तो यहां बेसिक शिक्षा दी जाती और ना ही बच्चों को योजनाओं का लाभ मिल पाता।

नगर से दूरस्थ रहने के कारण यहां विद्यालय में सभी योजनााऐं मटियामेट की ओर है लेकिन कागजों में यह पूर्णत: संचालित होना बताई जाती है। ऐसे में दूरस्थ होने के कारण यहां शिक्षा विभाग व प्रशासन ध्यान नहीं दे पाता जिसका फायदा विद्यालय प्रबंधन उठाता है जिसका जीता जागता प्रमाण मीडिया की टीम ने भी अपने कैमरों में कैद कर प्रशासन का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया।

जिसमें बताया कि किस प्रकार से विद्यालय के प्रधानाध्यापक मनमर्जी से विद्यालय को समय से पहले ही बंद कर गए और जब दूरभाष पर चर्चा की तो वह पुन: लौटकर विद्यालय में आ गए। ऐसे में यह सभी प्रमाण इस ओर कार्यवाही के लिए पर्याप्त है अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन क्या कार्यवाही करता है?