मां बलारी के दरवार में आज भी राजा नल का नेजा ही सबसे पहले चढाया जाता है

शिवपुरी। शहर से 30 किमो दूर नेशनल पार्क की सीमा में मां बलारी के दरबार में कल सप्तमी के दिन नेजे चढाने का दौर जारी रहा। बताया गया है कि इस बार भी मां बलारी पर सबसे पहले नरवर के राजा नल का ही नेजा चढाया गया,और इस नेजे को नरवर निवासी बडी धूमधाम से नरवर से सैकडो भक्त 30 किमी की पैदल यात्रा कर लाते है।

नेशनल पार्क के बियावान जंगल में 1 हजार पूर्व प्रकाट्य हुई मां बलारी मां बलारी पर चैत्र के नवराात्रि पर मां के दरबार में नेजे चढाने का रिवाज है,और यह प्रथा मां के प्रकाट्य से ही चली आ रही है,और यह प्रथा आज भी अनवरत जारी है,और इस प्रथा में सबसे पहले मां के दरवार में राजा नल का नेजा चढाया जाता है,और इसी क्रम में कल सबसे पहले नरवर से आया गया नेजा ही सबसे पहले चढाया गया।

इस नेजे चढाने की प्रथा में बताया गया है कि जो भी व्यक्ति मां के दरवार में नेजा चढाता है उस पर मां की साल भर कृपा रहती है,इसी क्रम में कल सप्तमी के दिन मां के दरबार में हजारो ज्वारे और नेजे चढाए गए।


छठी और सप्तमी के दिन मां के दरवार में इस बियावान जंगल में मेला भरता है,इस दोनो दिनो में क्या बच्चा,क्या बूढा,महिलाओ सहित पैदल और अपने वाहनो से मां के दरबार में पहुचते है। इस मेले में जिस व्यक्ति की मन्नत पूरी होती है वह पैदल ही मां के दरबार में जाता है।

बताया गया है कि मां की मूर्ति राजा नल से समय की है और इसे पुरात्तव विभाग 1 हजार साल पुरानी मानता है,यह भी बताया गया है कि यह मां की प्रतिमा एक चट्टान का फाड कर प्रकट हुई है,और कुछ श्रद्वालु मां के इस प्रकाटय स्थल के दर्शन इस मंदिर से 2 किमी दूर अंदर जंगल में करने जाते है।