शिवपुरी. नगर पालिका शिवपुरी के दोहरे मापदण्ड का परिणाम यह निकला कि विगत वर्षों पूर्व सालों से बैठे गरीब रोजगार स्टालधारियों को तो उसने हटवा दिया मगर पक्के अतिक्रमण के प्रति नगर पालिका हमेशा मौन रही। एक जागरूक अभिभाषक विजय तिवारी की याचिका पर माननीय न्यायालय के निर्देशानुसार ठण्डी सड़क स्थित नगर पालिकाओं के शासकीय आवास खाली कराए जा रहे है और खाली होते हुए आवास यह संदेश दे रहे है कि ठण्डी सड़क पर इन आवासधारियों ने कितना अतिक्रमण वर्षों से कर रखा था।
यदि इस अतिक्रमण को नगर पालिका के प्रयासों से हटाया जाता तो पिछले 30 वर्षों से यातायात को लेकर शहर के प्रमुख मार्ग कोर्ट रोड़ पर जो दबाब है वह निश्चित तौर पर कम हो जाता। 10 से 15 फिट के अनुमान में इन आवासधारियों ने अतिक्रमण कर रखा था अब यह माननीय न्यायालय के निर्देश पर आवास खाली कर रहे है तो उस अतिक्रमण को भी इसलिए तोड़ रहे है चूंकि इस अतिक्रमण को करने में उनका निजी खर्चा हुआ था जिसमें ईंट, लोहे के ऐंगिल एवं टीनशेड के माध्यम से यह अतिक्रमण किया गया था वह आज अपनी सत्यता की दास्तां बयां कर रहा है।
अभी भी नगर पालिका ठण्डी सड़क पर इसको आधार मानते हुए यदि अतिक्रमण विरोधी मुहिम चलाती है तो लगभग 15 फिट जमीन आवागमन के लिए मुक्त की जा सकती है। इस रोड़ पर निजी भवन स्वामियों ने भी अतिक्रमण कर रखा है और यह मार्ग सीधा एबी रोड़ से जाकर मिलता है। जहां एक होटल ने भी अतिक्रमण कर रखा है। अभिभाषक विजय तिवारी ने नगर पालिका के शासकीय आवासों में रह रहे लोगों के संदर्भ में एक जनहित याचिका माननीय न्यायालय में दायर की थी जिसके संदर्भ में न्यायालय ने अपना फै सला दिया है। नगर पालिका के खिलाफ इस याचिका का सबसे विचित्र पहलू तो यह है कि ठण्डी सड़क पर जो लोग निवास कर रहे है उनमें अधिकांशत: लोग नगर पालिका के कर्मचारी ही नहीं है।
आखिर क्या वजह थी कि नगर पालिका ने इनको शासकीय आवास आवंटित किए। यदि किराएदार के तौर पर यह नगर पालिका की संपत्ति पर काबिज थे तो माननीय न्यायालय के समक्ष नगर पालिका ने अपना पक्ष क्यों नहीं रखा? सूत्रों के मुताबिक अनुविभागीय कार्यालय में इन आवासों को लेकर जो मामला चला उसमें तत्कालीन सीएमओ ने नगर पालिका की तरफ से दायर याचिका को वापिस लिया था। आखिर क्यों यह याचिका वापिस ली गई, क्यों माननीय न्यायालय को किराएदारों के संबंध में जानकारी दी गई यह अपने आप में नगर पालिका की कार्यप्रणाली को प्रमाणित करता है।
फिलहाल न्यायालय के निर्देश पर मकानों के खाली होन की प्रक्रिया जारी है और लगभग मकान खाली हो चुके है मगर फिर भी कुछ किराएदारों को स्टे आदेश मिलने के कारण यह प्रक्रिया रूकी हुई है। लेकिन इस प्रक्रिया ने यह साबित कर दिया कि नगर पालिका आवासों में निवास करने वाले किराएदारों ने ठण्डी सड़क पर कितना अतिक्रमण वर्षों से करके रखा हुआ है।
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