फिर संकट में फोरलेन: जमीन किसी की मुआवजा किसी और को

शिवपुरी से देवास के बीच बनने वाली फोरलेन सड़क में मंजूरी का पेंच अभी सुलझा नहीं है कि भूमि अधिग्रहण में हुई गड़बड़ी से किसान नाराज हो गए हैं।

बदरवास में 100 से अधिक ऐसे भूमि मालिक हैं, जिन्हें मुआवजा न देते हुए पुराने भूमि स्वामी के खाते में राशि भेज दी गई। जमीन का सरकारी रेट तथा मुआवजा राशि के बीच साढ़े सात गुना अंतर होने की वजह से किसान अब न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं। जबकि अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते दिख रहे हैं।

मुआवजे की राशि के लिए वर्ष 2010-11 के रिकार्ड के आधार पर भूमि मालिक का नाम लिया गया। लेकिन दो साल में वो जमीन दूसरे लोगों ने खरीद ली। अब पुराने किसान (जिसके नाम से मुआवजा मिल रहा है), के पास खसरे की नकल नहीं है, क्योंकि अब जमीन का मालिक दूसरा है। उधर नए भूमि स्वामी के नाम से पत्र न आने की वजह से राशि पुराने किसान को ही दी जा रही है। जमीन बेच चुके किसान भी इस इंतजार में हैं कि किसी तरह मुआवजा उनके खाते में आ जाए।
  
एसडीएम कार्यालय कोलारस से 12 सितंबर 2013 को पत्र जारी किया गया। जिसे क्षेत्रीय पटवारी तीन माह बाद दिसंबर में बांट रहे हैं। पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि जमीन से संबंधित आवश्यक दस्तावेज बैंक पासबुक की फोटोकॉपी, भूमि स्वामी की किताब व कंप्यूटरीकृत खसरा, यूको बैंक शिवपुरी में जमा कराएं। ताकि आपके खाते में मुआवजा राशि डाली जा सके। पत्र मिलते ही किसानों ने मुआवजा राशि के लिए भूमि मालिक का नाम बदलवाने के लिए आवेदन एसडीएम कार्यालय में दे दिया।

भूमि मालिक हरीचरण पुत्र प्रेमनारायण, हरवीर किरार, दिनेश नारायण, कैलाश पुत्रगण पहलवान सिंह, सिरनाम पुत्र हमीर सिंह, श्रीकृष्ण शर्मा, आदि का कहना है कि मुआवजा राशि कम मिलने की वजह से हम न्यायालय जा रहे हैं। किसानों का कहना है कि हमारी जमीन लगभग एक वर्ष पूर्व 28 जनवरी 2013 को अधिग्रहित कर लिया, लेकिन मुआवजा तो अब दे रहे हैं। इसलिए वर्तमान रेट से जमीन की कीमत तय की जाए। अधिग्रहण की वजह से हम अपनी जमीन दूसरे को बेच भी नहीं पाए।