काम था सफाई का, सफाई तो हुई नहीं, पर साहब तो माल साफ कर गए

राजू (ग्वाल) यादव/ शिवपुरी/ शासन की योजनाओं में सेंध लगाने वाले अधिकारियों के कारनामों की यदि बात की जाए तो शायद लंबी फेहरिस्त निकलकर सामन आएगी लेकिन हम बात कर रहे शिवपुरी में इन दिनां समग्र स्वच्छता अभियान की जहां संबंधित विभाग के अधिकारी को सफाई का काम मिला था लेकिन यहां सफाई तो नहीं हुई पर साहब जरूर माल साफ कर गए। यहां बता दें कि इस योजना के तहत करोड़ों रूपये की राशि स्वीकृत हुई है जिसमें विभागीय अधिकारी सांठगांठ कर सफाई की जगह स्वयं के माल को ही पचाने में लगे हैं।

जी हां! शवपुरी जिले में घरों में शौचालय बनाने के नाम पर समग्र स्वच्छता अभियान में प्रदाय किए बजट में भ्रष्ट अधिकारियों ने अपना कारनामा दिखा दिया है। भोपाल मुख्यालय से जिले को शौचालय निर्माण के लिए जो टारगेट दिया गया था उस टारगेट को पूरा करने में समग्र स्वच्छता अभियान से जुड़े अफसर नाकाम रहे है। जिले को प्रदाय बजट में भ्रष्ट अधिकारियों ने जमकर सेंध लगा दी है और इस बजट को मनमाने अंदाज में खर्च करके जबर्दस्त ढंग से भ्रष्टाचार किया है। प्रदाय बजट में अधिकारियों ने कागजीबाड़ा करके कागजों में ही शौचालय बनाने का काम कर डाला है। जिले के कई आदिवासी परिवार आज ऐसे है जिनके घरों में शौचालय नहीं है मगर कागजों में इन आदिवासियों के घरों में शौचालय बनाना अधिकारियों ने दर्शा दिए है।

    सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिवपुरी जिले में समग्र स्वच्छता अभियान के अंतर्गत यहां पिछले पांच सालों से पदस्थ परियोजना अधिकारी सत्यमूर्ति पाण्डे ने बड़ा लंबा खेल किया है। सूत्र बताते हैं कि बीपीएल घरों में शौचालय बनाने के नाम पर बजट को मनमाने अंदाज मे परियोजना अधिकारी समग्र स्वच्छता अभियान सत्यमूर्ति पाण्डे ने मनमाने अंदाज में खर्च किया है। लाखों का बजट अधिकारियों ने चट कर लिया है जबकि वास्तविक हकीकत यह है कि कई घरों में शौचालय बने ही नहीं है। 

सूत्र बताते हैं कि शिवपुरी के जिला पंचायत में पूर्व में पदस्थ रहे एक सीईओ के मार्गदर्शन में भ्रष्टाचार का खेल खेला गया जिसमें समग्र स्वच्छता परियोजना कार्यालय के अधिकारियों की बराबर की भागीदारी रही। समग्र स्वच्छता अभियान के अंतर्गत शौचालय निर्माण के लिए 4200 रूपये प्रति शौचालय के मान से पैसा दिया जाता है। इस पूरे खेल में करीब 2 करोड़ 42 लाख रूपये खर्च होना बताया गया है मगर इस राशि में बड़े पैमाने पर कागजीबाड़ा करके फर्जी नाम पते दर्शाकर शौचालय बनाना बताए गए है जबकि वास्तविक हकीकत यह है कि कई गांवों में शौचालय बने ही नहीं।

ईओडब्लयू में चल रही है जांच!


शिवपुरी में समग्र स्वच्छता अभियान के अंतर्गत लाखों रूपया का घोटाला होने की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को भी है। बताया जाता है कि पूर्व में पदस्थ रहे एक जिला पंचायत सीईओ ने इस घोटाले को अंजाम दिया जिसमें परियोजना अधिकारी सत्यमूर्ति पाण्डे पर भी ऊंगलियां उठी। सत्यमूर्ति पाण्डे के खिलाफ भी ई.ओ.डब्लयू. में जांच की कार्यवाही प्रचलित होना बताई जाती है। सूत्र बताते हैं कि शिवपुरी में पिछले पांच सालों में जो बजट खर्च होना दर्शाया गया है उसके मुकाबले जमीनी हकीकत इसके विपरीत है। कई गांवों में शौचालय बने नहीं और राशि खर्च करना बताया गया है इसके अलावा अन्य मदों में भी राशि खर्च करके फर्जी बिल लगाए गए है।