सावधान अश्लीलता के शिकार में कहीं फंस न जाऐं आप?

राजू (ग्वाल) यादव
शिवपुरी-वाहन चालकों को हिदायत दी जाती है कि किसी भी प्रकार की लापरवाही अथवा किसी आपराधिक घटना से बचने के लिए हाईवे किनारे स्थित होटलों पर सावधानी बरतें अन्यथा किसी भी प्रकार की अनहोनी का शिकार हो सकते है लेकिन अक्सर देखा गया है कि यह चेतावनी महज चेतावनी तक ही सीमित हो रही है क्योंकि आज हाईवे किनारे होटलों व ढाबों पर वह व्यवस्थाऐं सुलभ उपलब्ध है जिनकी अपेक्षा ट्रक चालक अथवा अन्य आमजन, राहगीर चाहते है। हम बात कर रहे है अश्लीलता की जो कि आज सरेआम हाईवे पर होटल का संचालन कर रहे प्रतिष्ठान के स्वामियों द्वारा परोसी जा रही है। महज चंद रूपयों से लेकर अच्छी खासी मोटी रकम तक के रूप में दाम के अनुसार यहां कुंवारी से लेकर विवाहित महिलाऐं अपनी सेवाऐं देने के लिए मौजूद रहती है। इस ओर पुलिस का ध्या नहीं है यही कारण है यह कारोबार अब फलता-फूलता जा रहा है। पुलिस का यदि यही रवैया रहा तो फिर यहां भी चकलाघर जैसे कार्यों को होटल अथवा ढाबे संचालित बेतरतीब तरीके से संचालित करते जाऐंगे। एक ओर इसे ये सुविधा कहते है तो वहीं दूसरी ओर यह अश्लीलता एक भीषण बीमारी का रूप भी है।
शिवपुरी शहर की शांत आवोहवा को यदि कोई दूषित कर रहा है तो उसमें सर्वाधिक दोष आगरा-मुम्बई हाईवे के रूप में जाने जाने वाले मार्ग को दिया जा सकता है। क्योंकि यही मार्ग है जो शिवपुरी को प्रदेश के साथ-साथ अन्य प्रदेशों से भी संपर्क बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है। हम बात कर रहे है राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के नेशनल हाईवे क्रमांक 25 की जहां सरेआम इन दिनों अश£लीलता के रूप में देहवासना की दुकानें संचालित है। ऐसा नहीं है कि यह दुकानें पुलिस की नजर से बची हो बल्कि स्वयं पुलिसिया संरक्षण में शिवपुरी से के आसपास लगभग 10-12 किमी के फेर में हाईवे किनारे स्थिति होटल अथवा ढाबों पर कई महिलाऐं व कुंवारी कन्याओं और विवाहित स्त्री मिल जाऐंगी जो प्रतिदिन हजारों रूपयों का व्यवसाय अपने जिस्मफरोशी के रूप में कमा रही है। 

यूं तो यह एक घिनौना कृत्य है लेकिन हाईवे पर होटल व ढाबों को व्यावसायिक रूप प्रदान करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे है। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में हाईवे पर ट्रक ऑपरेट करने वाले चालकों को अपनी आमदनी के अनुसार यह सुविधाऐं प्रदान की जाती है। यही कारण है कि इसे वैश्यावृत्ति तो नहीं बल्कि सुविधा के नाम से इसे जाना जाता है। एक ओर यह अश£लीलता ट्रक चालकों को सुविधा लगती है तो वहीं दूसरी ओर इसकी अज्ञानता के कारण वह बीमारी के ऐसे गर्त में गिर जाते है फिर उठ तक नहीं पाते। कई बार होटल अथवा ढाबों पर पुलिस ने भी औचक कार्यवाही की लेकिन इस पकड़ में भी यह कारोबार संचालित करने वाले पुलिस के हाथ नहीं लगे और यदि लगे भी तो वह महज कुछ खनक चांदी के सिक्कों की पकड़ाकर अपने कार्य को बेखौफ तरीके से अंजाम देते है। 

हाईवे पर अधिकांशत: खाना खाने अथवा आराम करने के लिए रूका जाता है लेकिन इसी का फायदा यहां कार्य रहे नौकर अपने मालिक के इशारे पर ऐसी व्यवस्थाऐं जरूरतमंदों को उपलब्ध कराकर यह घिनौना कारोबार दिन प्रतिदिन बढ़ाने से बाज नहीं आ रहे। चाहे मुम्बई जाना हो अथवा आगरा दोनों ही ओर संचालित होटल अथवा ढाबों पर शहर से लगभग हर आधा-एक किलोमीटर के फासले पर ऐसी सुविधाऐं परोसते हुए देखी जा सकती है। जहां महिलाऐं रात्रि के समय तो अपनी सुविधाऐं दे रही है अब तो दोपहर और दिन भर यह रंगीन मिजाज अश£ीलता खुलेआम परोसी जाने लगी है। पुलिस को इस ओर ध्यान देना होगा अन्यथा शांत शहर की फिजा में घुलता जहर नासूर के समान भी साबित हो सकता है। अब देखना है पुलिस इस ओर क्या कदम उठाती है।
 
क्यों परोसी जा रही अश्लीलता? 
यदि देखा जाए तो आज महंगाई के इस युग में व्यक्ति को जहां रोजमर्रा में अपने खर्चों को लेकर हायतौबा करते देखा जा सकता है। ऐसे में अब इस समस्या से निजात पाने के लिए कई महिला-पुरूषों ने अश£ीलता रूपी रास्ते को अपनाकर अपना भविष्य संवारने की सोच बनाई है यह काम तो गलत है लेकिन कुछ परिवार तो इसी भरोसे चल रहे है। जहां पुरूष यदि घर में शराब पीकर कोई उत्पात मचाता है तो उसे शांत करने के लिए इस तरह के कार्यों को महिलाऐं अंजाम देती है। देखा जाए तो यह घृणित कार्य कोई स्त्री स्वेच्छानुसार नहीं करती परन्तु कहीं न कहीं कोई ना कोई समस्या उसकी ऐसी रहती है कि वह इस दल-दल में कूदने को मजबूर हो जाती है। वर्तमान समय की यदि बात की जाए तो इस धंधे को बढ़ाने में सर्वाधिक हाईवे पर होटल व ढाबे संचालित करने वालों का हाथ है जो अपने प्रतिष्ठान को संचालित करने के लिए इस तरह के गैर कानूनी कार्यों के द्वारा आमदनी बढ़ाने के काम कर रहे है।

शराब व शबाब का मजा लेते है ट्रक चालक  
अक्सर देखा गया है कि ट्रक चालक जो भी होता है वह सर्वाधिक शराब व शबाब का शौकीन होता है। यही कारण है कि होटल और ढाबों पर जितने भी ट्रक चालक रूकते अथवा ठहरहते है तो इन्हें इशारों इशारों में इस तरह की अश£ीलता चोरी छुपे परोस दी जाती है। जिसके लिए अच्छी खासी रकम भी इन चालकों को चुकानी पड़ती है। वहीं पुलिस की दूरदर्शिता से भी इन्हें दूर रखा जाता है और बेखौफ रूप से अश£ीलता के रूप में परोसी जाने वाली यह सामग्री सुलभ रूप से उपलब्ध हो जाती है। हाईवे किनारे संचालित ढाबे और होटल वाले इन ट्रक चालकों पर ही आश्रित रहते है इसलिए वे इस कार्य को और अधिक बढ़ावा देते है। कई जगह तो आदिवासी महिलाऐं इस कारोबार में रहती है तो वहीं दूसरी ओर कुछ अन्य जातियों की महिलाऐं व नव युवतियों इस कार्य को स्वेच्छा से अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ करने के लिए इस धंधे को अपनाती है।