विजय बिंदास शिवपुरी। रिश्वत खोरी और भ्रष्टाचार के लिए शासन के एक विभाग जिसे आप भ्रष्टाचार का ब्रांड के रूप में पहचानने वाला परिवहन विभाग का कल शिवुपरी की सडको पर भ्रष्टाचार का भ्रूण सडको पर भ्रमण करते हुए मिडिया के कैमरो में कैद हो गया। शिवपुरी की मिडिया को देखकर वह गायब हो गया। वसूली वह परिवहन कार्यालय के कर्मचारियो के साथ कर रहा था,लेकिन वह अपनी पहचान नही बता रहा था।
जानकारी के अनुसार पोहरी रोड पर स्थित महर्षि विदयालय के पास शिवुपरी आरटीओ कार्यालय का एक दस्ता आते—जाते वाहनो की चैंकिंग कर रहा था। इस सरकारी दस्ते में कुछ लोग वर्दी में थे और कुछ लोग सिबिल में थे।
बताया जा रहा है कि शिवपुरी की मिडिया को खबर मिली की जिला परिवहन विभाग का एक दस्ता पोहरी रोड पर वाहनो की चैंकिंग करते हुए अवैध वसूली कर रहा है। इसमे खास बात यह है कि इस दस्ते में चैंकिंग की पवार रखने वाला एक भी अधिकारी नही है। केवल परिवहन विभाग के सिपाही स्तर के अधिकारी हैं और जो वसूली का मोल भाव कर रहा है वह व्यक्ति सरकारी न होकर प्राईवेट है।
दोपहर लगभग 2 बजे शिवुपरी की मिडिया इस चैंकिंग स्थल पर पहुंचती हैं और परिवहन विभाग के इस अघोषित अधिकारी से बातचीत करती हैं,तो वह भागने लगता हैं,उससे उसकी पहचान मांगी जाती है तो वह उल्टे मिडिया से पहचान पत्र की डिमांड करने लगता हैं। वह परिवहन विभाग की गाडी में बैठकर आया था,ओर गाडी में उस जगह बैठा था जहां विभाग के उच्च अधिकारी बैठते है।
कुल मिलाकर पोहरी की सडक पर ऐसा लगा की परिवहन विभाग का भ्रष्टाचार का भ्रूण भ्रमण कर रहा है। बताया जा रहा है कि यह विभाग के बॉस का पर्सनल कटर हैं,और इसका नाम बंटू बताया जा रहा है। इससे पूर्व यह मुरैना में भी बॉस के साथ ही देखा पाया जाता था। मुरैना की मिडिया में भी इस पर्सनल कटर को जगह मिलती रहती थी।
कहने को शिवुपरी जिले परिवहन विभाग विभाग में पूरा का पूरा अमला जनता के हित में काम करने को सरकार ने वेतन पर रख रखा है,लेकिन यह सरकारी अमला जनता का काम नही करता हैं। बताया जा रहा हैं कि विभाग का बॉस अपनी कुर्सी पर नही बैठता हैं,अपने घर ही बैठकर फाईलो का निबटाया जाता है।
विभाग की दूरी भी बनी हैं भ्रष्टाचार का कारण
शिवपुरी का परिवहन कार्यालय शिवपुरी से 6 किमी की दूरी भी भ्रष्टाचार का मुख्य कारण हैं,आम जन अपने काम ये आरटीओ आफिस जाते है तो विभाग में अधिकारी सहित कर्मचारी अपनी कुर्सी पर नही मिलते हैं इस कारण वहां दलालो की आफिस सज धज गए हैं और जनता को दलालो के माध्यम से अपना काम करवना पडता हैं।
कुल मिलाकर आरटीओ विभाग का भ्रष्टाचार का ब्रांड कहे तो कोई अतिशोयक्ति नही होगी। विभाग का भ्रष्टाचार आफिस से निकल कर सडको पर घूमता मिल गया और मिडिया के कैमरो में कैद हो गया। अब देखना है कि इस मामले में क्या होता हैं।
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