शिवपुरी। शिवपुरी-गुना लोकसभा के सांसद एवं राष्ट्रीय महामंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश के नाथ कमलनाथ को पत्र लिखा हैं। सासंद सिंधिया ने इस पत्र का आशय है कि भाजपा की केन्द्र सरकार की लापरवाही के कारण इस देश के 10 लाख आदिवासी और वनवासी परिवार अपने अधिकारो से वचिंत हो गए है। आदिवासियो को अपना हक वापस दिलाने के लिए प्रयास के लिए लिखे गए इस पत्र को हम सशब्द प्रकाशित कर करे है।
माननीय कलनाथ जी
मुख्य मंत्री मप्र शासन
20 फरवरी को प्रकाषित हुए उच्च न्यायालय के निर्णय से देश भर के 10 लाख से ज्यादा अनुसूचित जनजाति और वन निवासी परिवारों के लिए चिंताजनक स्थिति उत्पन्न हो गई है। इनमें से 3.5 लाख परिवार तो सिर्फ मध्य प्रदेश से ही है, जिसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भाजपा प्रशासन में आदिवासियों और इन निवासियों द्वारा जमा किये गए दावों को किसी न किसी कारण से मान्यता नहीं दी जाती थी।
उच्च न्यायालय में ही पेश किए गए दस्तावेजों के मुताबिक मध्यप्रदेश में 204123 अनुसूचित जनजातियों और 150664 वन निवासियों को ठुकराया गया, जोकि बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है।
उच्च न्यायालय के सामने केन्द्र सरकार ने वन अधिकार कानून के पक्ष में मजबूत दलीलें पेष नहीं की। यहां तक सरकारी वकील तो कई पेशियों में उपस्थित ही नहीं रहते थे। लेकिन केन्द्र सरकार की इन लापरवाहियों का नुकसान आदिवासियों और वन निवासियों को नहीं भुगतना चाहिए।
जैसा कि आपको ज्ञात है, वन अधिकार कानून के लिए आदिवासी संगठनों ने बहुत संघर्ष किया था और यू.पी.ए के शासन के दौरान इस ऐतिहासिक कानून को लागू किया गया था। इस कानून के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों और वन निवासियों के अधिकारो को अधिस्वीकृति दी थी, जिससे देश भर के लाखों आदिवासी परिवारों को जिनका जीवन और जीविकि जंगलों पर निर्भर है लाभ मिला।
अतः मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि बड़ी मात्रा में आदिवासियों और वन निवासियों को उनकी जमीन और घर से उजड़ने से बचाने के लिए व उनके संविधानिक अधिकारों के हनन को रोकने के लिए हर संभव कोशिश की जाए। मध्यप्रदेश सरकार पुनर्विचार याचिका भी दाखिल कर सकती है। मुझे आशा है कि प्रदेश के लाखों आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए मध्यप्रदेश सरकार हर संभव कदम उठाएगी।
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