शिवपुरी। शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में हुई डॉक्टर सहित अन्य पैरामेडिकल भर्ती काण्ड जो लगतार शिवुपरी की मिडिया की सुर्खिया बना रहा है। इस काण्ड को शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने काले काण्ड का नाम दिया था। इस भर्ती काण्ड में आदर्श भर्ती नियमो को भ्रष्टाचार के लिए अपने हिसाब से तोडा गया।
मैरिंट सूची में दिए जाने वाले आवेदको को अपने हिसाब से अंक देकर मोटी रकम देने वाले आवेदको को मैरिंट में सबसे सर्वोच्च स्थान पर रखा गया हैं। इस भर्ती प्रक्रिया मे दी गई विज्ञप्ति में दिए गये आदर्श नियमो का आपरेशन किया गया था।
शिवपुरी मेडिकल कॉलेज का इस नियमो को तोड कर भारी भ्रष्टाचार कर की गई भर्ती का काला काण्ड विधायक केपी सिंह ने विधानसभा में उठाया। कांग्रेस विधायक केपी सिंह ने सरकार से नियुक्तियों के संबंध में कई सवाल पूछे हैं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने स्वीकार किया है कि पैरामेडिकल एवं अन्य स्टाफ की नियुक्ति मैरिट सूची के आधार पर की गई है।
इससे साफ है कि नियुक्ति में आदर्श सेवा भर्ती नियम का पालन नहीं किया गया और नियुक्ति के लिए न तो लिखित परीक्षा और न ही साक्षात्कार आयोजित किए गए। ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि नियुक्ति के माध्यम से भारी भ्रष्टाचार किया गया है।
विधानसभा में विधायक केपी सिंह ने पूछा है कि क्या शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय शिवपुरी में शैक्षणिक पैरामेडिकल स्टाफ एवं अन्य पदों पर नियुक्तियां की गई हैं जिसके जवाब में चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने स्वीकार किया है कि नियुक्तियां की गई हैं।
विधायक ने यह भी पूछा है कि क्या उक्त नियुक्तियां मध्यप्रदेश चिकित्सा महाविद्यालय आदर्श सेवा भर्ती नियम 2018 के तहत की गईं हैं? क्या आदर्श सेवा भर्ती नियमों में लिखित/साक्षात्कार अथवा दोनों का प्रावधान है यदि हां तो क्या सीधी भर्ती के पदों पर उक्त प्रावधानानुसार भर्ती की गई है और यदि नहीं तो क्यों? इसके जवाब में चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने बताया कि पैरामेडिकल एवं अन्य स्टाफ की नियुक्ति मैरिट सूची के आधार पर की गई है।
इसका तर्क देते हुए उन्होंने कहा है कि पैरामेडिकल एवं अन्य स्टाफ के पदों पर नियुक्ति हेतु अत्यधिक आवेदन प्राप्त होने से निर्धारित मापदंडों के अनुसार मैरिट सूची बनाकर भर्ती की गई है। साथ ही प्राप्त शिकायतों पर जांच महाविद्यालय की कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष एवं संभागायुक्त ग्वालियर द्वारा कराई जाने की बात कही।
विधायक केपी सिंह ने जांच के संबंध में कहा कि जिस समिति के चेयरमैन कमिश्नर हैं, उसकी जांच एसडीएम को दी गई है। कमिश्नर की जांच एक एसडीएम नहीं कर सकता। इसी मुद्दे पर शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया भी बोलीं।
उन्होंने भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर नए सिरे से स्टाफ की भर्ती की मांग रखी। काफी बहस के बाद अंत में मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि हम मामले को दिखवा लेंगे। भोपाल से वरिष्ठ अधिकारियों को भेजकर जांच कराएंगे।
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