ललित मुदगल @एक्सरे/शिवपुरी। चुनावी दंगल तैयार हो चुका है। टिकट के लिए पार्टियों के पहलवानों में फाइनल फाइट चल रही है। जिले की पोहरी विधानसभा में भाजपा के टिकट का रायता फैल चुका हैं, और इस फैले रायते ने शिवपुरी का भी जायका बिगाड दिया है। इसके बाबजूद हाथी पर चकम आ रही हैं। यह रायता कैसे फैला, और इससे शिवपुरी का कैसे जायका बिगड गया और हाथी पर क्यो चमक आईए इस पूरे मामले का एक्सरे करते हैं।
जैसा कि विदित है कि पोहरी से भाजपा की ओर से टिकट के सबसे सशक्त दावेदार पिछले 2 बार से विधायक प्रहलाद भारती सबसे आगे थे। अब कांग्रेस की बात करते है तो यहां पूर्व विधायक हरिबल्लभ शुक्ला कांग्रेेस की दौड में सबसे आगे थे। क्लीयर था कि यहां भाजपा और कांग्रेस एक ब्राह्मण और एक धाकड हो अपना प्रत्याशी चुनेगी। अभी तक यहां ऐसा ही होता आया हैं।
प्रदेश में उमाभारती की इंट्री से बिगड़े समीकरण
लेकिन प्रदेश में एकाएक उमा भारती की इंट्री होने से पोहरी के गणित बिगडने लगे। पोहरी से उनके खासमखास पूर्व विधायक नरेन्द्र बिरथरे की दावेदारी को बल मिल गया, ओर बताया जा रहा है कि उमा भारती ने शिवपुरी से 2 नाम पिछोर से प्रीतम और पोहरी से नरेन्द्र बिरथरे का बीटो लगाया है।
वैसे अगर देखा जाए तो विधायक भारती की दावेदारी सबसे मजबूत थी, लेकिन लोकसभा में भाजपा की हार उनके टिकट की सबसे बडी तलवार माना जा रहा है। ग्वालियर संसदीय सीट में पोहरी विधानसभा में भाजपा की सर्मनाक हार हुई थी, यह हार ही टिकट पर तलवार चला रही है, वैसे भी प्रहलाद भारती को सांसद नरेन्द्र सिह का समर्थक नही मना जाता, नरेन्द्र सिंह तोमर सबसे पहले सोनू बिरथरे या फिर नरेन्द्र बिरथरे को अपना समर्थन दे सकते हैंं।
टिकट की टेबिल से हरिबल्लभ को शुभ संकेत नही
अगर कांग्रेस की बात करें तो पूर्व विधायक हरिबल्लभ शुक्ला के टिकट वितरण टेबिल पर से शुभ सकेंत नही मिल रहे है। हरिबल्लभ शुक्ला 2 बार चुनाव जीत चुके हैं तो 2 बार हार चुके है। पोहरी के कांग्रेसियों का एक ही नारा एक ही काम हरिबल्लभ छोड कोई भी, लेकिन हरि हुआ तो हराया।
अगर कांग्रेस खेमे से बात करे तो अगर हरिबल्लभ को टिकिट नही तो फिर किसे, इसके बाद 2 नाम सुरेश राठखेडा और प्रदुम्न्न वर्मा दोनो ही धाकड उम्मीदवार, भाजपा फिर किसी ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकिट देती है तो चाचा-भजीजा की फ्रेम फिट है।
यहां फैला पोहरी का रायता
यहां पोहरी का रायता फैल गया है। यह भी अब तय है कि अगर प्रहलाद भारती का टिकिट कटता है तो आॅटोमेटिक हरिबल्लभ शुक्ला का टिकिट खतरे में आ जाऐगा, और अगर कांग्रेस से हरिबल्लभ शुक्ला दावेदार नही होंगेे फिर और कोई भी धाकड प्रत्याशी तो विधायक प्रहलाद भारती का टिकिट स्वत: ही खतरे में जाऐगा। अभी पोहरी विधानसभा सीट का इतिहास रहा है। कि आमना—सामना धाकड और ब्राह्मण प्रत्याशी को होता है।
यह खबर सुन हाथी पर चकम आई
अगर प्रहलाद भारती या हरिबल्लभ शुक्ला में से किसी एक का टिकिट कटता है,तो दोनो ओर नए चेहरे होगें। प्रहलाद भारती-हरिबल्लभ चुनावी मैनेजमेंट के माहिर खिलाडी हैं, और दोनों पर पर्सनल वोट बैंक है। नए खिलाडी होंगे तो यह सब खूबी नही होगी। इस बार हाथी पर विधानसभा की तीसरी जाति कुशवाहों की ताकत बन कैलाश कुशवाह चुनाव लड रहे है। अब बसपा का मूल वोट बैंक और कुशवाहों की ताकत एक नया समीकरण बना रहा है, इस बार इस विधानसभा में हाथी बल शाली होगा।
पोहरी का फैला रायता, बिगाड़ रहा है शिवपुरी का जायका
पोहरी का फैला रायता, शिवपुरी विधानसभा में कांग्रेस से उम्मदवारी दिखा रहे नेताओं को जायका बिगाड सकता हैं। शिवपुरी विधानसभा से भाजपा का टिकट लगभग यशोधरा राजे सिंधिया के रूप में फायनल है। कांग्रेस में चिंतन मंथन है कि भाजपा की इस अजेय सीट पर कैसे कब्जा किया जाए।
अगर देखा जाऐ तो शिवपुरी विधानसभा से कांग्रेस की ओर से ऐसे प्रत्याशी मांग कर रहे है, जिनका कोई स्वयं का जनाधार नही है। एक ऐसे प्रत्याशी मांग कर रहे हैं, जो नपा के नेताजी के कर्मो से दुखी है, ओर जनता नपा के नेताजी का हिसाब मांग सकती है। दूसरे ऐसे है, जिनके राजनैतिक कैरियर की बात करें तो शुरूवात से पहले ही खत्म हो जाता हैं। ऐसे में हरिबल्लभ शुक्ला को शिवुपरी लड़ने भेजा जा सकता है, इससे पूर्व भी यशोधरा राजे सिंधिया को हरिबल्लभ शुक्ला कड़ी टक्कर दे चुके हैं। राजे पिछले विधानसभा में शिवपुरी ग्रामीण से हार चुकी हैं और इस बार शहर समस्याओं को लेकर डरा सकता है, बाकी आप स्वयं समझदार हैं।
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