भोपाल। प्रदेश कार्यालय पर लगातार चल रहे प्रदर्शनों के बाद भाजपा ने रणनीति में परिवर्तन किया है। अब पार्टी ज्यादा से ज्यादा नए चेहरों को मौका देने के मूड में है। इस अभियान के 2 फायदे होंगे। पहला नेतापुत्रों की दाल गल जाएगी और दूसरा प्रत्याशियों का ना तो संगठन में विरोध होगा और ना ही जनता 15 साल का हिसाब पूछेगी।
देवेन्द्र और वीरेन्द्र में थी टक्कर
शिवपुरी जिले की कोलारस सीट पर भारी विवाद सामने आया था। यहां देवेन्द्र जैन एवं वीरेन्द्र रघुवंशी 2 प्रमुख दावेदार थे परंतु पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन ने बीते रोज सीएम हाउस के बाद प्रदर्शन कर डाला। वो वीरेन्द्र रघुवंशी को टिकट दिए जाने का विरोध कर रहे थे। पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता माना और देवेन्द्र जैन के नाम पर विचार नहीं किया गया। वीरेन्द्र रघुवंशी अकेले रेस में थे और फाइनल माने जा रहे थे।
भाजपा के पदाधिकारियों ने वीरेन्द्र का विरोध किया
इधर कोलारस सहित शिवपुरी जिले के ज्यादातर भाजपा नेताओं ने वीरेन्द्र रघुवंशी के नाम का विरोध कर दिया है। कहा जा रहा है कि यदि रघुवंशी को टिकट दिया तो भाजपा का यादव वोटबैंक भी हाथ से निकल जाएगा। यह भी बताया गया है कि वीरेन्द्र रघुवंशी की बाईपास सर्जरी हो चुकी है और कुछ दिनों पहले फिर से एंजियोप्लाटी हुई है। अत: वो स्वस्थ नहीं हैं।
सुरेन्द्र शर्मा की कुण्डली की तलाश
पार्टी में कोलारस से नए नाम की तलाश की जा रही है। कोलारस मूल के सुरेन्द्र शर्मा के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। पता किया जा रहा है कि यदि सुरेन्द्र शर्मा को टिकट दिया जाए तो हालात क्या होंगे। संघ के कुछ पदाधिकारियों से भी फीडबैक मांगा गया है। बताया जा रहा है कि आरएसएस की तरफ से उनका नाम आगे बढ़ाया गया है।
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