पिछले 13 वर्षो से डटे हैं अधिकारी के के शर्मा, आयोग के आदेश के बाद क्यों नहीं हटेहै, जांच शुरू

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शिवपुरी। खबर कलेक्ट्रेट कार्यालय से आ रही है कि मामला जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी से जुडा है। इस समय आचार संहिता प्रभावी हैं ओर सबसे बडा कानून निर्वाचन का हैं। इस कानून में पिछले 13 वर्षो से जिले में मलाई खा रहे जिला पंचायत के अधिकारी के के शर्मा आ गए है। अभी तक जिले से बहार क्यो नही किए है शिकायत हुई ओर जांच भी शुरू हो चुकी हैं। 

चुनाव आयोग में शिकायत, आयोग नियम क्यो फोलो नहीं हुए 
जानकारी आ रही है कि जिले में जिला पंचायत कार्यालय में पिछले 13 वर्षो से विभिन्न पदो पर डटे है,अभी वर्तमान में जिला पंचायत कार्यालय में जमे हैं। शिकायत कर्ता ने अपनी शिकायत क्रमांक 2016350366 में कहा है,कि जब निर्वाचन आयोग के आदेश कि ऐसे सभी अधिकारियो का ट्रांसफर किया जाए जिनको जिले में 3 वर्ष से अधिक हो गए है,उक्त आदेश प्रदेश के कई अधिकारियों पर लागू हुआ लेकिन के के शर्मा पर क्यो नही। 

विवादित रहा है कार्यकाल के के शर्मा का
एक शिक्षा कर्मी वर्ग-2 देबरी कला का मूल रिकार्ड नष्ट करने का आरोप भी है के के शर्मा जब न्यायालय शाखा के प्रभारी थे,प्रकरण क्रमांक डब्लूपी 898/10 में ओ.आई.सी थे, उक्त प्रकरण् का मूल अभिलेख् जिला पंचायत से जनपद पंचायत को गए लेकिन पहुंचे नही।चूकि प्रकरण जनपद पंचायत पोहरी का था,अभिलेख आने चाहिए थे,लेकिन बीच से ही गायब हो गए। उकत प्रकरण में इन विवादित अधिकारी के के शर्मा की शिकायत तत्कालिन जनदपद पंचायत सीईओ पोहरी ने तत्कालिन कलेक्टर को की थी ।

दलित दंपम्ती के साथ मारपीट और छेडछाड का आरोप 
के के शर्मा पर पूर्व मुढैरी सरपंच विनोद जाटव व उसकी पत्नी को मारने पीटने,छेडखानी के संगीन आरोप सहित परिवाद न्यायलय में प्रचलित है न्यायालय द्धारा भी शर्मा के विरूद्ध जांच कर प्रतिवेदन न्यायालय के समक्ष में प्रस्तुत करने के निर्देश माननीय न्यायालय द्धारा दिये जा चुके हैं।

सन 2005 में पदस्थ, मूल विभाग तिलहन संघ के कर्मचारी 
सन 2005 से शिवपुरी जिले में जिला पंचायत कार्यालय में विभिन्न पदो पर पदस्थ है। बताया जाता है कि अभी तक जिले मे जमे रहने का कारण राजनीति में अपनी पैठ होना,शिकायत कर्ता का आरोप है कि उक्त अधिकारी की राजनीतिक पकड के चलते चुनावा में अपने पद का दूरूपयोग कर सकते हैं। चुनाव आयोग की ट्रांसफर पॉलिसी में आने के बाद भी इनका ट्रांसफर भी नही हुआ है यह इनकी राजनीतिक पकड का उदाहरण हैं। 
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