पति-पत्नि में हुर्ह सुलह, नवजात का नाम आकाश रखा गया: परिवार परामर्श केन्द्र | SHIVPURI NEWS

शिवपुरी। स्थानीय पुलिस कंट्रोल रूम में रविवार को आयोजित परिवार परामर्श केन्द्र के शिविर में कुल 13 प्रकरण प्रस्तुत किये गए। जहां 03 प्रकरणों में दोनों पक्ष न आने के कारण कुल 10 केस सुनवाई हेतु रखे गए जिसमें 7 प्रकरणों में समझौता कराया गया। वहीं 01 प्रकरण में  पारामर्श हेतु आगामी दिनांक को पुन: बुलाया गया। दो प्रकरणों में लड़कियों की जिद्द के कारण प्रकरण निराकृत नहीं हो पाए क्योंकि वे माता-पिता को त्याग कर अलग रहना चाहती थी अत: दोनों प्रकरण महिला प्रकोष्ठ को कार्यवाही हेतु भेज दिए गए।

ग्वालियर जौन के आईजी अंशुमन यादव के कुशल मार्गदर्शन एवं शिवपुरी जिला पुलिस कप्तान राजेश हिंगणकर की सकारात्मक सोच के चलते लगातार आपसी समझौतों कराकर परिवारों को टूटने से बचाने का अनुकर्णीय काम जिला पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र के द्वारा उनके कुशल नेतृत्व में चलाया जा रहा है। जिला पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र के शिविर में परामर्शदाताओं के प्रयास और पारिवारिक समझाइश से 7 बिछड़े परिवारों में सुलह कराकर अब तक की सफलता का सर्वाधिक प्रतिशत दर्ज किया गया। 

इंदार निवासी रामजीलाल कुशवाह का विवाह गुना जिले के धमनार निवासी रानी के साथ हुआ था इनके विवाह को आठ वर्ष हो गए हैं और विवाह के दो वर्ष बाद ही इनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी पर रहा नहीं। इसके उपरांत विगत 6 वर्षों से उनके यहां कोई बच्चा न होने के कारण पति-पत्नि के बीच अलगाव की स्थिति थी। काउन्सलरों के द्वारा इन दोनों को समझाया गया और दोनों में राजीनामा हो गया। 

अब वह अपनी पत्नि का सही तरीके से उपचार करायेगा और इसमें यदि परामर्श दाताओं की मदद की जरूरत पड़ेगी तो वह भी उसे प्रदान की जावेगी। दूसरा प्रकरण शिवपुरी निवासी राजाराम का था जिसका विवाह रानी के संग हुआ था। दोनों पति-पत्नि शासकीय सेवा में हैं और इनकी बड़ी बेटी 16 वर्ष की हैं। पत्नि को पति के चरित्र पर शक था जिसके चलते विगत 6 माह से इन दोनों के बीच अनबोला था और ये तलाक ले रहे थे। 

काउन्सलरों की समझाईश के बाद इन दोनों के बीच राजीनामा हो गया। ठीक इसी तरह ठकुरपुरा निवासी राजो का विवाह सबलगढ़ निवासी बद्री के साथ हुआ था। इनके विवाह को डेढ़ वर्ष हुआ था और आपसी मतभेद के चलते पत्नि मायके में विगत 4 माह से रह रही थी और उसके प्रसव भी मायके में हुआ था। 

काउन्सलरों ने कुशल समझाईश से इन दोनों के बीच न केवल राजीनामा कराया बल्कि नवजात शिशु का नामकरण भी करके उसे उपहार दिए और उसका नाम आकाश रखा। प्रसन्नता की बात यह है कि इस प्रकरण में पति अपनी पत्नि को टेक्सी करके अपने घर सबलगढ़ राजी खुशी से समझौता होने के बाद ही ले गया।