
गोराटीला में सिंध नदी पर बने रपटे पर विगत सात दिन से दो-तीन फीट पानी के बीच से यात्री वाहन एवं दो पहिया वाहन गुजर रहें, हालांकि सुल्तानगढ़ हादसे की पुर्नावृत्ति को रोकने के लिए पुलिस कप्तान ने यहां पुलिसकर्मी तैनात किए हैं लेकिन तैनात एक एएसआई सहित अन्य पुलिस वाले मूकदर्शक बने यह तमाशा देख रहे हैं। सिंध नदी के रपटे से पचास मीटर दूरी की सडक़ दिखाई नहीं दे रही है इसके वाबजूद एएसआई द्वारा यात्री वसों को निकाला जा रहा है। यात्री बसों को रपटा के ऊपर से निकाले जाने का एक बीडियो भी बायरल हुआ है जो पुलिस कर्मियों की कर्तव्यनिष्ठा को सबालों के घेरे मेंं खड़ा करता है। सिंध के इस रपटा से हर दिन एक दर्जन यात्री वाहन एवं एक सैकड़ा दोपहिया वाहन प्रतिदिन गुजर रहे हैं।
पूर्व में हो चुके हैं हादसे
गोराटीला में सिंध पर बना यह रपटा बारिश के दिनों में खतरों का पर्याय के रूप में सामने आया है यहां हर वर्ष हादसे होते हैं। दो वर्ष पूर्व गोरा निवासी विजय सिंह गुर्जर मवेशियों को चराकर गांव वापस आ रहा था कि रपटा पर अचानक पानी का बहाव तेज हो जाने पर वह सिंध में डूब गया था, तीन दिन बाद उसके शव को नदी से बाहर निकाला जा सका था। इसके पूर्व यहां बाढ़ के हालात बनने पर सेना के हेलीकॉप्टर ने एक दर्जन लोगों की जान को बचाया था। इसी तरह से भड़ौता पर सिंध पर बने रपटा पर भी हादसे हो चुके हैं। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से बीट प्रभारी हरिशंकर शर्मा की तैनाती की गई है लेकिन एएसआई की मिलीभगत से हर रोज गोराटीला रपटा से यात्री बस हर दिन निकाली जा रही हैं। कुल मिलाकर पुलिस प्रशासन हादसों से भी सबक नहीं सीख रहा है। क्या पुलिस की निद्रा हादसों के बाद टूटेगी?
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