
वहीं पुलिस ने आश्रम संचालिका शैला अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया था जबकि उसका पिता केएन अग्रवाल और विक्षिप्त भाई राजू जो बालिकाओं के साथ दुष्कर्म करता था वह फरार हो गए थे जिन्हें पुलिस ने बमुश्किल गिरफ्तार किया था।
बाद मेें उक्त सभी आरोपियों को न्यायालय ने जेल भेज दिया था। चूंकि घटना के समय नाबालिग आरोपी की उम्र 18 वर्ष से कम थी जिसके चलते जुबेनाई जस्टिस एक्ट के नवीन प्रावधानों के अनुसार उसका विचारण विशेष सत्र न्यायालय शिवपुरी में बाल अवचारी के रूप में किया गया। जहां विशेष सत्र न्यायाधीश अरूण वर्मा ने मामले में सुनवाई की और अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को विश्वसनीय न मानते हुए बाल अवचारी को सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया है।