
जानकारी के मुताबिक बैराड़ तहसील में 40 पटवारी हल्का का 90 गांव आते हैं बैराड़ तहसील पर पदस्थ तहसीलदार अखिलेश शर्मा को बिहार का अतिरिक्त प्रभार दिए जाने से 2 माह में 5 बार ही कार्यालय आए हैं शर्मा अपना अतिरिक्त समय पोहरी अनुविभागीय मुख्यालय पर ही देते हैं ऐसे में पटवारी को फसल चढ़ाना, नक्शे में परिवर्तन करना आदि कार्यों तहसीलदार से अनुमोदन कराना जरूरी होता है जो बगैर तहसीलदार की नहीं हो सकता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि लोक सेवा केन्द्र पर अनुमोदन के नाम पर तीन तीन बार नकल शुल्क वसूला जा रहा है। लेकिन अभी भी अनुमोदन नहीं हो पा रहा है कवि एक नंबर छूट जाता है तो कभी नक्शा नहीं हो पाता है इस प्रक्रिया के चलते किसानों में रोष पैदा हो रहा है कुछ किसान तो उस प्रक्रिया को देख कर बैठ जाते हैं तहसील मुख्यालय पर तहसीलदार के नाम में से इसका असर तहसील स्टॉप पर भी पड़ रहा है।
यही कारण है कि मुख्यमंत्री भावांतर योजना के पंजीयन के लिए पटवारियों से सत्यापन के लिए किसानों को भटकना पड़ रहा है इसके अलावा तहसील पर पेशी पर आए लोगों का फैसला, नामांकन,नाम परिवर्तन,अनुमोदन करना,सीमांकन जैसे कार्य नहीं हो पा रहे है।
इनका कहना है-
मैं सीमांकन के लिए छह महा से तहसील में तारीफ कर रहा हूं लेकिन तहसीलदार मिलते ही नहीं है मेरा सीमांकन नहीं हो पा रहा है
रामहेत रावत,किसान
मेरे पास पोहरी तहसील का प्रभार पहले से ही है ऐसे में मुझे बेराड़ तहसील का प्रभार और दे दिया गया है इसलिए बैराड़ को मैं ज्यादा समय नहीं दे पा रहा हूं इस समस्या को लेकर मनेैं बरिष्ट अधिकारियों को अवगत करा दिया है संभवत: किसी दूसरे को चार्ज दे भी दिया गया है
अखिलेश शर्मा, तहसीलदार पोहरी।