शिवपुरी। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छता अभियान के तहत समूचे देश को शौच मुक्त कराना था। खुले में शौंच करने से गंदगी तो फैलती ही हैं साथ ही विभिन्न प्रकार की बीमारियां बेबजह ही जन्म ले लेती हैं। जो कभी-कभी विकराल रूप धारण कर लेती हैं, जिसकी बजह से उनका इलाज करना भी असंभव सा हो जाता है।
अन्य शासकीय योजनाओं की तरह से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान को भी शासकीय अधिकारी व कर्मचारी पलीता लगाने में मसगूल हैं। स्वच्छता अभियान के तहत बनाए जाने वाले शौंचालयों को जहां अधिकारी संपूर्ण बने हुए बता रहे हैं। वहीं क्वालिटी काउन्सलिंग ऑफ इंडिया द्वारा पूरे प्रदेश भर में सर्वे कर 33 जिलों को शौंच मुक्त दर्शाया गया हैं। जिनमें शिवपुरी जिला भी शामिल हैं। लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से उक्त तथ्य की जानकारी लेना चाही तो किसी भी अधिकारी द्वारा स्पष्ट रूप से इसका जवाब नहीं दिया गया।
जिससे यह तथ्य स्पष्ट होता हैं कि अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा सर्वे करने वाली टीम को गलत जानकारी उपलब्ध कराकर उन्हें रवाना कर दिया है। अधिकारियों द्वारा झूठी वाहवाही लूटने के लिए क्वालिी काउंसलिंग ऑफ इंडिया के निरीक्षण कर्ताओं को गलत जानकारी उपलब्ध कराकर अपने ही हाथ से अपनी पीठ थपथपाने का कार्य किया है। क्या ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों के भरोसे ही देश के प्रधानमंत्री आगामी कुछ वर्षों में देश को विश्व गुरू बनाने में सफल हो पायेंगे?
पैसा जमा करने के बाद भी नहीं बने शौचालय
स्वच्छता अभियान के तहत बनाए जाने वाले शौंचालयों में कुछ धनराशि उपभोक्ता द्वारा भी नगर पालिका में जमा कराया जाना था। शहर के ही दर्जनों नागरिकों द्वारा नगर पालिका में स्वच्छता अभियान को गति देने की दृष्टि से रूपए भी जमा करा दिए गए। हमारे संवाददाता द्वारा जब इसकी पड़ताल की गई तो हितग्राहियों में राजू सैन, वीरेन्द्र, रामजीलाल ने बताया कि उसने शौंचालय बनबाने के लिए नगर पालिका में लगभग एक वर्ष पूर्व 1300 रूपए जमा करा दिए लेकिन इसके बाद भी आज दिनांक तक मेरा शौचालय नहीं बन सका हैं। जिला मुख्यालय पर ही जब ऐसे हालात हैं तो दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में क्या आलम होगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
वास्तविकता में पूर्ण नहीं हुआ है शौचालयों का निर्माण: भार्गव
नगर पालिका के स्वास्थ्य अधिकारी एवं प्रभारी सीएमओ श्री भार्गव से जब फोन पर शौचालय निर्माण की स्थिति जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि शौचालयों का निर्माण तो अभी वास्तविकता में पूर्ण नहीं हुआ है, लेकिन श्री भार्गव का कहना है कि हमारी ओर से तो शौचालय निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका हैं। जहां निर्माण कार्य अधूरा हैं ऐसे हितग्राही सार्वजनिक शौचालयों में जा सकते हैं।
लेकिन एक सवाल यह है कि सार्वजनिक शौचालयों में पांच रूपए शुल्क लिया जाता है यदि किसी परिवार में पांच-छ: सदस्य होते हैं तो उन्हें 30 प्रतिदिन का खामियाजा शासकीय कर्मचारियों की लापरवाही के लिए भुगतना पड़ेगा। जो एक गरीब परिवार के लिए काफी कठिन कार्य साबित होगा। वास्तविक स्थिति के विपरीत क्वाटिली काउन्सलिंग ऑफ इंडिया के निरीक्षण कर्ताओं को गलत जानकारी देकर जिले के अधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली गई जो निहायत ही गलत है।
इनका कहना है।
हमारा शिवपुरी जिला शौच मुक्त होने की संभावना है,अधिकांश क्षेत्रों में शौंचालयों का निर्माण पूर्ण हो चुका हैं, लेकिन इसके बाबजूद भी जिले भर में लगभग 50 हजार शौचालयों का निर्माण अभी और होना है।
तरूण राठी
जिलाधीश शिवपुरी
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