अभिमन्यू की तरह सांसद सिंधिया को चक्रव्यूह में घेरना चाहती है भाजपा: सिंधिया ने स्वीकारा

शिवपुरी। सासंद ज्योतिरादित्य सिंधिया मप्र में कांग्रेस के सीएम प्रोजेक्ट हो सकते है,चर्चाए जोरो पर है। गुजरात चुनाव से कांग्रेस को यह अभास हो गया है कि जनता अब पार्टी के साथ चेहरा भी चाहती है। इस कारण पूरी संभावना बनती जा रही है कि सासंद सिंधिया कांग्रेस के सीएम प्रोजेक्ट हो सकते है। इस संभावना से शिवराज सरकार के माथे पर बल पड गए है। मुगावली और कोलारस चुनाव प्रदेश में होने वाले आम चुनावो से ठीक पहले है। इन चुनावो के गणित सीएम के दावेदारो की बनती बिगडती तस्वीर पेश कर सकते है। सासंद सिंधिया के लिए यह दोनो चुनाव महत्वपूर्ण है क्यो कि यहां दोनो सीटे कांग्रेस की थी और दोनेा विधान सभाए सांसद सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में आती है। 

दोनों विधानसभा क्षेत्रों में पिछले विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को जोरदार जीत मिली थी। इसलिए अब यदि कोलारस और मुंगावली में कांग्रेस की हार होती है तो सीएम कैंडिडेट के रूप में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का दावा स्वत कमजोर होगा और यहीं तो भाजपा चाहती है। इस कारण कोलारस और मुंगावली के समर में भाजपा सांसद सिंधिया को चक्रव्यूह में घेरने का पूरा प्रयास कर रही है और इसका आभास श्री सिंधिया को भी है। 

कल मुंगावली में सांसद सिंधिया ने पोलिंग बूथ कार्यकर्ताओं की बैठक में इसका खुलासा करते हुए कहा कि मुझे चक्रव्यूह में डालने का प्रयास भाजपा द्वारा किया जा रहा है, परंतु इस चक्रव्यूह से बाहर इस क्षेत्र की जनता मुझे निकालेगी। 

कोलारस और मुंगावली में पिछले दो माह से कांगे्रस और भाजपा द्वारा जोरदार प्रचार अभियान चल रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक दर्जन से अधिक मंत्री और तीन दर्जन से अधिक विधायक कोलारस मुंगावली की पल-पल की टोह ले रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दोनों विधानसभा क्षेत्रों में लगभग एक दर्जन सभाओं को संबोधित कर चुके हैं। अकेले कोलारस में भाजपा सरकार द्वारा 250 करोड़ रूपए के विकास कार्यों की घोषणा की जा चुकी है। 

यह स्थिति है जबकि कोंगे्रस और भाजपा ने अभी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। दोनों विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार आमने-सामने भले ही कोई हो, लेकिन यह माना जा रहा है कि कोलारस और मुंगावली के समर में मुख्य मुकाबला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच है। इस कारण दोनों तरफ से हमलों की धार काफी तेज हो गई है। सांसद सिंधिया ने जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अवसरवादी बताते हुए कहा कि आज वह कोलारस और मुंगावली की दर-दर की खाक छान रहे हैं, लेकिन इसके पहले वह कहां थे। 

वहीं सिंधिया पर भले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोई प्रत्यक्ष हमला न किया हो, परंतु जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद प्रभात झा ने श्री सिंधिया की घेराबंदी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। नरोत्तम मिश्रा तो यहां तक आरोप लगाते हैं कि सांसद सिंधिया ने इलाके में कोई विकास कार्य नहीं किया। यहां तक कि उद्योग मंत्री रहते हुए वह न तो कोलारस न मुंगावली और न ही शिवपुरी और गुना में कोई उद्योग लेकर आए। यहां तक कि शिवपुरी की जनता द्वारा चार साल पहले तोड़ी गई उनके पूर्वजों की मूर्ति भी वह आज तक नहीं बनवा पाए। 

भाजपा की रणनीति यह है कि कोलारस और मुंगावली में से यदि किसी एक विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस की पराजय हुई तो श्री सिंधिया का कद कहीं न कहीं कमजोर अवश्य होगा और मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट होने की उनकी संभावनाएं धूमिल होंगी। इस कारण कांग्रेस में सिंधिया विरोधियों पर भी भाजपा की नजरें गढ़ी हुई हैं।

सिंधिया विरोधी भी नहीं चाहते कि कोलारस और मुंगावली जीतकर सिंधिया शक्तिशाली बनें। कुल मिलाकर भाजपा द्वारा कांग्रेस में सिंधिया विरोधियों के साथ मिलकर सिंधिया के खिलाफ जो चक्रव्यूह रचा जा रहा है। देखना यह है कि उस चक्रव्यूह से सिंधिया बाहर निकल पांएगे अथवा नहीं। महाभारत का इतिहास दोहराया जाएगा अथवा नहीं।