घटिया क्वालिटी भी भेंट चढ़ गई सिंध परियोजना,आखिर कब आएगा पानी

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शिवपुरी। वर्ष 2008 में शिवपुरी की पेयजल समस्या के समाधान के लिए मड़ीखेड़ा से शिवपुरी पानी लाने की योजना स्वीकृत की गई थी। इस योजना के लिए वर्षों पूर्व शासन द्वारा 65 करोड़ रूपया स्वीकृत भी कर दिया गया था, लेकिन जिले में पदस्थ आला अधिकारियों की लापरवाही एवं उपेक्षा पूर्ण रवैये के चलते 9 वर्ष पूर्ण होने के उपरांत भी योजना अधर में लटकी नजर आ रही है। जबकि शहर भर में पेयजल संकट की मार को नागरिक वर्षों से झेलते चले आ रहे हैं। इसके बाबजूद भी अधिकारियों द्वारा उक्त समस्या को गंभीरता से न लेते हुए लापरवाही लगातार बरती जा रही है। इस वर्ष सामान्य से कम वर्षो होने की बजह से पेयजल संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है। आगामी माह से ही शहर में पेयजल के लिए मारामारी होना तय है। अधिकांश नलकूप आखिरी सांसें लेते हुए नजर आ रहे हैं। 

शहर वासियों को पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया लगातार प्रयास कर रही हैं और ङ्क्षसध जलावर्धन योजना को पूर्णता की ओर ले जाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रही हैं, इसी कड़ी में बीते रोज उन्होंने अधिकारियों के कहे अनुसार सिंध जलावर्धन योजना का उदघाटन कर पानी वायपास तक पहुंचाने की बात कहीं गई, लेकिन कैबिनेट मंत्री द्वारा उदघाटन तो कर दिया गया लेकिन पानी आज तक वायपास पर नहीं आया है। 

जो जिले में पदस्थ अधिकारियों एवं सिंध जलावर्धन योजना का कार्य कर रहे दोशियान कंपनी की लापरवाही स्पष्ट रूप से उजागर करती है। यशोधरा राजे सिंधिया द्वारा सिंध का पानी शिवपुरी वायपास तक लाने के उद्देश्य से बटन तो दवा दिया गया लेकिन वे स्वयं 8 घंटे तक पानी आने का इंतजार करती रही, लेकिन पानी नहीं आया। इसीक्रम में शिवपुरी के नागरिक वर्र्षों से सिंध का पानी आने की बाट जोह रहे हैं। लेकिन अभी तक शहर में पानी आने की संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही। 

लेकिन जब पानी वायपास तक नहीं आया तो उसकी हकीकत जानी जिसमें पता चला कि एसएफ वटालियन एवं खूबत घाटी में पाईप लाईन फूट गई। इसके अलगे दिन कंपनी के कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि लाईन को दुरूस्त करने का काम किया जा रहा है, लेकिन दो दिन गुजर जाने के बाद भी कोई प्रगति नजर नहीं आ रही है। अब देखना यह है कि आखिरकार पानी वायपास तक, कब तक आ जाएगा?

65 करोड़ की योजना पहुंची 95 करोड़ तक, फिर भी कंठ सूखे 
सिंध जलावर्धन योजना के लिए शासन द्वारा 65 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत की गई थी। यदि यह योजना जिले में पदस्थ अधिकारियों द्वारा समय से पूर्ण कर ली गई होती तो 65 करोड़ रूपए में ही उक्त कार्य संपन्न हो सकता था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की बजह से उक्त योजना की लागत 65 करोड़ से 95 करोड़ तक पहुंच गई। लेकिन इसके बाबजूद भी वर्षों गुजर जाने के बाद भी शिवपुरी तक पानी नहीं आया। जिसकी बजह से शासन को लगभग 30 करोड़ रूपए की आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा है। जिसका भार आम नागरिकों पर ही पडऩा है। शहर में पानी आने की संभावना अभी भी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है। सिंध जलावर्धन योजना का कार्य करने वाली दोषियान कंपनी द्वारा जो सामिग्री उपयोग में लाई जा रही है वह वेहद घटिया किस्म की है। इस ओर भी अधिकारियों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिसका खामियाजा शहर के नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। 

नपा द्वारा संचालित टेंकरों का उजागर हुआ भ्रष्टाचार 
शहर में व्याप्त पेयजल समस्या से नागरिकों को निजात दिलाने के उद्देश्य से क्षेत्रीय सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं स्थानीय विधायक एवं कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया द्वारा अपनी निधि से दर्जनों टेंकर नगर पालिका को दिए गए थे। लेकिन इसके बाबजूद भी शहर की पेयजल समस्या सुरसा की तरह मुंह फैलाए आज भी खड़ी है। नगर पालिका एवं टेंकर संचालकों की सांठ-गांठ के चलते कागजों में तो टेंकर चलायमान हैं, लेकिन नागरिकों तक पेयजल नहीं पहुंच पा रहा है। पूर्व में भी टेंकरों के संचालन में भारी भ्रष्टाचार उजागर हो चुका हैं। भ्रष्टाचार साबित होने के बाबजूद भी टेंकर संचालकों एवं नगर पालिका कर्मचारियों के विरूद्ध कोई सार्थक कार्यवाही नहीं की गई। 

जिसकी बजह से भ्रष्टाचारियों के हौंसले बुलंद बने हुए हैं तथा भ्रष्टाचारी थमने का नाम नहीं ले रही है। अभी हाल ही में नगर पालिका द्वारा स्वयं पानी की समस्या से निजात दिलाने की दृष्टि से विधायक एवं सांसद निधि के टेंकरों का संचालन शुरू किया था लेकिन वार्डों पानी की आपूर्ति नहीं हो रही हैं। जिसकी शिकायत कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे ङ्क्षसधिया विधायक प्रतिनिधि रत्नेश जैन ने की थी। इस शिकायत पर मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने अपने टेंकरों की देखरेख की जिम्मेदारी पूर्व पार्षद राजू गुर्जर को सौंप दी है तथा इसकी जानकारी उन्हें देने के निर्देश दिए। 
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