धर्मस्व विभाग प्राचीन मंदिरों को जीर्णोद्वार कर भव्य स्वरूप दे रहा है: यशोधरा राजे

शिवपुरी। खेल एवं युवा कल्याण एवं धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा कि प्रदेश में धर्मस्व विभाग के माध्यम राज्य शासन के तहत आने वाले प्राचीन मंदिरों को जीर्णोद्वार कर उनको भव्य स्वरूप प्रदाय किया जा रहा है। धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने उक्त आशय के विचार आज श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र नौगजा जी सेसई में पंचकल्याण एवं गजरथ महोत्सव के दौरान व्यक्त किए। श्रीमती सिंधिया ने पंच कल्याण महोत्सव के तहत जैन मुनि श्री अजितसागर महाराज से आर्शीवाद भी प्राप्त किया। महोत्सव में मंच पर ऐलक दयासागर जी महाराज, ऐलक विवेकानंद सागर जी महाराज भी विराजमान थे। इस मौके पर श्रीमती सिंधिया ने कलेण्डर एवं चांदी के सिक्के का भी विमोचन किया। 

श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि राजमाता सिंधिया सभी धर्मगुरूओं को पूरे सेवाभाव के साथ मान एवं सम्मान देती थी। आज उन्ही के आर्शीवाद एवं प्रेरणा से मध्यप्रदेश सरकार में उनके कंधों पर धार्मिक एवं धर्मस्व विभाग की उन्हें जवाबदारी मिली है। उन्होंने कहा कि धर्मस्व विभाग के माध्यम से प्रदेश के प्राचीन एवं छोटे-छोटे मंदिरों के जीर्णोद्वार का कार्य कर मंदिरों का भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। 

शिवपुरी में भी अनेको मंदिरो का जीर्णोद्वार कार्य कर उनका भव्य रूप दिया गया है। शिवपुरी के नवग्रह मंदिर को एक बड़ा आकार दिया जा रहा है। धर्मस्व मंत्री ने कहा कि जिस प्रकार पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ रहा है, उसी प्रकार मानव जीवन भी प्रदूषित हो रहा है। इसे दूर करने हेतु साधु संतो की सेवा कर ‘‘जीयो और जीने दो’’ की तर्ज पर कम किया जा सकता है। 
मुनि अजितसागर महाराज जी ने अपने आशीष वचन देते हुए कहा कि संस्कार के बिना आचरण नहीं होता है और अच्छे संस्कार बच्चे में मां की गोद में रहकर प्राप्त होते है। उन्होंने बताया कि 1992 में जबलपुर में पंच महोत्सव की आयोजित रजत जयंती में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने भाग लिया था। आज महोत्सव की 50वीं जयंती पर उनकी पुत्री एवं मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने भाग लिया है। मुनि अजितसागर ने कहा कि स्व.राजमाता सिंधिया एक राज घराने से होने के बाद भी उनके आचरण, व्यवहार एवं जीवन में हमेशा सादगी झलकती थी।