नाबालिग के बलात्कार के मामाले में 10 साल का कारावास: पलट गए थे गवाह

शिवपुरी। जिला सत्र न्यायाधीश बीके श्रीवास्तव ने बीते रोज नाबालिग बालिका के बलात्कार के मामले में आरोपी को दोषी मानते हुए 10 साल का कारवास और 5 हजार का अर्थदंड से दंडि़तं किया है। यहां बतादे कि चूकि आरोपी पीडि़ता का रिश्ते में चाचा लगता था इस कारण पारिवारिक दबाव के चलते मामले की सुनवाई के समय के दौरान ने पीडि़ता व अन्य गवाहों ने अपने बयान से पलटते हुए आरोपी को बचाने की कोशिश की थी,लेकिन न्यायाधीश ने पीडि़ता द्वारा पूर्व में दिए गए बयानो को आधार मानते हुए यह फैसला दिया। मामले में शासन की ओर से पैरवी डीपीओ संजीव गुप्ता ने की। 

अभियोजन पक्ष के अनुसार इंदार के ग्राम बघोरिया में 14 दिसंबर 2015 को नारायण उम्र 27 साल पुत्र धन्नालाल पाल ने 12 साल की बालिका से घर में घुसकर बलात्कार की घटना का अंजाम दिया था। घटना के दौरान एक पीडि़ता के साथ एक अन्य बालिका भी थी जिसने यह घटना देखी थी। वही जब आरोपी घटना को अंजाम देकर भाग रहा था तो उसे दो पड़ोसियो ने भी देखा। घटना के बाद पीडिता परिजाना के साथ थाने पहंचकर बलात्कार की रिर्पोट दर्ज कराई। 

पुलिस ने मामला दर्ज कर पीडि़ता के कोर्ट में धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराए। जिसमें पीडि़ता ने नारायण द्वारा खुद के बलात्कार करने की बात कही। पुलिस ने जांच उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। सुनवाई के दौरान पीडि़ता व केस में बनाए गए गवाहों ने आरोपी को रिश्तेदार होने के चलते बयान पलटते हुए पहचाने से इंकार करते हुए आरेापी को बचाने का प्रयास किया।

लेकिन गुरूवार को जिला सत्र न्यायाधीश बीके श्रीवास्वत ने पूरे केस में सुनवाई के दोरान पाया कि पीडि़ता व अन्य गवाह आरोपी को रिश्तेदार होने के कारण उसे बचाना चाहते है इस कारण उन्होने बयान पलटे है कसके आलावा उन्होने पीडि़ता द्वारा पूर्व में धारा 164 के तहत आरोपी के खिलाफ दिए गए बयानों को केस का आधार माना और आरोपी को केस का आधार मानते हुए उसे 10 साल का कारावास व 5 हजार रूपए के अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड जमा न करने की स्थिति में आरोपी को एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।