पढिए: जल का जहारीला कारोबार, 4 हजार का टैंकर, 50 लाख लीटर गायब होता पानी

इन्वेस्टिगेशन प्रदीप मोन्टू तोमर
शिवपुरी। इस समय शहर जल के लिए जगराता कर रहा है। लोग पानी की बूदं-बूदं को तरस रहे है। इस समय पानी का कारोबार चरम पर है। और  जल की मांग के खेल में जल का जहरीला कारोबार किया जा रहा है इस पानी के इस खेल में 50 लीटर पानी प्रतिदिन गायब हो राह  है। प्रशासन को इसकी भनक भी नही है। 

जानकारी के अनुसार इस समय शहर में पानी के प्लंाटों की स यां 20 बताई जा रही है। और यह प्लंाट प्रतिदिन 12 हजार केन प्रतिदिन शहर में सप्लाई कर रहे है। 1 केन में 20 लीटर पानी आता है और हिसाब से यह वाटर प्लांट शहर में 2 लाख 40 हजार लीटर पानी आरओ फिल्टर पानी प्रतिदिन सप्लाई कर रहे है। 

भूमि से निकला या अन्य जलस्त्रोतो के पानी को आर-ओ वाटर में कनवर्ड करने और 23 से 150 टीडीएस तक लाने के लिए 80 प्रतिशत तक पानी बेस्टेज होता है। फिर यह बेस्टेज पानी पीने योग्य और न ही नहाने योग्य नही रह जाता है।

अगर इस आंकडे की माने तो इस 2 लाख 40 हजार लीटर पानी को आर-ओ वाटर में कनवर्ड करने के लिए लगभग 50 लाख लीटर पानी बेस्टेज होता है। आखिर यह पानी जाता कहा है इसका क्या किया जाता है किसी को भी जानकारी नही है। 

नपा का कहना है कि इस समय शहर को प्रतिदिन 2 करोड 40 लाख लीटर की आवश्कता है। और इस समय शहर के ट्यूबवैलो और टंकी की सप्लाई और नपा के द्वारा टैंकरो से सप्लाई सहित इस समय 1 करोड 20 लाख लीटर पानी नगर वासियों को मिल रहा है। 

लेकिन यह 50 लाख लीटर पानी कहा जा रहा है इसकी किसी को भनक नही है। जानकारो को कहना है कि इस पानी को शहर में नपा जनता को बंाट सकती है बशर्ते उस पर लिखा हो कि यह पानी पीने और नहाने योग्य नही है। पूर्ति ओर अपूर्ति के 1 करोड लीटर पानी के प्रतिदिन अंतर को यह 50 लाख लीटर पानी जनता में जाने से राहत ही मिलेगीं। 

लेकिन पानी के इस खेल में चौकाने वाली यह खबर आ रही है कि   मानको की बात करे तो आरओ वाटर में 150 टीडीएस तक होना चाहिए। परन्तु शहर के प्लाट कितना टीडीएस पानी सप्लाई कर रहे है। प्रशासन ने कभी भी चैक नही किया है। शहर में आर-ओ वाटर के नाम से बेचा जा रहे पानी के कुल कितने प्लांट है इसकी गिनती का आंकडा भी प्रशासन के पास नही है। 

बताया यह भी जा रहा है शहर में कुछ प्लांट ऐसे हे जो 10 वाई10 के कमरे में चल रहे है। सिर्फ दिखाने को मशीन है इनके पास अपने बोर भी नही है। यह प्लांट प्राईवेट टेंकरो पर निर्भर है। और यह सीधे-सीधे टैकरो का पानी बर्फ मिलाकर सप्लाई कर रहे है। कुल मिलाकर यह एक टैंकर पानी को आर-ओ वाटर के नाम पर 4 हजार रू का बेच रहे है। 

कई आर-ओ वाटर प्लांट वाले जिनके स्वयं के बोर है और वे पानी के टेंकर भी सप्लाई कर रहे है वे इस बेस्टेज पानी को भी टेंकरो से शहर में सप्लाई कर रहे है। आर ओ बनाने की प्रक्रिया में बेस्टेज पानी का टीडीएस 2200 हो जाता है। और यह ऐसिड से कम नही है। किसी भी तरह से यह पीने और नहाने योग्य नही होता है। 

कुल मिलाकर शहर में आर ओ सप्लाई कर रहे प्लांट कितने शासन के पास कोई जानकारी नही है। इन पर कैसे क् वालिटी कंट्रोल हो,इस पर क्या नियम लागू होता है,प्रशासन को इसकी जानकारी भी नही है। चूकि बोतल और पाऊच बनाकर बेकेने पार आईएसआई लेना होता है। 

किन्तु केन का पानी लूज वाटर की श्रेणी में आता है। इस पर आईएसआई नही लेनी होती है। इस नियम के चलते इस शहर में पानी के नाम पर गुणवत्ता हीन पीने के पानी की सप्लाई की जा रही है और टैंकरो में आर-ओ वाटर का बेस्टेज पानी भरकर बेचा जा रहा है। जो किसी भी तहर ऐसिड से कम नही होता है। 

इस जल के जहरीले खेल की बात एडीएम,नपासीएमओ और फूड इंस्पैक्टर से की एक ही जबाब आया यह हमारे विभाग के अंतर्गत नही आता है और यह आर ओ प्लांट इस बेस्टेज पानी का क्या कर रहे है यह हमे नही पता..................................