हिन्दी को न्याय की भाषा बनाने के प्रयत्नशील थे अधिवक्ता चिंतामणि जैन: प्रमोद भार्गव

शिवपुरी। शासकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय के हिंदी अध्ययन कक्ष का  प्रसिद्ध अधिवक्ता चिंतामणी जैन की स्मृति में कायाकल्प किया गया है। यह कक्ष बेहद जीर्णशीर्ण हालत में था। इसे संवारने का काम श्री जैन के इसी महाविद्यालय में पढे बच्चों ने किया। जैन स्वयं हिन्दी के विशिष्ट प्रेमी थे और आजीवन उन्होंने अपनी वकालात का काम हिंदी में ही किया। 

हालांकि कक्ष का कायाकल्प हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ. पदमा शर्मा की प्रेरणा से जैन के बच्चों ने किया। कक्ष में कायाकल्प के साथ हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकारों के चित्र भी लगाए गए हैं। कक्ष के कायाकल्प में अक्षय जैन का विशेष सहयोग रहा। 

इस कक्ष के लोकार्पण समारोह में चिंतामणी जैन के 11 पुत्र-पुत्रियों का पूरा कुटु ब उपस्थित था। कक्ष का लोकार्पण जैन की पत्नी विमला देवी ने फ ीता काटकर किया। बाद में दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया। 

डॉ.पदमा शर्मा ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि वे स्वयं चिंतामणी जैन की दत्तक पुत्री की तरह हैं। उनके धर्मपिता जैन का हिंदी से विशेष लगाव था। हिंदी के उत्थान के लिए वे हमेशा गोष्ठियों और परिचर्चाओं से जुढे कार्यक्रम शिवपुरी और कोलारस में करते रहे। 

मु य वक्ता के रूप में पत्रकार और लेखक प्रमोद भार्गव ने कहा कि चिंतामणी जैन से उनके पारिवारिक संबंध थे। वे हिंदी को न्याय की भाषा बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहे। उनके परिजनों ने उनकी स्मृति में यह जो अनूठा कार्य किया है वह उनकी स्मृति को अक्षुण बनाए रखने की उत्तम पहल है। 

इस मौके पर महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति के पूर्व अध्यक्ष अजय खैमरिया ने कहा कि हिंदी अध्ययन केंद्र को नए रूप में ढालकर उनके परिजनों ने एक श्रेष्ठ कार्य किया है। साहित्यकार पुस्र्षोत्तम गौतम का कहना था कि इस जिले के प्रतिष्ठित वकील होने के साथ वे हिंदी को न्यायालयों में प्रतिष्ठित कराने के लिए भी निरंतर प्रयत्नशील रहे। 

करैरा महाविद्यालय के प्राचार्य लखनलाल खरे ने कहा कि चिंतामणी जी को कई बार उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने के अवसर मिले, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिए। उनका मानना था कि अदालत की कुर्सी पर बैठकर गरीब पीडि़त की वह सेवा नहीं की जा सकती है जो वकील रहते हुए करना संभव है।

इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य अनीता जैन, डॉ.संध्या भार्गव, डॉ.मधुलता जैन, डॉ.विजय लक्ष्मी गुप्ता, डॉ.पवन गुप्ता, धर्मेन्द्र जैन, श्रीमती कैलाशी जैन, कामना चतुर्वेदी सक्सैना,  संजीव जैन, संजीव बांझल, प्रवीण जैन सहित बड़ी सं या में हिंदी प्रेमी मौजूद थे।