
संघ की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट किया गया है कि लोक सेवकों के पदीय नाम परिवर्तित करने की श्रंखला में शिक्षाकर्मी, पंचायतकर्मी कृषि विभाग, स्वास्थ्य विभाग आदि को वाजिब स बोधन से मुक्त पदनाम दिये गए।
शासन की रीढ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को आज भी आला अफसर अबे-तबे की भाषा से ही बुलाते है। संविधान में प्रत्येक को स मान पूर्वक जीवन यापन करने का प्रावधान निहित है।
फिर भृत्यों के साथ इस तरह का भेदभाव अनुचित प्रतीत होता है। जिसे शासन द्वारा तत्काल बदला जाना चाहिये। मांग करने वालों में मप्र लघु वेतन कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री नरेन्द्र व्यास, महेश सविता, अरविन्द कुमार जैन, नारायण सिंह, भग्गूराम करौसिया, संतोष रजक, अनरसिंह धानुक आदि हैं।