चेन्नई में फसे है शिवपुरी के कई स्टूडेंट, लोट कर आए जतिन ने बताया

शिवपुरी। पिछले दिनो चेन्नई में आई भंयकर बाढ में शिवपुरी के कई स्टूडेंट फसे हुए है। बामुश्किल  सुरक्षित लौटकर आए जतिन अग्रवाल ने बताया कि जिंदगी को सघर्ष क्या होता है,भूख क्या होती है। उनकी बातो से चैन्नई का दृश्य दिख रहा था जिसे वे झेल कर आए है। 

जतिन अग्रवाल पुत्र अनिल कुमार अग्रवाल निवासी पटेल नगर जो चैन्नई मे वेल्लोर इंस्टीट्यूट आपु टेक्रालाजी से बीटेक कर रहे है। उन्होने शिवपुरी आकर आंखो देखा हाल बंया किया। जतिन ने बताया कि  खाने पीने को तरसने के साथ अपने माता पिता से भी स पर्क नहीं हो पाने का दर्द जो हम स्टूडेंट के समक्ष रहा वह आंखों से लगातार बह रहे आंसू को नहीं रोक पा रहे थे। 

 पहले तो लगभग बीस दिन पहले चेन्नई में आए चक्रवाती तूफान ने चेन्नई की जो स्थिति उत्पन्न कर दी थी उससे अभी वहां के लोग उबरे ही नहीं थे कि पिछले पांच दिनों से चेन्नई में लगातार हो रही भीषण बारिश ने पूरे चेन्नई को पानी पानी कर दिया। 

हमने जब अपने पन्द्रह मंजिला हास्टल की छत से चेन्नई का जो नजारा देखा वो अभी भी मेरी आंखों से ओझल नहीं हो रहा है। चहुं ओर पानी पानी से घिरा पूरा चेन्नई नगर ऐसा लग रहा था मानो कि समुद्र के बीच हम किसी टापू पर खड़े हैं।

 विद्युत प्रणाली पूर्णत: ठप्प हो जाने से चारों ओर ब्लेकआउट की स्थिति निर्मित हो गई थी। टेलीफोन एवं मोबाइल का स पर्क भी ठप्प हो जाने तथा एटीएम एवं आवागमन के साधन पूर्णत: बंद हो जाने से सबसे अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

चेन्नई में अभी भी फंसे हैं हजारों स्टूडेंट
जतिन अग्रवाल का कहना है ईश्वर की कृपा से मैं तो मोबाइल पर सर्च कर दो तीन स्टेशनों पर घूम फिर कर कैसे न कैसे अपने घर पहुंच गया हूं किन्तु अभी ाी मेरे साथियों सहित हजारों स्टूडेंट चेन्नई में फंसे है। 

स्टूडेंट की शीतकालीन छुट्टियां हो जाने और हवाईअड्डे सहित रेलवे की सेवाएं भी बंद होने से अभी भी हजारों स्टूडेंट चेन्नई से सकुशल अपने घर नहीं पहुंच पाएं हैं।

बिजली, मोबाइल बंद होने से टूटा स पर्क क्षेत्र
चेन्नई में लगातार बारिश, बाढ़ से न केवल बिजली व्यवस्था चरमरा गई बल्कि दूरसंचार एवं हर क पनी का मोबाइल नेटवर्क ठप्प हो गया, जिससे हर व्यक्ति का एक दूसरे से स पर्क भी टूट गया। 

ऐसे में एक ओर से चेन्नई की स्थिति और दूसरी ओर घर से स पर्क नहीं हो पाने से अपनी वस्तुस्थिति बयां नहीं कर पा रहे थे। आपातकालीन न बर पर भी स पर्क नहीं हो पा रहा था। दो दिन तक कोई स पर्क नहीं होने से घरवालों को भी चिंता का होना स्वभाविक था।

केवल चावल खाकर गुजारे वो दो दिन
जतिन अग्रवाल का कहना था कि हास्टल में हजारों की सं या में स्टूडेंट के रहने से प्रतिदिन खाद्य सामग्री आती है। लगातार बारिश के होने और आवाजाही बंद हो जाने से हमारी मैस में केवल चावल ही बचे थे, हम बच्चों ने दो दिन केवल चावल के सहारे ही गुजारे। जिससे पेट भर कर भी भोजन नसीब नहीं हो सका।

एटीएम बंद होने से हुई सबसे अधिक परेशानी
जतिन का कहना था कि हास्टल के बच्चों को पैसों की जरूरत नहीं होने से वह अपने पास नगद राशि नहीं रखते हैं। जब घर या बाजार जाना होता है तो वह एटीएम से पैसा निकालकर उसका उपयोग कर लेते हैं। 

शीतकालीन अवकाश हो जाने और कहीं अन्य व्यवस्था कर अन्यत्र स्टेशनों से घर जाने के लिए पैसों की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में एटीएम बंद हो जाने से ाी सभी को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

40 किमी सफर के बस ने लिए पचास हजार रुपये
कहते हैं मजबूरी का फायदा हर कोई उठाता है, चेन्नई बाढ़ के दौरान भी हम स्टूडेंट को कालेज कै पस से 40 किमी दूर रेलवे स्टेशन छोडऩे के लिए जब एक बस आपरेटर से बात की गई तो उसने इस दूरी के लिए 50 हजार रुपये की मांग की। 

मजबूरन हम 50 स्टूडेंट ने एक-एक हजार रुपये संकलित कर स्टेशन जाने के लिए बस को 50 हजार रुपये का भुगतान किया। यही नहीं चेन्नई से बैंगलोर जाने के लिए बस आपरेटर ने प्रति सवारी 4 हजार रुपये का किराया लिया।