शिवपुरी। पिछले दिनों कई फिल्मों में आईं तमाम दलीलों को दुत्कारते हुए शिवपुरीवासियों ने परंपरानुसार शिवलिंग का दूध से अभिषेक किया। शिवालयों में दूध की धारा दिनभर बहती रही। मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों को भोजन भी दान किया गया।
बम-बम भोले के जयकारों से गूंजे शिवालय और श्रद्धालुओं अपने आराध्य देव भगवान शंकर के चरणों में बेलपत्र और उनकी पसंदीदा फूल फल को भेंट करके अभिषेक किया। शिवपुरी शहर के प्राचीन मंदिर सिद्धेश्वर, राजेश्वरी कैला माता, काली माता मंदिर, वाणगंगा आदि सिद्ध स्थानों पर प्रात: से ही शिव भक्तों का आना जाना शुरू हो गया।
इन मंदिरों पर रही भीड़
शिवपुरी शहर के प्राचीनतम मंदिरों श्री सिद्धेश्वर मंदिर, नील कण्ठेश्वर महादेव, अद्र्वनागेश्वर भोलेनाथ मंदिर, नवग्रह मंदिर सहित अन्य शिव मंदिरों में स्थित शिवालयों पर आज सुबह से ही भक्तों का आना जाना शुरू हुआ। अपनी श्रद्धा और समर्थ के अनुसार भक्त भगवान शिव की आराधना में लग गये।
विभिन्न प्राचीन शिवलिंगों पर अभिषेक के माध्यम से भक्तों ने श्रावण मास के प्रथम सोमवार को देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने का प्रयास किया।
शिवार्चन से मिलती है शक्ति
पुराणों के मुताबिक ऐसी मान्यता है कि शिवार्चन करने से आलौकिक शक्ति जीवन में प्राप्त होती है। शिव पुराण के मुताबिक अपनी श्रद्धा के अनुसार माटी के शिवलिंग का निर्माण करके श्रावण मास के प्रत्येक दिन जो भक्त भगवान शंकर को बेल पत्र, धतूरे का फूल, शक्कर, शहद, घी, पंचाम्रत समर्पित करते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।
शिवार्चन के दौरान प्रत्येक दिन नये शिवलिंग का माटी से निर्माण किया जाता है और उसकी विधि विधान से पूजन करने के बाद उसे विर्सजन करने के लिये रखा जात है। 41 चावलों से महा मृत्युंजय का जाप करते हुये भगवान पर समर्पित करने से जन्ज जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं।
वैदिक मंत्रों के साथ योग आचार्य के माध्यम से शिवार्चन करने का प्रावधान है। लेकिन स्वयं के द्वारा माटी के शिवलिंग का निर्माण करके अपने पूजन के स्थल पर 41 चावलो का समर्पण करते हुये पंचाम्रत, फल फूल से भी ग्रहस्थ प्राणी शिवार्चन कर सकता है।
भगवान भोले नाथ इस शिवार्चन से प्रसन्न होते हैं। शिव और शक्ति की उपासना के साथ देव उठनी ग्यारस तक गणेश उत्सव की भी धूम रहती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
